Corona effect : फरवरी से जीएसटी व वैट रिफंड अटका, इंडस्ट्री को बैंक लिमिट में भरना पड़ रहा ब्याज
इंडस्ट्री का तर्क है कि कोरोना महामारी के दौरान उद्योग धंधे पहले ही चौपट हैं। फंड की भी भारी कमी है। ऐसे में उद्यमियों का वर्किंग केपिटल फंसा हैं।
लुधियाना, [मुनीश शर्मा]। एक सितंबर को सी एवं एच फार्म के जमा करवाने की अंतिम तिथि को पंजाब सरकार की ओर से बढ़ाकर 31 दिसंबर कर दिया गया है। इससे जहां इंडस्ट्री ने राहत की सांस ली है, वहीं फरवरी से जीएसटी और वैट रिफंड के अटकने से इंडस्ट्री को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। इंडस्ट्री को इस बकाये के न आने से बैंक लिमिट में ब्याज भरना पड़ रहा है।
इंडस्ट्री का तर्क है कि कोरोना महामारी के दौरान उद्योग धंधे पहले ही चौपट हैं। फंड की भी भारी कमी है। ऐसे में उद्यमियों का वर्किंग केपिटल फंसा हैं। उनकी मांग है कि जीएसटी एवं वैट रिफंड भी तुरंत दिलाया जाए। ताकि उद्यमियों को आर्थिक राहत मिल सके।
इसको लेकर उद्यमियों की ओर से शीघ्र एक प्रेंजेटेशन मुख्यमंत्री पंजाब कैप्टन अमरिंदर सिंह को भी भेजी जाएगी। ताकि इस अहम मुद्दे को लेकर कैबिनेट की बैठक में चर्चा हो और इंडस्ट्री को राहत देने के लिए सरकार बकाए को शीघ्र जारी कर दे।
वैट रिफंड न मिलना एक बड़ी समस्या
अॉल इंडिया फेडरेशन अॉफ टैक्स प्रेक्टिशनर के प्रदेश वाइस चेयरमैन वरिंदर शर्मा ने कहा कि सरकार की ओर से फार्म की तिथि में बदलाव कर एक बड़ी राहत दी गई है। इस समय उद्योगपति और व्यापारी पहले ही बेहद परेशान है और ऐसे में फार्म मंगवाने और जमा करवाने में भारी परेशानी थी। ऐसे में सरकार ने राहत देकर अहम कदम उठाया है। जबकि अभी तक तीन सौ करोड़ से अधिक का वैट रिफंड न मिलना एक बड़ी समस्या है। इसको लेकर सरकार को सजग होना चाहिए।
इंडस्ट्री के लिए यह कठिन दौर
अंबिका साइकिल के एमडी अशोक गुप्ता के मुताबिक इंडस्ट्री के लिए यह कठिन दौर है। ऐसे में सरकार को भी राहत देने के लिए कम से कम जो पैसा इंडस्ट्री का सरकारी विभाग के पास है, उसे रिलीज कर ही बड़ी राहत दी जा सकती है। फीको प्रधान गुरमीत कुलार के मुताबिक वैट प्रक्रिया को बंद हुए इतने साल बीत गए हैं, लेकिन रिफंड के लिए अभी तक कई तरह की अड़चने लगाई जा रही है। सरकार को पुराने बकाए को कम डाक्यूमेंटेशन के साथ शीघ्र रिलीज करना चाहिए।
वैट की धीमी रफ्तार के बाद जीएसटी के लिए भी परेशानी
कोहीनूर साइकिल के एमडी अनिल सचदेवा के मुताबिक वैट की धीमी रफ्तार के बाद अभी जीएसटी के लिए भी परेशानी हो रही है। इसको लेकर फास्ट ट्रैक काम हो और अॉनलाइन सिस्टम जनरेशन से रिफंड जारी किए जाए। अगर कोई कमी है, तो अॉनलाइन के माध्यम से ही इसका समाधान कर इंडस्ट्री को राहत देनी चाहिए। जब सब कुछ डिजिटल हो रहा है, तो रिफंड भी पूर्ण अॉनलाइन प्रक्रिया से समय सीमा में हो।