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बढ़ेगा उत्पादन क्षमता का आधार तो कम होगी चीन पर निर्भरता

बाजारों में चीनी उत्पाद के विकल्प तलाशे जाने लगे हैं वहीं उद्योगों में कच्चे माल एवं तैयार माल को लेकर भी हालात बदल रहे हैं।

By Vikas_KumarEdited By: Published: Tue, 16 Jun 2020 09:26 AM (IST)Updated: Tue, 16 Jun 2020 09:26 AM (IST)
बढ़ेगा उत्पादन क्षमता का आधार तो कम होगी चीन पर निर्भरता
बढ़ेगा उत्पादन क्षमता का आधार तो कम होगी चीन पर निर्भरता

लुधियाना, [राजीव शर्मा]। कोरोना संकट और इससे निपटने के लिये आत्मनिर्भरता के मंत्र के साथ ही देश के उद्योग-धंधों में चीन के खिलाफ माहौल बन रहा है। बाजारों में चीनी उत्पाद के विकल्प तलाशे जाने लगे हैं, वहीं उद्योगों में कच्चे माल एवं तैयार माल को लेकर भी हालात बदल रहे हैं। बावजूद इसके उद्यमियों का मानना है कि देश में उत्पादन के क्षमता के आधार को मजबूत करना होगा, इससे चीन पर निर्भरता कम होगी। इसके लिए रिसर्च एंड डेवलपमेंट पर फोकस कर विश्व स्तरीय तकनीक को अपनाना होगा। कलस्टर के जरिए उद्योगों को योजनाबद्ध तरीके से विकसित करना होगा। तभी चीन पर निर्भरता को कम किया जा सकता है और अगले पांच साल में चीन से आयात को कम करने में कामयाबी पाई जा सकती है। इसमें सरकारी सहयोग, सार्थक नीतियां और सरल टैक्स ढांचा मुहैया कराना अनिवार्य है।

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उद्यमियों ने कहा कि चीन से प्रत्यक्ष तौर पर सालाना करीब 4.92 लाख करोड़ रुपये का माल आयात किया जा रहा है। लुधियाना के होजरी, निटवियर एवं टेक्सटाइल उद्योग में 95 फीसद तक मशीनरी, अस्सी फीसद तक गारमेंट एक्सेसरीज, चालीस फीसद फैब्रिक्स, दस फीसद यार्न चीन इत्यादि देशों से आयात किया जा रहा है। इसी तरह साइकिल में हाईएंड साइकिल्स एवं साइकिल्स पाट््र्स का आयात चीन से किया जा रहा है। इसके अलावा केमिकल्स, डाईज, दवाओं के लिए कैमिकल एवं कई तरह के कच्चे माल का आयात भी चीन से किया जा रहा है। 

  चीन से यह हो रहा आयात

-इलेक्ट्रिकल एंड मशीनरी: 1,84,789 करोड़

-यार्न एवं मेडअप: 16,500 करोड़

-प्लास्टिक पार्ट्स: 15,250 करोड़

-लेदर गुड्स एवं फुटवियर: 5,255 करोड़

-आयरन एंड स्टील: 19,550 करोड़

-खिलौने        :  3,147 करोड़

-आर्गेनिक केमिकल्स: 45,691 करोड़

-पल्प एंड पेपर उत्पाद: 3,934 करोड़

-सिरामिक एवं ग्लास वेयर: 5,898 करोड़           

-फर्नीचर: 7,737 करोड़

-साइकिल एवं पार्ट्स: 1,750 करोड़

विश्व बाजार में गलाकाट प्रतिस्पर्धा एवं प्राइस वार के चलते चीन से आयात बढ़ा। चीन में बल्क में उत्पादन हैं और वहां तक विश्व स्तरीय तकनीक का उपयोग हो रहा है। वहां बने प्रोडक्ट 20 से 50 फीसद तक सस्ते आते हैं। जबकि देश में उत्पादन लागत अधिक है। सरकार को देश में भी मैन्युफैक्चङ्क्षरग को मजबूत कर इंडस्ट्री फ्रेंडली नीतियां बनानी होंगी। तकनीक का ड्यूटी मुक्त आयात करना होगा।

- बदीश जिंदल, राष्ट्रीय अध्यक्ष, ऑल इंडस्ट्रीज एंड ट्रेड फोरम। 

दवाओं के केमिकल्स का करीब अस्सी फीसद चीन से आयात हो रहा है। केंद्र सरकार ने देश में ही उत्पादन शुरू करने के लिए स्कीम भी शुरू की है। इसके तहत 55 ड्रग्स की लिस्ट बनाई गई है। इनका उत्पादन करने पर विशेष इंसेंटिव दिए जाएंगे। साथ ही सरकार देश में तीन मैगा फार्मा पार्क बना रही है, ताकि चीन पर निर्भरता को कम किया जा सके। इसमें काफी वक्त लगेगा।

राजीव गर्ग, सीईओ, आईओएल फार्मा की कंपनी वीवा कैम इंटरमिडिएट्स प्रा लिमिटेड। 

ज्यादातर गारमेंट मशीनरी, एक्सेसरीज एवं फैब्रिक्स चीन से आयात किया जा रहा है। चीन से आने वाले तैयार माल पर ड्यूटी लगाई जाए और विदेशों से मशीनरी के आयात पर ड्यूटी खत्म की जाए। इससे काफी राहत मिलेगी।

सुदर्शन जैन, प्रधान, निटवियर अपैरल मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना।


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