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फ्लो विरसा में पुरानी कला फुलकारी को किया विकसित

पुरानी कला फुलकारी आज के समय में बिल्कुल ही लुप्त होती जा रही है और केवल समारोहों के दौरान ही इन्हें देखा जाता है। पुरानी कला फुलकारी को दोबारा जिदा किया गया है। शुक्रवार फिक्की एफएलओ लुधियाना चैप्टर ने फिरोजपुर रोड स्थित एक होटल में चल रही प्रदर्शनी में फ्लो विरसा नाम से फुलकारी का स्टाल लगाया।

By JagranEdited By: Published: Sat, 24 Jul 2021 06:40 AM (IST)Updated: Sat, 24 Jul 2021 06:40 AM (IST)
फ्लो विरसा में पुरानी कला फुलकारी को किया विकसित
फ्लो विरसा में पुरानी कला फुलकारी को किया विकसित

जागरण संवाददाता, लुधियाना : पुरानी कला फुलकारी आज के समय में बिल्कुल ही लुप्त होती जा रही है और केवल समारोहों के दौरान ही इन्हें देखा जाता है। पुरानी कला फुलकारी को दोबारा जिदा किया गया है। शुक्रवार फिक्की एफएलओ लुधियाना चैप्टर ने फिरोजपुर रोड स्थित एक होटल में चल रही प्रदर्शनी में फ्लो विरसा नाम से फुलकारी का स्टाल लगाया। फिक्की के स्किल हेड के जरिए यह स्टाल लगाया गया जिसे सनम मेहरा, वेलफेयर हेड अमन संधू लीड कर रही है। इस दौरान चेयरपर्सन राधिका गुप्ता, मोनिका चौधरी भी मौजूद रही। फिक्की एफएलओ ने जिला रोपड़ के भूर माजरा गांव की महिला सुखदेव कौर को यह स्टाल उपलब्ध कराया जिसने फुलकारी से तैयार किए दुपट्टे, बाग, चादरें, स्टाल्स प्रदर्शित किए। फिक्की का उद्देश्य भी महिलाओं को सशक्त बनाने का है।

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दुपट्टा तैयार करने में लगता एक महीना

सुखदेव कौर ने बताया कि फुलकारी का कोई भी सामान हो, बेशक दुपट्टा हो या फिर चादर, इसे एक महिला एक महीने में ही तैयार कर पाती है क्योंकि फुलकारी का काम बारीकी का है। समय के साथ-साथ आजकल चाहे मशीनी फुलकारी का दौर भी देखने को मिल रहा है। हालांकि हाथ से तैयार होने वाली फुलकारी में जो सफाई है, वह मशीन से नहीं दिखती। सुखदेव ने फिक्की एफएलओ की ओर से मंच प्रदान किए जाने का आभार भी जताया।


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