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लुधियाना के चार विद्यार्थी करेंगे राष्ट्रीय स्तरीय चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस का प्रतिनिधित्व

शहर के चार विद्यार्थी इसी माह होने जा रहे राष्ट्रीय स्तरीय चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगे।

By JagranEdited By: Published: Wed, 03 Feb 2021 07:58 PM (IST)Updated: Wed, 03 Feb 2021 07:58 PM (IST)
लुधियाना के चार विद्यार्थी करेंगे राष्ट्रीय स्तरीय चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस का प्रतिनिधित्व

जागरण संवाददाता, लुधियाना : शहर के चार विद्यार्थी इसी माह होने जा रहे राष्ट्रीय स्तरीय चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस का प्रतिनिधित्व करेंगे। पंजाब स्टेट कौंसिल फार साइंस एंड टेक्नालाजी (पीएससीएसटी)ने पुष्पा गुजराल साइंस सिटी जालंधर के सहयोग से चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस का आयोजन किया, जिसमें जिला स्तर पर सरकारी सीनियर सेकेंडरी स्कूल गिल और बीसीएम आर्य माडल सीनियर सेकेंडरी स्कूल शास्त्री नगर के विद्यार्थियों ने राज्य स्तर पर हिस्सा लिया था और अपना प्रोजेक्ट वर्क दिखाया। हर टीम में दो विद्यार्थी शामिल रहे। उक्त दोनों स्कूलों के विद्यार्थियों ने राज्य स्तर पर सीनियर कैटेगरी में शानदार प्रदर्शन किया और वह अब राष्ट्रीय स्तर पर चिल्ड्रन साइंस कांग्रेस में हिस्सा लेंगे।

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सीनियर कैटेगरी में सरकारी स्कूल गिल की लक्ष्मी कुमारी और जसकिरन कौर ने यूटीलाइजेशन आफ यूजड सैनेटरी पैड्स एश इन कंक्रीट फारमेशन विषय और बीसीएम आर्य के विद्यार्थियों चुनित बांसल और जयंत कौशल ने मार्डन कारकास यूटीलाइजेशन प्लांट विषय पर प्रोजेक्ट वर्क तैयार किया था।

सर्वे में पाया विद्यार्थियों में जागरूकता की कमी

गिल सरकारी स्कूल की दोनों विद्यार्थियों लक्ष्मी कुमारी और जसकिरन ने कहा कि अपने प्रोजेक्ट वर्क में बायोमेडिकल बेस्ट जैसे पट्टियां, काटन, सैनेटरी पैडेस इत्यादि जो कूड़ा-कचरा बढ़ाने के साथ-साथ बीमारियां बढ़ाता है। अब उसे कंक्रीट में प्रयोग किया है जिससे बीमारियां कम होगी। स्कूल टीचर शैफी मक्कड़ के सहयोग से दोनों विद्यार्थियों ने अक्टूबर से इस प्रोजेक्ट पर काम शुरू किया था और जिसे बारह जनवरी को पूरा किया। इस बीच जीएनई कालेज लैब में प्रेक्टिकल वर्क किया। कोविड-19 को देखते हुए अपने स्कूल की सीनियर छात्राओं पर ही एक सर्वे किया जिसमें पाया कि बायोमेडिकल बेस्ट होता क्या है, इसमें जागरूकता की कमी है। हेल्पलाइन नंबर्स पर रहेगी वर्किग

बीसीएम आर्य माडल स्कूल के विद्यार्थी चुनित बांसल और जयंत कौशल ने बताया कि मार्डन कारकास यूटीलाइजेशन प्लांट प्रोजेक्ट में उन्होंने केवल जागरूकता पर काम किया है। प्लांट नूरपुर बेट में नगर निगम के प्रयास से लगाया जा रहा है। दोनों विद्यार्थियों ने बताया कि अकसर शहर से बाहर मरे जानवर मिलते हैं जो दुर्घटनाओं का कारण बनते हैं। प्रोजेक्ट के जरिए लोगों में जागरूकता लाने का काम किया है कि मरे जानवरों के लिए प्लांट लगने से लोगों का स्वास्थ्य किसी तरह से प्रभावित नहीं होगा, इसकी प्रोसेसिग अंडर ग्राउंड होगी और न ही यह वातावरण को प्रभावित करेगी और न ही किसी तरह की बदबू आएगी।


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