सरकार का खजाना खाली, उद्यमियों को जीएसटी के लिए परेशानी
पंजाब सरकार से लंबे समय से वैट रिफंड की आस लगाए बैठे उद्योगों को जीएसटी रिफंड की लेट किश्तों से दो-चार होना पड़ रहा है। लुधियाना के उद्यमियों को कई वादों के बावजूद रिफंड की किश्त नहीं मिल रही।
मुनीश शर्मा, लुधियाना
पंजाब सरकार से लंबे समय से वैट रिफंड की आस लगाए बैठे उद्योगों को जीएसटी रिफंड की लेट किश्तों से दो-चार होना पड़ रहा है। लुधियाना के उद्यमियों को कई वादों के बावजूद रिफंड की किश्त नहीं मिल रही। अकेले लुधियानी के उद्यमियों का अभी तक 500 करोड़ रुपये का वैट रिफंड लटका हुआ है। जो कंपनियां केंद्रीय जीएसटी विभाग के साथ जुड़ी हैं, उन्हें तो समय पर रिफंड मिल रहा है, जबकि जो कंपनियां स्टेट जीएसटी के साथ जुड़ी हैं, उन्हें रिफंड मिलने में देरी हो रही है। इसकी वजह सरकार के खजाने में पैसा न होना है। ऐसे में इंडस्ट्री को अपनी रकम पर ही ब्याज के रूप में बैंकों को किश्तें भरनी पड़ रहीं हैं।
यूनाइटेड साइकिल एंड पार्ट्स मैन्यूफेक्चरर एसोसिएशन के प्रधान इन्द्रजीत सिंह नवयुग के मुताबिक पंजाब सरकार ने अभी तक इंडस्ट्री का वैट रिफंड नहीं दिया है। काफी समय तक तो सरकार यही कहती रही कि हमारे पास फंड की कमी है, वहीं अब कई केस में सरकार कागजात पूरे न होने की बात कह रही है। ऐसे में इंडस्ट्री को लगभग दो साल से वैट की रकम के रूप में बैंक का ब्याज देना पड़ रहा है। अब जीएसटी रिफंड में भी सरकार देरी कर देती है। ऑनलाइन रिफंड सिस्टम से लेस की जाए प्रक्रिया: केक सेठ
नीलम साइकिल के एमडी केके सेठ के मुताबिक हमें अभी तक वैट रिफंड तक नही मिल पाए हैं। बात जीएसटी की करें, तो एक्सपोर्टरों को तो रिफंड दिए जा रहे हैं जबकि घरेलू बाजार में व्यापार करने वाली कंपनियों को दिक्कत आ रही है। प्रदेश सरकार को जीएसटी की किश्त केंद्र से तो आ जाती है, लेकिन उद्यमियों को समय से रिफंड नहीं दिया जाता। सरकार को जीएसटी की प्रक्रिया को भी ऑनलाइन रिफंड सिस्टम से लेस करना चाहिए ताकि इंडस्ट्री की कैपिटल मनी इसमें न फंसे। सरकार रिफंड की प्रक्रिया को बेहतर करे: चरणजीत सिंह
विश्वकर्मा साइकिल के एमडी चरणजीत सिंह विश्वकर्मा के मुताबिक सरकार को रिफंड प्रक्रिया को बेहतर करना चाहिए। उद्यमी समय से अपनी रिटर्न फाइल करते हैं, लेकिन रिफंड देने में देरी की जाती है। ऐसे में सरकार को देरी के लिए इसमें ब्याज प्रक्रिया को लागू करना चाहिए। नियम के मुताबिक देरी होने पर ब्याज देना जरूरी है। लेकिन मूल लेने के लिए सालों लग जाते हैं। वैट रिफंड ही दो साल का बकाया होने से भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।