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बेटी से मोबाइल दिलाने का किया था वादा, अगले दिन आई मनहूस खबर Ludhiana News

दलजीत के बड़े भाई मनजीत सिंह का कहना है कि उसके भाई को अगर किसी दुश्मन की गोली लगती तो गर्व होता लेकिन अफसोस है कि उसके एक साथी ने ही साथियों पर गोली चला दी।

By Sat PaulEdited By: Published: Thu, 05 Dec 2019 11:24 AM (IST)Updated: Thu, 05 Dec 2019 02:48 PM (IST)
बेटी से मोबाइल दिलाने का किया था वादा, अगले दिन आई मनहूस खबर Ludhiana News
बेटी से मोबाइल दिलाने का किया था वादा, अगले दिन आई मनहूस खबर Ludhiana News

मुल्लांपुर दाखा/लुधियाना, जेएनएन। अभी एक महीने पहले ही दलजीत सिंह छुट्टी काटने के बाद ड्यूटी पर गया था। परिवार को उसकी अगली छुट्टियों का इंतजार था, लेकिन उससे पहले ही उसकी मौत का समाचार परिवार के साथ पूरे गांव को स्तब्ध कर गया। छत्तीसगढ़ के नारायणपुर जिले के गांव कडेनार कैंप में आइटीबीपी के जवानों में हुई झड़प के बाद एक जवान द्वारा चलाई गई गोलियों से मारे गए जवानों में लुधियाना जिले के मुल्लांपुर दाखा स्थित गांव जांगपुर का दलजीत सिंह (42) पुत्र स्व. सूबेदार गुरदेव सिंह भी शामिल है।

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बुधवार दोपहर तक परिवार को उसकी मौत संबंधी कोई जानकारी नहीं थी, लेकिन जब मीडिया की टीमों ने पीडि़त परिवार के घर पहुंचना शुरू किया तो बेखबर बैठे सदस्यों के होश उड़ गए। दलजीत का बड़ा भाई मनजीत सिंह भी फौज में है, जो इन दिनों छुट्टी पर आया हुआ है। घर में वो और उसकी पत्नी मौजूद थीं। दलजीत के बड़े भाई मनजीत सिंह इन दिनों असम में तैनात हैं।

दलजीत सिंह की फोटो।

पत्नी हरप्रीत पीएयू में हैं असिस्टेंट लाइब्रेरियन

मृतक जवान की पत्नी हरप्रीत कौर पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू) में असिस्टेंट लाइब्रेरियन हैं। भाई की मौत का पता चलते ही मनजीत सिंह उन्हें लेने के लिए पीएयू चला गया। कुछ ही पल में यह खबर पूरे इलाके में जंगल की आग की तरह फैल गई। गांव में पीड़‍ित परिवार के साथ हमदर्दी जताने वालों का तांता लगा रहा।

आइटीबीपी के जवान दलजीत सिंह की मौत के बाद दुख बंटाने पहुंचे गांव के लोग।

पापा ने एक दिन पहले ही किया था मोबाइल दिलाने का वादा

मृतक दलजीत सिंह की बेटी जैसमीन कौर (12) पांचवी कक्षा और बेटा बरिंदरजीत सिंह (9) है। दोनों ही जगराओं स्थित सेक्रेड हार्ट स्कूल में पढ़ते हैं। मौत से ठीक एक दिन पहले दलजीत सिंह ने अपने घर फोन करके परिवार के साथ बात की थी। उस दौरान उसके बेटे बरिंदरजीत सिंह और बेटी जैसमीन कौर ने उससे मोबाइल फोन लेकर देने की मांग की थी। दलजीत ने वादा किया था कि अगली बार वो छुट्टी पर घर आएगा तो उन्हें फोन जरूर लेकर देगा। उसकी बात से बच्चे बेहद खुश थे। दलजीत की दो बहनें हैं, जिनकी शादी हो चुकी है।

पिता का 1999 में हुआ निधन, 2003 में दलजीत को मिली थी नौकरी

पिता गुरदेव सिंह भी आइटीबीपी में जवान थे। 1999 में ड्यूटी करते समय वो गंभीर रूप से बीमार हो गए। इलाज के लिए उन्हें डीएमसी लुधियाना में भर्ती कराया गया, लेकिन उनका देहांत हो गया। पिता की मौत के बाद 2003 में दलजीत सिंह को आईटीबीपी में नौकरी मिल गई। 

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