Move to Jagran APP

बेहतर सुविधाओं के लिए सेहत पर बजट बढ़ाने की वकालत

सूबे के वित्त मंत्री मनप्रीत ¨सह बादल 18 फरवरी को विधानसभा में अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करेंगे। इस बजट से मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को खासी उम्मीदे हैं।

By JagranEdited By: Published: Sat, 16 Feb 2019 08:30 AM (IST)Updated: Sat, 16 Feb 2019 08:30 AM (IST)
बेहतर सुविधाओं के लिए सेहत पर बजट बढ़ाने की वकालत
बेहतर सुविधाओं के लिए सेहत पर बजट बढ़ाने की वकालत

जागरण संवाददाता, लुधियाना : सूबे के वित्त मंत्री मनप्रीत ¨सह बादल 18 फरवरी को विधानसभा में अगले वित्त वर्ष का बजट पेश करेंगे। इस बजट से मेडिकल क्षेत्र से जुड़े लोगों को खासी उम्मीदे हैं। इस प्रोफेशन से जुड़े लोगों का मानना है कि आम आदमी को बेहतर सेहत सेवाएं मुहैया कराने के लिए हेल्थ का बजट बढ़ाया जाए। इसके साथ ही सरकारी क्षेत्र में डॉक्टरों एवं पैरामेडिकल स्टॉफ के खाली पद भरने के लिए बजट में ही प्रावधान किया जाए। सूबे में 52 फीसद लोग कर्ज लेकर अस्पताल में दाखिल हो अपना इलाज कराते हैं, जबकि सात फीसद ओपीडी में इलाज कराने के लिए कर्ज लेते हैं। साफ है कि सरकार का फोकस सस्ती सेहत सेवाओं पर होना अनिवार्य है। इसके अलावा मेडिकल शिक्षा को सस्ती करने के लिए भी ठोस उपाय बजट में किए जाए। साथ ही झोला छाप डॉक्टरों पर शिकंजा कसने के लिए प्रावधान किए जाएं। सरकार डॉक्टरों को खास सहुलियतें दे : डॉ. अरुण मित्रा

loksabha election banner

इंडियन डॉक्टर्स फॉर पीस एंड डवलपमेंट के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट डॉ. अरुण मित्रा का कहना है कि निजी क्षेत्र में बेहतर एवं सस्ती सेहत सुविधाएं मुहैया कराने के लिए सरकार डॉक्टरों को खास सहुलियतें दे, जिनमें उद्योग की तर्ज पर सस्ती जमीन, मेडिकल उपकरणों पर सब्सिडी का प्रावधान किया जाए। इस सब्सिडी का लाभ मरीज को भी मिल सकेगा। डॉ. मित्रा ने कहा कि सरकार सरकारी सेहत सेवाओं को पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप के तहत कारपोरेट हाथों में सौंपना चाहती है, लेकिन यह जनहित में नहीं है। इससे इलाज और महंगा हो जाएगा। हालत यह है कि निजी क्षेत्र में महंगे इलाज के चलते आज भी आधे लोग कर्ज लेकर इलाज कराने को मजबूर हैं। इसके विपरीत सरकारी क्षेत्र में सेहत सेवाओं का विस्तार करना अनिवार्य है। आम आदमी को मिले सस्ती दवाएं : डॉ. जीएस ग्रेवाल

पंजाब मेडिकल काउंसि¨लग के पूर्व अध्यक्ष डॉ. जीएस ग्रेवाल का तर्क है कि आम आदमी को सस्ती दवाएं देकर राहत दी जा सकती है। इसके लिए सरकार को बजट में प्रावधान करना होगा। इसके अलावा निजी मेडिकल कॉलेजों में सेहत शिक्षा की फीस पर अंकुश लगाना अनिवार्य है। फिलहाल निजी क्षेत्र की मेडिकल शिक्षा आम आदमी की पहुंच से बाहर हो रही है। इसके अलावा मेडिकल शिक्षा का स्तर अंतरराष्ट्रीय करने के लिए भी उपाय करने होंगे। इसके अलावा डॉक्टरों की सुरक्षा के लिए भी कठोर कानून बनाने और उसे सख्ती से लागू करने की जरूरत है। आए दिन डॉक्टरों पर हो रहे हमले एवं अस्पतालों में तोड़फोड़ की घटनाओं को लेकर मेडिकल प्रोफेशनल ¨चतित हैं। सरकारी अस्पतालों की संख्या में इजाफा करे : डॉ. अविनाश ¨जदल

इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के पूर्व अध्यक्ष डॉ. अविनाश ¨जदल का कहना है कि बेहतर सेहत सुविधाओं के लिए बजट में इजाफा करना अनिवार्य है। आबादी के हिसाब से लोगों को सुदृढ़ सेहत सुविधाएं देने के लिए सरकार पहल करे और सरकारी अस्पतालों की संख्या में इजाफा करे। इसके अलावा सरकारी अस्पतालों की ओपीडी एवं एमरजेंसी में डॉक्टरों की संख्या को बढ़ाया जाए। इसके लिए साधारण डॉक्टरों एवं स्पेशियलिस्ट डॉक्टरों के खाली पड़े पद भरे जाएं। साथ ही पैरामेडिकल स्टॉफ की भी जरूरत के अनुसार भर्ती की जाए।

झोला छाप डॉक्टरों को दरकिनार कर ठोस नीति लाई जाए : डॉ. राज कुमार शर्मा

आइएमए के पूर्व प्रेसिडेंट डॉ. राज कुमार शर्मा ने कहा है कि बजट में झोला छाप डॉक्टरों को दरकिनार करने के लिए ठोस नीति लाई जाए। वर्ष 2000 में हाईकोर्ट ने इनके खिलाफ आदेश पास किया था, लेकिन सूबा सरकार अभी तक इस पर कोई कार्रवाई नहीं कर सकी है। ऐसे डॉक्टरों के कारण क्वालीफाइड डॉक्टरों की छवि भी खराब हो रही है। इसके अलावा सरकार दो सौ रुपये प्रति माह वसूलने वाले प्रोफेशनल टैक्स को खत्म करे। डॉ. शर्मा ने कहा कि सूबे में सरल प्रावधानों के साथ क्लीनिकल एस्टेब्लिशमेंट एक्ट को लागू किया जाए। इसके छोटे स्तर पर काम कर रहे डाक्टरों के हितों का भी ध्यान रखा जाए।


Jagran.com अब whatsapp चैनल पर भी उपलब्ध है। आज ही फॉलो करें और पाएं महत्वपूर्ण खबरेंWhatsApp चैनल से जुड़ें
This website uses cookies or similar technologies to enhance your browsing experience and provide personalized recommendations. By continuing to use our website, you agree to our Privacy Policy and Cookie Policy.