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होजरी उद्योग के लिए घातक साबित हो रहे पड़ोसी देशों के साथ किए व्यापार मुक्त समझौते Ludhiana news

जैन ने कहा कि पहले बांग्लादेश से समझौते के तहत सालाना 50 लाख गारमेंट के आयात का कोटा तय किया गया था लेकिन बाद में यह कोटा खत्म करके आयात ओपन कर दिया गया।

By Vipin KumarEdited By: Published: Wed, 18 Dec 2019 10:50 AM (IST)Updated: Wed, 18 Dec 2019 12:45 PM (IST)
होजरी उद्योग के लिए घातक साबित हो रहे पड़ोसी देशों के साथ किए व्यापार मुक्त समझौते Ludhiana news
होजरी उद्योग के लिए घातक साबित हो रहे पड़ोसी देशों के साथ किए व्यापार मुक्त समझौते Ludhiana news

लुधियाना, जेएनएन। केंद्र सरकार ने बांग्लादेश, श्रीलंका समेत कई पड़ोसी देशों के साथ व्यापार मुक्त समझौते किए हैं। उद्यमियों का आरोप है कि इन समझौतों का दुरुपयोग हो रहा है। चीन, बांग्लादेश के जरिए अंडर बिलिंग व मिस डेक्लेरेशन के साथ सस्ता माल घरेलू बाजार में डंप कर रहा है। होजरी उद्योग सस्ते आयातित माल का मुकाबला नहीं कर पा रहा है और इंडस्ट्री की रफ्तार रूक गई है। महाराज रिजेंसी में आयोजित बैठक में उद्यमियों ने इस पर चर्चा की। उन्होंने सरकार से मांग की है कि एफटीए की आड़ में आ रहे सस्ते गारमेंट्स पर नियंत्रण पाया जाए, ताकि घरेलू उद्योगों को भी ग्रोथ का अवसर मिले और मेक इन इंडिया को प्रोत्साहन मिल सके।

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निटवियर एंड अपैरल मेन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन ऑफ लुधियाना के प्रेसिडेंट सुदर्शन जैन का कहना है कि पिछले वित्त वर्ष में चीन से 2800 करोड़ रुपये का आयात हुआ है। इसका सीधा असर होजरी उद्योग पर हो रहा है। जैन ने कहा कि पहले बांग्लादेश से समझौते के तहत सालाना 50 लाख गारमेंट के आयात का कोटा तय किया गया था, लेकिन बाद में यह कोटा खत्म करके आयात ओपन कर दिया गया। नतीजतन बांग्लादेश से जीरो फीसद ड्यूटी पर आयात बढ़ गया है। उनका दावा है कि जिस स्वेटर की लागत लुधियाना में चार सौ रुपये आ रही है, वहीं स्वेटर बांग्लादेश में ढाई सौ रुपये में तैयार होता है। 

होजरी में सुस्ती का कारण विदेशों से आ रहे सस्ते गारमेंट

निटवियर क्लब के प्रधान दर्शन डावर का कहना है कि पहले बहुराष्ट्रीय कंपनियां एवं मल्टी ब्रांड स्टोर चेन भी अब लुधियाना की बजाय बांग्लादेश से गारमेंट बनवा रहे हैं। बड़ी कंपनियों ने वहां पर ही अपने सेटअप तैयार कर लिए हैं। डावर ने आरोप लगाया कि एफटीए की आड़ में चीन, बांग्लादेश के जरिए ड्यूटी मुक्त गारमेंट भारतीय बाजार में डंप कर रहा है। उन्होंने कहा कि इस बार सर्दी भी सही पड़ रही है, शादी का सीजन भी बेहतर रहा है, बावजूद इसके होजरी में सुस्ती का एकमात्र कारण विदेशों से आ रहे सस्ते गारमेंट हैं।

गारमेंट आयात पर अधिक ड्यूटी लगानी चाहिए: तरुण बावा

बहादुरके निटवियर एंड टेक्सटाइल एसोसिएशन के प्रधान तरुण बावा जैन एवं महासचिव सुभाष सैनी ने कहा कि विदेशों से गारमेंट ड्यूटी मुक्त आ रहा है। जबकि मशीनरी पर 22 फीसद ड्यूटी लग रही है। उन्होंने कहा कि मशीनरी को ड्यूटी मुक्त किया जाए, तभी इंडस्ट्री में अपग्रेडेशन होगा। इसके अलावा गारमेंट आयात पर अधिक ड्यूटी लगा कर घरेलू उद्योग को बचाया जा सकता है। हर माह चार हजार गारमेंट मशीनें विदेशों से लुधियाना आ रही हैं। यहीं मशीनें मेक इन इंडिया के तहत यहां पर तैयार कराई जाएं। सैनी ने कहा कि टेक्सटाइल उद्योग के लिए बने टफ में लंबे वक्त से सब्सिडी नहीं मिल रही है। सरकार इस तरफ भी ध्यान दे।

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