टेक्सटाइल उद्योग को इंपोर्ट ड्यूटी की 'संजीवनी'
सरकार ने रेडीमेड गारमेंट, फैब्रिक्स पर इंपोर्ट ड्यूटी की दोगुना।
राजीव शर्मा, लुधियाना
सस्ते आयात की मार झेल रही घरेलू टेक्सटाइल इंडस्ट्री को केंद्र सरकार ने राहत दी है। सेंट्रल बोर्ड ऑफ इंडायरेक्ट टैक्सेस एंड कस्टम (सीबीआइसी) ने रेडीमेड गारमेंट एवं फैब्रिक्स पर इंपोर्ट ड्यूटी को दस फीसद से बढ़ा कर बीस फीसद कर दिया है। बढ़ी ड्यूटी को तुरंत प्रभाव से लागू कर दिया गया है। इसके चलते देश में सस्ते आयात पर अंकुश लगेगा और घरेलू उद्योग प्रतिस्पर्धा का मुकाबला कर पाएंगे, लेकिन उद्यमियों ने सरकार के इस कदम को नाकाफी बताया है, उनकी मांग है कि कम से कम ड्यूटी तीस से पैंतीस फीसद की जाए। इस संबंध में औद्योगिक संगठन सरकार से शीघ्र ही बातचीत करेंगे।
सीबीआइसी ने फैब्रिक्स के अलावा कोट, पेंट, जैकेट, सूट, लेडीज गारमेंट्स, कारपेट समेत कई उत्पादों पर इंपोर्ट ड्यूटी दस से बढ़ा कर बीस फीसद की है। बता दें कि मई में दौरान टेक्सटाइल रेडीमेड गारमेंट के निर्यात में 16.62 फीसद की गिरावट दर्ज की गई, जबकि जून 2018 निर्यात पिछली अवधि के मुकाबले में 12.34 फीसद कम होकर 13.5 मिलियन डॉलर रह गया। लगातार गिर रहे निर्यात को लेकर घरेलू निर्माता काफी चिंतित थे और सरकार से लगातार राहत की गुहार लगा रहे थे। उधर जून माह को दौरान टेक्सटाइल यार्न, फैब्रिक्स, मेडअप आर्टिकल्स का विदेशों से आयात पिछली अवधि के मुकाबले 8.58 फीसद के उछाल के साथ 168.64 मिलियन डॉलर पर पहुंच गया।
उद्यमियों का तर्क है कि चीन और बांग्लादेश से बड़ी संख्या में सस्ता फैब्रिक्स आयात किया जा रहा है। इससे घरेलू उद्योग की जड़े उखड़ रही थीं। इतना ही नहीं बांग्लादेश से भी काफी रेडीमेड गारमेंट सस्ती कीमत पर आयात होकर भारतीय बाजार को डिस्टर्ब कर रहे थे। हालत यह थी कि बहुराष्ट्रीय ब्रांड बांग्लादेश से सस्ते गारमेंट आयात करके उनको भारतीय बाजार में मार्केट कर रहे थे, जबकि घरेलू निर्माता बाजार से आउट हो रहे थे। चुनौतियों का मुकाबला करना होगा आसान
वर्धमान टेक्सटाइल मिल्स के डायरेक्टर आइजे धुरिया का कहना है कि इससे निश्चित तौर पर घरेलू उद्योग को लाभ होगा और उनके लिए बाजार की चुनौतियों का मुकाबला करना आसान होगा। फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रियल एंड कमर्शियल आर्गेनाइजेशन में टेक्सटाइल डिवीजन के हेड अजीत लाकड़ा का कहना है कि उद्योग जगत लंबे वक्त से इंपोर्ट ड्यूटी बढ़ाने की वकालत कर रहा था। अब सरकार ने ड्यूटी दस से बढ़ा कर बीस फीसद कर दी है, लेकिन यह कम है इसे बढ़ा कर तीस से पैंतीस फीसद करना होगा।