सरकार समस्या का हल करे, नहीं तो बंद हो जाएंगे उद्योग: बदीश जिंदल
आल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम (एआइटीएफ) ने किसान आंदोलन को लेकर हो रही राजनीति पर कड़ी चिता जताई है।
जासं, लुधियाना : आल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम (एआइटीएफ) ने किसान आंदोलन को लेकर हो रही राजनीति पर कड़ी चिता जताई है। फोरम का तर्क है कि इस राजनीति का खामियाजा उद्योग जगत उठा रहा है। हालत यह है कि पोर्ट से दूरी पर स्थित पंजाब को न कच्चा माल मिल रहा है और न ही तैयार माल जा पा रहा है। नतीजतन इंडस्ट्री बंद होने की कगार पर है और सरकारें राजनीति करने पर उतारू हैं। फोरम ने सरकार से मांग की है कि इस समस्या का तुरंत समाधान निकाला जाए, ताकि सूबे के उद्योग व्यापार की गाड़ी पटरी पर आ सके।
एआइटीएफ के राष्ट्रीय प्रधान बदीश जिदल ने कहा है कि सूबे के उद्योग पूरी तरह दूसरे राज्यों या विदेशों पर निर्भर हैं। ज्यादातर व्यापार रेल मार्ग से होता है। इंजीनियरिग उद्योग के लिए हर माह 120 रैक में करीब तीन लाख टन स्टील और स्क्रैप पंजाब पहुंचता है। हर माह दो लाख टन स्क्रैप विदेशों से आयात किया जाता है। ये दोनों ही यहां के उद्योग की रीढ़ हैं। स्टील कंपनियां माल की डिलीवरी फरीदाबाद में दे रही हैं। वहां से सड़क मार्ग से स्टील पंजाब आ रहा है। इसमें अतिरिक्त माल भाड़ा लग रहा है। सूबे के उद्योग प्रतिस्पर्धा से बाहर हो रहे हैं। ट्रकों का किराया रेलवे से तीन गुना अधिक पड़ रहा
फोरम के अध्यक्ष ने आगे कहा कि रेल बंद होने से हजारों कंटेनर पोर्ट पर अटके हैं। इससे आयातकों एवं निर्यातकों का भारी आर्थिक नुकसान हो रहा है। निर्यातक नए आर्डर भी नहीं ले पाए रहे। इसके अलावा प्रदेश की निटवियर एवं गारमेंट इंडस्ट्री को भी भारी नुकसान हो रहा है। सीजन के वक्त में माल डिस्पैच नहीं हो रहा है। 80 फीसद गारमेंट एवं निटवियर घरेलू व अंतरराष्ट्रीय बाजार में रेल के जरिए भी भेजे जाते हैं। ट्रकों का भाड़ा रेलवे से तीन गुना तक अधिक है। विदेशी बायर चीन, बांग्लादेश और पाक का रुख कर रहे
बदीश ने कहा कि विदेशी बायर भी चीन, बांग्लादेश, वियतनाम और पाकिस्तान का रुख कर रहा है। साफ है कि विश्व बाजार में सूबे के उद्यमियों की छवि खराब हो रही है। इसके अलावा निर्माण सेक्टर के लिए सीमेंट एवं स्टील भी 70 फीसद तक रेल के जरिए ही पहुंचता है। आंदोलन का इस पर भी विपरीत असर हो रहा है। फोरम ने केंद्र एवं राज्य सरकार से आग्रह किया है कि इस समस्या का तुरंत समाधान कराया जाए, हड़ताल से प्रभावित इकाइयों के लोन का ब्याज माफ और आयात-निर्यात के माल को जुर्माना से मुक्त किया जाए।