लुधियाना में वसंत पंचमी पर पांच साल की बच्ची का गला प्लास्टिक डोर से कटा, एंबुलेंस में मौत
समराला में लोहड़ी से लेकर वसंत पंचमी तक सरेआम प्लास्टिक डोर की बिक्री हुई है। कानून की धज्जियां उड़ाई गईं। पुलिस और प्रशासन हमेशा की तरह मौत के ऐसे सौदागरों को सबक सिखाने में असफल रहा। कई दुकानदारों ने दुकान से दूर यह जानलेवा डोर छिपा रखी है।
समराला, (लुधियाना) जेएनएन। प्लास्टिक डोर ने मंगलवार को समराला में एक और मासूम की जान ले ली। समराला के गांव उटालां की पांच वर्षीय मासूम दिलप्रीत कौर पिता के साथ बाइक पर रिश्तेदारों के घर से गांव लौट रही थी। वह बाइक पर आगे बैठी थी। गांव के पास पहुंचते ही उसकी गर्दन में प्लास्टिक डोर फंस गई। बच्ची के चिल्लाने पर पिता ने बाइक रोकी और उसे लहूलुहान हालत में समराला सिविल अस्पताल पहुंचाया। डाक्टरों ने प्राथमिक उपचार के बाद बच्ची को पीजीआइ रेफर कर दिया।
पीजीआइ जाते समय एंबुलेंस में मासूम ने दुनिया को अलविदा कह दिया। दिलप्रीत माता-पिता की इकलौती संतान थी। मौत की सूचना मिलते ही गांव उटाला व समराला में शोक की लहर दौड़ गई। प्लास्टिक डोर से पहले भी ले चुकी है जान: पिछले महीने 31 जनवरी को भी समराला के चावा में रेलवे ओवरब्रिज पर 30 वर्षीय जसबीर सिंह के गले में प्लास्टिक डोर फंसने से उसकी मौत हो गई थी। बहन से मिलकर बाइक से लौटते समय उसका गला इतनी बुरी तरह कट गया था कि अस्पताल पहुंचने से पहले सांसें रुक गई थीं।
सरेआम बिकी प्लास्टिक डोर, पुलिस बनी रही अंजान
समराला में लोहड़ी से लेकर वसंत पंचमी तक सरेआम प्लास्टिक डोर की बिक्री हुई है। कानून की धज्जियां उड़ाई गईं। पुलिस और प्रशासन हमेशा की तरह मौत के ऐसे सौदागरों को सबक सिखाने में असफल रहा। कई दुकानदारों ने दुकान से दूर यह जानलेवा डोर छिपा रखी है। अगर लोगों को यह आसानी से मिल जाती है तो पुलिस को क्यों नहीं मिलती। बच्चा-बच्चा जानता है लेकिन पुलिस अंजान है। कई साल से मौत का यह धंधा मिलीभगत से चल रहा है। चंद रुपयों का लालच अब बच्चों की जान ले रहा है।
बिलखता हुआ पिता पूछता रहा, अब किससे बातें करूंगा
अपनी मासूम बच्ची की मौत के बाद बिलख बिलख कर रोते पिता को गांव के लोग अस्पताल में ढांढ़स बंधाने की कोशिश कर रहे थे। बेबस पिता बार-बार लोगों को पूछता कि अब मैं किससे बात करूंगा। कौन मुझसे बार-बार फरमाइश करेगा। उसके लिए बिस्किट खरीदे थे। गले में इतना बड़ा कट लग गया। मेरी बच्ची उन्हंे खा भी नहीं पाई। रात तक अस्पताल में मातम छाया रहा।