केमिकल व प्लास्टिक फैक्ट्रियों में आग लगते ही हांफ जाती है फायर ब्रिगेड, जानें क्या है कारण
शहर में केमिकल व प्लास्टिक फैक्ट्रियाें की भरमार है। आए दिन केमिकल व प्लास्टिक फैक्ट्रियों में आग लगने के मामले सामने आते हैं।
जेएनएन, लुधियाना : शहर में केमिकल व प्लास्टिक फैक्ट्रियाें की भरमार है। आए दिन केमिकल व प्लास्टिक फैक्ट्रियों में आग लगने के मामले सामने आते हैं। लेकिन जब भी प्लास्टिक या केमिकल फैक्ट्री में आग लगती है तो फायर कर्मी हांफने लग जाते हैं। क्योंकि न फायर ब्रिगेड के पास ऐसी आग से निपटने के लिए उपकरण हैं और न ही कोई सुविधा, जिस वजह से फायर कर्मियों को भी दुर्घटना का शिकार होना पड़ता है। करीब डेढ़ साल पहले केमिकल फैक्ट्री में लगी आग को बुझाते वक्त फायर ब्रिगेड के नौ कर्मियों को अपनी जान खोनी पड़ी। उसके बाद से फायरकर्मी केमिकल या प्लास्टिक फैक्ट्रियों में लगी के पास जाने की हिम्मत तक नहीं जुटा पाते। शहर में प्लास्टिक व केमिकल से जुड़े करीब आठ हजार उद्योग हैं। आगजनी की छोटी-छोटी घटनाओं में तो नगर निगम पानी के टेंडरों से आग बुझा लेता है, लेकिन जब आग ज्यादा फैल जाती है तो फायर ब्रिगेड के कर्मचारी बेबस हो जाते हैं। क्योंकि फायर ब्रिगेड के पास केमिकल व प्लास्टिक पर लगी आग को बुझाने के लिए टेंडर ही उपलब्ध नहीं है।
करीब डेढ साल पहले सूफियां चौक में केमिकल फैक्ट्री में आग लगी थी और फायर ब्रिगेड आग पर काबू पाने में नाकाम साबित हुई। नतीजा यह हुआ कि आग बुझाते हुए नौ फायर कर्मियों की मौत हो गई थी। उसके बाद पंजाब सरकार ने घोषणा की थी कि शहर में केमिकल व प्लास्टिक फैक्ट्रियों में लगी आग पर काबू पाने के लिए विशेष उपकरण उपलब्ध करवाए जाएंगे, लेकिन डेढ़ साल बीत जाने के बाद भी निगम ने इसकी कोई खरीद नहीं की, जिसकी वजह से मंगलवार को फोकल प्वाइंट की फैक्ट्रियों में लगी आग पर काबू पाने में कर्मचारियों को कड़ी मशक्कत करनी पड़ी।
कौंसिल आफ इंजीनियर्स ने सरकार को लिखा पत्र
फोकल प्वाइंट में मंगलवार को लगी के बाद कौंसिल ऑफ इंजीनियर्स के प्रधान कपिल अरोड़ा ने कहा कि सरकार ने सूफियां बाग की घटना के बाद भी सबक नहीं लिया। मंगलवार को भी फोकल प्वाइंट में जानी नुकसान हो सकता था। केमिकल और प्लास्टिक पर लगी आग को बुझ़ाने के लिए निगम के पास एक भी फायर टेंडर नहीं है।
सरकार को नहीं इंडस्ट्री की ङ्क्षचता: गुरदीप सिंह बत्रा
प्लास्टिक ट्रैडर एंड मैन्युफैक्चरर्स एसोसिएशन के प्रधान गुरदीप सिंह बत्रा का कहना है कि शहर में आठ हजार प्लास्टिक व केमिकल की छोटी बड़ी फैक्ट्रियां हैं, जिनके प्रति सरकार गंभीर नहीं है। उन्होंने कहा कि फायर ब्रिगेड के ऐसे कोई संसाधन नहीं हैं जिससे आग पर काबू पाया जा सके। उन्होंने बताया कि फायर ब्रिगेड के पास न तो फायर टेंडर है और न ही हाइड्रोलिक सीढ़ी। यही नहीं उनके पास तो शूज व ड्रेस तक भी नहीं है। ऐसे में वह प्लास्टिक या केमिकल को लगी आग को कैसे बुझाएंगे।
हमारे पास केमिकल व प्लास्टिक पदार्थों पर लगी आग को बुझाने के लिए फायर टेंडर नहीं है। इसलिए आग बुझाने में मंगलवार को भी दिक्कतों का सामना करना पड़ा। इस संबंध में उच्चाधिकारियों को सूचना दे दी है।
भूपिंदर सिंह, डिवीजनल फायर अफसर, लुधियाना
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