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इस स्टोर में किसानों से खरीदी जा रही पराली, जानिए फिर कहां होता है इस्तेमाल Ludhiana News

संस्था द्वारा 34 गांवों को गोद लेकर किसानों को खेतों में धान की कटाई के बाद पराली निकालने के लिए प्रेरित किया गया। किसानों को गेंहू की सीधी बीजाई के लिए मशीनरी भी उपलब्ध कराई गई।

By Vikas KumarEdited By: Published: Fri, 08 Nov 2019 03:26 PM (IST)Updated: Sat, 09 Nov 2019 09:36 AM (IST)
इस स्टोर में किसानों से खरीदी जा रही पराली, जानिए फिर कहां होता है इस्तेमाल Ludhiana News
इस स्टोर में किसानों से खरीदी जा रही पराली, जानिए फिर कहां होता है इस्तेमाल Ludhiana News

जगराओं [बिंदु उप्पल]। गदरी बाबा दुल्ला सिंह ज्ञानी निहाल सिंह फाउंडेशन ने सूबे के किसानों की खेती खर्च की नब्ज व पराली की समस्या को देखते हुए सार्थक प्रयास किया है। संस्था ने रायकोट के गांव जलालदीवाल और नुरपुर में पराली स्टोर खोलकर किसानों को अपनी पराली यहां छोडऩे की अपील की। परिणाम स्वरूप नुरपुर में बने पराली स्टोर में चार हजार क्विंटल पराली पहुंचाकर किसानों ने अतिरिक्त आय प्राप्त की। किसानों को एक एकड़ रकबे की पराली के लिए 1000 से 1200 रुपए तक अदायगी की गई। एकत्र हुई पराली को विभिन्न गौशालाओं और गुज्जरों तक पहुंचाने के लिए संपर्क अभियान चलाया जा रहा है। इससे पूर्व संस्था द्वारा 34 गांवों को गोद लेकर किसानों को खेतों में धान की कटाई के बाद पराली निकालने के लिए प्रेरित किया गया। इसके अलावा किसानों को गेंहू की सीधी बीजाई के लिए मशीनरी भी उपलब्ध करवाई गई। गदरी बाबा दुल्ला ङ्क्षसह ज्ञानी निहाल सिंह फांउडेशन के डायरेक्टर तोता सिंह ने बताया कि हैप्पीसीडर का प्रयोग कर किसानों ने पराली को संभालने के लिए काम किया।

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मशीनरी भी खरीदनी नहीं पड़ी और अतिरिक्त आय से बढ़ा मुनाफा

किसान जगमिंदर सिंह बुर्ज हकीमां, रछपाल सिंह गोंदवाल और जग्गा सिंह दधाहूर ने बताया कि उन्हें मशीनरी खरीद नहीं करनी पड़ी। संस्था के सहयोग से धान की कटाई में आसानी होने के साथ साथ पराली को बेचकर अतिरिक्त आय भी प्राप्त हो गई। पहले तो किसानों को अपने खेत से पराली उठाने के लिए पैसे देने पड़ते थे परंतु अब उनके खेतों से बिना खर्च पराली भी उठ रही है और मुनाफा भी हो रहा है।

हमारे प्रयास हुए कामयाब  

गदरी बाबा दुल्ला सिंह ज्ञानी निहाल सिंह फाउंडेशन के संस्थापक डा. हरमिंदर सिंह सिद्धू ने कहा कि पंजाब सरकार, पीएयू और कृषि विभाग के सहयोग से किसानों को प्रेरित कर पर्यावरण को प्रदूषित होने से बचाया गया। उन्होंने कहा कि उनकी संस्था का मकसद किसानों को पराली जलाने से रोकना था और उनकी प्रयास काफी हद तक कामयाब हुए हैैं। पराली के स्थायी प्रबंध करने के बाद इस दिशा में आगे बढ़कर सार्थक परिणाम हासिल किए गए।

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