धरने-प्रदर्शन में पूर्व पार्षद परमिंदर मेहता के सैंडल हो गए चोरी, पढ़ें लुधियाना की अाैर राेचक खबरें...
पूर्व पार्षद परमिंदर मेहता मेहता धरना समाप्त कर जाने लगे तो सैैंडल न मिलने पर इधर-उधर देखा पर नहीं मिले। इतने में वहां मौजूद एक नेता ने कहा कि जनाब यह निगम दफ्तर का क्षेत्र है यहां कुछ भी गायब हो सकता है।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। नगर निगम इन दिनों अपने यहां फैले भ्रष्टाचार को लेकर निशाने पर है। हाल ही में एक दिन में कई जगह धरना-प्रदर्शन चला। इनमें पूर्व पार्षद परमिंदर मेहता भी थे। निगम जोन ए दफ्तर में महात्मा गांधी की प्रतिमा के पास वह धरने पर बैठे। उन्होंने गांधी जी के तीन बंदरों की तर्ज पर अपने साथ दो अन्य कांग्रेसियों को बिठाया। एक ने आंखें, दूसरे ने कान और तीसरे ने मुंह बंद किया। जब वह कुछ देर तक इस मुद्रा में बैठे थे तो किसी ने उनके सैंडल चोरी कर लिए।
मेहता धरना समाप्त कर जाने लगे तो सैैंडल न मिलने पर इधर-उधर देखा पर नहीं मिले। इतने में वहां मौजूद एक नेता ने कहा कि जनाब यह निगम दफ्तर का क्षेत्र है, यहां कुछ भी गायब हो सकता है। तभी वहां मौजूद अन्य लोग कहने लगे कि निगम में भी ऐसे ही कई चीजें गोल हो जाती हैं।
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दो विधायकों की बल्ले-बल्ले
लुधियाना शहर में छह विधानसभा क्षेत्र हैं। चार सीटों पर सत्ताधारी पार्टी कांग्रेस के विधायक हैं, जबकि दो पर लोक इंसाफ पार्टी के बैंस ब्रदर्स का कब्जा है। करीब चार साल हो गए पर बैंस ब्रदर्स नगर निगम में अपने हलके में विकास कार्य करवाने की सिफारिश लेकर नहीं पहुंचे। मगर चार सत्ताधारी विधायकों में विधायक एवं कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु और संजय तलवाड़ की इन दिनों बल्ले-बल्ले है। दरअसल, दोनों अपने-अपने हलके में जमकर विकास कार्य करवा रहे हैं और रोजाना उद्घाटन कर रहे हैं।
आशु अपने हलके में स्मार्ट सिटी लिमिटेड व इंप्रूवमेंट ट्रस्ट के जरिए और संजय तलवाड़ ग्लाडा तथा इंप्रूवमेंट ट्रस्ट से विकास कार्य करवा रहे हैं। वहीं सत्ताधारी दो विधायक ऐसे भी हैं जिनकी निगम में सुनी ही नहीं जा रही। ये विधायक हैैं राकेश पांडे व सुङ्क्षरदर डावर। वे बार-बार मेयर से अपने हलके में विकास कार्य करवाने की गुहार लगा रहे हैं।
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राहगीरों की लगी दोहरी मौज
लाडोवाल टोल प्लाजा पर पिछले कई दिनों से किसान धरने पर बैठे हैं। धरनास्थल पर भोजन, चाय का लंगर जारी है। वहां से गुजरने वाले वाहन चालकों की दोहरी मौज लगी हुई है। एक तो टोल नहीं देना पड़ रहा, दूसरे लंगर का स्वाद भी ले रहे हैं। वे कुछ देर किसानों के आंदोलन को देखते हैं। फिर लंगर खाना शुरू कर देते हैं। एक ट्रैक्टर कंपनी के प्रतिनिधि नए ट्रैक्टर लेकर अंबाला जा रहे थे।
उन्होंने टोल प्लाजा पर लंगर देखा। युवकों ने वहां एक लाइन में करीब 15 ट्रैक्टर खड़े किए और किसानों के धरने में आ गए। प्रदर्शनकारी किसानों को लगा कि ये भी किसान होंगे जो उनके समर्थन के लिए आए हैं। दो मिनट के बाद उन्होंने वहां से लंगर लेकर खाया और फिर कुछ देर बाद आपस में बात करते हुए कहा कि टोल के साथ-साथ उनके खाने के पैसे भी बच गए।
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नंबर बनाने में फेल हो गए नेताजी
पुलिस ने घंटाघर में हाल ही में एक समागम आयोजित किया। इसमें कई आला अफसर पहुंचे मगर वे व्यवस्था से खुश नहीं दिखे। एक साहब ने तो कह दिया कि ऐसे समागम में लडिय़ां अच्छी होनी चाहिए। वहां खड़े एक नेताजी ने अफसर के सामने नंबर बनाने के लिए दो सौ रुपये का नोट निकाला और अपने कारिंदे को लडिय़ां लेने के लिए भेज दिया। कारिंदा भी कमाल का, बिना लडिय़ां लिए लौट आया और कह दिया कि लडिय़ां तीन सौ रुपये की थीं, इसलिए लेकर नहीं आया।
नेताजी कारिंदे को डांट ही रहे थे कि पुलिस कर्मी फटाफट बिजली मार्केट गए और लडिय़ां लेकर आ गए। उसके बाद समागम स्थल जगमगाने लगा। इसे देखकर साहब खुश हो गए और उन्होंने पुलिस मुलाजिमों को शाबाशी दी। अब यह सब देखकर उन नेताजी का मुंह लटक गया क्योंकि वह पुलिस अफसरों के सामने नंबर बनाने में फेल हो गए।