पंजाब में आधुनिक तकनीक पर फोकस कर रही हैंड टूल इंडस्ट्री, कामन प्लेटफार्म किया जा रहा तैयार
पंजाब में हैंड टूल्स के लगभग 400 यूनिट हैं और इनमें सालाना ढाई हजार करोड़ से अधिक का कारोबार हो रहा है। इंडस्ट्री के कुल उत्पादन का लगभग 80 फीसद विदेशों को निर्यात किया जाता है जबकि सिर्फ 20 फीसद ही घरेलू बाजार में खपत हो रहा है।
जागरण संवाददाता, लुधियाना। हैंड टूल्स इंडस्ट्री विश्वव्यापी प्रतिस्पर्धा में टिके रहने के लिए टेक्नोलाजी अपग्रेडेशन पर फोकस कर रही है। इसके तहत बड़ी ईकाइयां इन हाउस अपग्रेडेशन कर रही हैं, जबकि छोटे उद्योगपतियों के लिए हैंड टूल्स इंस्टीट्यूट में कामन प्लेटफार्म तैयार किया गया है। इसमें पांच करोड़ रुपये की लागत से अंतरराष्ट्रीय स्तर की टेस्टिंग सुविधाएं एवं प्राेडक्ट डेवलपमेंट के लिए आवश्यक मशीनरी उपलब्ध कराई गई है। हैंड टूल्स उद्योगपतियों का तर्क है कि केंद्र सरकार की विभिन्न स्कीमों में फंड लाकर कामन प्लेटफार्म को मजबूत किया जा रहा है, लेकिन सूबा सरकार से सार्थक सहयोग नहीं मिल रहा है। इसे लेकर निराशा भी है। यदि सूबा सरकार इस उद्योग को सहयोग करे और आर्थिक सहायता दे तो विश्व बाजार की तमाम चुनौतियों को पार पाया जा सकता है।
पंजाब में हैंड टूल्स के लगभग 400 यूनिट हैं और इनमें सालाना ढाई हजार करोड़ से अधिक का कारोबार हो रहा है। इंडस्ट्री के कुल उत्पादन का लगभग 80 फीसद विदेशों को निर्यात किया जाता है, जबकि सिर्फ 20 फीसद ही घरेलू बाजार में खपत हो रहा है। घरेलू बाजार में लोकल उत्पादों के अलावा आयातित हैंड टूल्स का भी काफी योगदान है। उद्योगपति कहते हैं कि लगभग दो से तीन हजार करोड़ के साकेट ही विदेशों से घरेलू बाजार में आयात किए जा रहे हैं, लेकिन अब घरेलू स्तर पर भी साकेट बनाने के प्लांट लग रहे हैं। साफ है कि आने वाले वक्त में इस सेगमेंट में विदेश पर निर्भरता कम होगी।
सरकारी स्तर पर प्रयास सुस्त : अग्रवाल
एसोसिएशन के महासचिव अश्वनी अग्रवाल के अनुसार हैंड टूल्स उद्योग में अपग्रेडेशन हो रहा है, लेकिन सरकारी स्तर पर प्रयास काफी सुस्त हैं। इनमें गति लाने की जरूरत है। इसके अलावा उद्योग रिसर्च एवं डेवलपमेंट पर भी फोकस कर रहा है।
केंद्र के सहयोग से विश्व स्तरीय मशीनरी स्थापित की : रल्हन
लुधियाना हैंड टूल्स एसोसिएशन के प्रेसिडेंट एससी रल्हन कहते हैं कि केंद्र सरकार के सहयोग से हैंड टूल्स इंडस्ट्रीट्यूट में विश्व स्तरीय मशीनरी स्थापित की गई है। इसके अलावा टर्निंग मशीन, वायर कट मशीन समेत कई हाईटेक उपकरण लगाए गए हैं। इसमें करीब पांच करोड़ का खर्च किया गया है। इसमें छोटे उद्योगपति जाब वर्क पर काम करवा रहे हैं। कामन प्लेटफार्म में जाब वर्क पर प्रोसेसिंग करवाने से लागत में कमी आती है और यूनिट्स प्रतिस्पर्धात्मक बनते हैं। इसके अलावा बड़े यूनिट्स अपने स्तर पर ही खुद को अपग्रेड कर रहे हैं। सूबा सरकार को भी उद्योग को प्रोत्साहित करने के लिए सार्थक रोल निभाने की जरूरत है।