Hockey Player रानी रामपाल ने साझा किए अनुभव, कहा-दूध के लिए नहीं होते थे पैसे तो गिलास में ले जाती थी पानी
रानी रामपाल ने अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण पलों और हॉकी के अनुभवों को स्टूडेंट्स के साथ साझाा किया। हॉकी खिलाड़ी कुंदन विद्या मंदिर स्कूल के कार्यक्रम में पहुंची थीं।
लुधियाना, जेएनएन। कोई भी राह हो, उसमें बहुत सी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है। आप डटकर उनका सामना करें। आपको कभी हार का सामना नहीं करना पड़ेगा। मैंने भी बचपन से जब हॉकी खेलना शुरू किया तो जीवन में कई चुनौतियों का डटकर सामना किया है। जब हॉकी खेलने की ट्रेनिंग ले रही थी तो परिवार में इस कदर गरीबी थी कि दूध लाने तक के पैसे नहीं होते थे। प्रशिक्षण के दौरान कोच कहते थे कि ग्राउंड में दूध लेकर आना जरूरी है। तब परिवार की हालत भी इतनी अच्छी नहीं थी। फिर जैसे-तैसे एक चौथाई दूध के गिलास में पानी डालकर ले जाती रही हूं पर मैंने कभी साहस नहीं छोड़ा। बस अपना दृढ़ निश्चय रखा और आज यहां तक पहुंच गई हूं। ये बातें भारतीय महिला हॉकी टीम की कप्तान रानी रामपाल ने कहीं। वह कुंदन विद्या मंदिर स्कूल सिविल लाइंस में आयोजित कार्यक्रम में पहुंची थीं।
उन्होंने स्कूल के उन विद्यर्थियों को सम्मानित किया, जिन्होंने विभिन्न खेलों में राष्ट्रीय स्तर पर शानदार प्रदर्शन किया। रानी रामपाल ने अपनी जिंदगी के महत्वपूर्ण पलों और हॉकी के लिए विद्यार्थियों के साथ अनुभव साझा किए। हरियाणा के जिला कुरुक्षेत्र की रहने वाली रानी ने 15 साल की उम्र में भारतीय टीम का प्रतिनिधित्व कर वर्ष 2010 में हॉकी वल्र्ड कप खेला। उन्होंने अभिभावकों से भी अपील की है कि वह लड़कियों को उनका पसंदीदा प्लेटफार्म उपलब्ध करवा उसमें सहयोग करें। इससे पहले स्कूल मैनेजमेंट की तरफ से भारतीय टीम की कप्तान का स्वागत किया गया। उन्होंने छात्रों को रानी रामपाल के बचपन से हॉकी खेलते हुए व शाहबाद मारकंडा से वल्र्ड कप में उनके कप्तान बनने के सफर को पीपीटी के जरिए दिखाया। स्कूल के चेयरमैन वीके गोयल, प्रिंसिपल नविता पुरी ने रानी रामपाल को यादगारी चिह्न भेंट किया।
विद्यार्थियों के सवाल और रानी रामपाल के जवाब
सवाल: आपको जीवन में किन चुनौतियां का सामना करना पड़ा?
जवाब: रानी ने कहा कि जीवन में कई चुनौतियों का सामना करना पड़ा। परिवार की आर्थिक स्थिति इतनी अच्छी नहीं थी, फिर भी हॉकी की ट्रेनिंग के लिए मैंने दृढ़ निश्चय रखा और आगे बढ़ती गई।
सवाल: हॉकी कब से खेलनी शुरू की?
जवाब: छह साल की उम्र में मैंने हॉकी खेलनी शुरू की थी।
सवाल: युवाओं को क्या संदेश देना चाहेंगी?
जवाब: अपने अभिभावकों की हमेशा इज्जत करें, क्योंकि जीवन में जो भी मुकाम हासिल किया जाता है, इसके पीछे वह ही होते हैं। दूसरा हमेशा चुनौतियों का डटकर सामना करें।
सवाल: लुधियाना से कोई खास लगाव है?
जवाब: मैंने 14 साल की उम्र में लुधियाना से ही नेशनल खेला था और यहां के कोच बलदेव की इसमें अहम भूमिका रही है।
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