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महंगे डीजल से 20 फीसद तक बढ़ी ट्रांसपोर्टरों की लागत, माल भाड़े में 12 से 15 फीसद तक का इजाफा

डीजल के दामों में लगातार इजाफा हो रहा है। इससे ट्रांसपोर्ट भी महंगा हो गया है। ट्रांसपोर्टरों की लागत में बीस फीसद तक का इजाफा हो गया है जबकि माल भाड़ा 12 से 15 फीसद तक बढ़ गया है।

By Kamlesh BhattEdited By: Published: Wed, 24 Feb 2021 10:33 AM (IST)Updated: Wed, 24 Feb 2021 10:33 AM (IST)
महंगे डीजल से 20 फीसद तक बढ़ी ट्रांसपोर्टरों की लागत, माल भाड़े में 12 से 15 फीसद तक का इजाफा
डीजल में वृद्धि से मालभाड़े में वृद्धि। सांकेतिक फोटो

लुधियाना [राजीव शर्मा]। पिछले कुछ माह से पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में लगातार इजाफा हो रहा है। इससे जहां आम आदमी परेशान है, वहीं ट्रांसपोर्टर भी दिक्कत में हैं। उनकी आपरेशन कास्ट में लगभग पचास फीसद हिस्सेदारी पेट्रो उत्पादों की है। ट्रांसपोर्टरों का तर्क है कि उनकी कुल लागत में करीब बीस फीसद तक का इजाफा हुआ है, जबकि किराया 12 से 15 फीसद तक ही बढ़ पाया है। ऐसे में ट्रासंपोर्टरों के मार्जिन पर दबाव आ रहा है। साथ ही ट्रांसपोर्टरों ने सरकार को 14 दिन का अल्टीमेटम दिया है कि डीजल पर टैक्स घटाया जाए, नहीं तो देशव्यापी अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।

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पंजाब पेट्रोलियम डीलर्स एसोसिएशन के प्रधान मनजीत सिंह का कहना है कि 27 अक्टूबर 2020 को पेट्रोल की कीमत 82.74 रुपये प्रति लीटर एवं डीजल की 72.58 रुपये प्रति लीटर थी। आज पेट्रोल के रेट उछल कर 92.46 रुपये प्रति लीटर एवं डीजल के रेट 83.55 रुपये प्रति लीटर पर पहुंच गए हैं। प्रीमियम पेट्रोल 95.23 रुपये और प्रीमियम डीजल 86.65 रुपये प्रति लीटर में मिल रहा है। साफ है कि चार माह में ही पेट्रोल एवं डीजल की कीमतों में 10 से 12 रुपये प्रति लीटर तक का उछाल दर्ज किया गया है।

फेडरेशन आफ इंडस्ट्रियल एंड कामर्शियल आर्गनाइजेशन के चेयरमैन एवं नीलम साइकिल्स के एमडी केके सेठ ने कहा कि माल भाड़े में करीब 15 फीसद तक का इजाफा हो चुका है। इसे मैनेज करने में दिक्कत आ रही है। उन्होंने कहा कि पेट्रो उत्पादों की महंगाई से पेंट समेत तमाम पेट्रो आधारित उत्पादों की कीमतें बढ़ रही हैं। इसका असर उत्पादन लागत पर आ रहा है। यदि सरकार ने शीघ्र ही कदम नहीं उठाए तो महंगाई भी बेलगाम हो जाएगी।

लुधियाना गुड्स ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन के महासचिव जेपी अग्रवाल का कहना है कि डीजल एवं पेट्रो उत्पादों की महंगाई ने इस कारोबार की कमर तोड़ दी है। इसे मैनेज करना कठिन हो रहा है। लुधियाना से कानपुर तक 25 टन लोड ले जाने वाले ट्रक के एक चक्कर का भाड़ा पहले 75 हजार रुपये था, जो कि अब बढ़कर 82 हजार से 83 हजार रुपये के बीच हो गया है। अग्रवाल ने कहा कि हकीकत यह है कि लागत इससे भी अधिक बढ़ी है। लुधियाना से कानपुर का एक चक्कर का टोल टैक्स ही आठ हजार रुपये बनता है। उन्होंने कहा कि हालत यह है कि ट्रांसपोर्टरों ने नए ट्रक डालने से तौबा कर ली है।

ट्रांसपोर्टर करेंगे देशव्यापी चक्का जाम

आल इंडिया मोटर ट्रांसपोर्ट कांग्रेस ने सरकार को चौदह दिन का अल्टीमेटम देते हुए चेतावनी दी है कि केंद्र एवं राज्य सरकार पेट्रो उत्पादों को भारी भरकम टैक्स के बोझ से मुक्त करें, अन्यथा देश भर के ट्रांसपोर्टर मजबूरन अनिश्चिकालीन देशव्यापी हड़ताल शुरू करेंगे। इस संबंध में संगठन के राष्ट्रीय प्रधान कुलतरण सिंह अटवाल ने केंद्र सरकार को पत्र लिखा है। ट्रांसपोर्टरों ने डीजल पर केंद्रीय टैक्स कम करने एवं राज्यों को वैट कम करने के निर्देश देने की मांग की है। इसके अलावा पूरे देश में डीजल के रेट एक समान करने एवं इसे जीएसटी के तहत लाने की वकालत की गई है। एसोसिएशन की मांग है कि डीजल की कीमतों का निर्धारण तिमाही आधार पर किया जाए। 


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