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कोर्ट में पिता का नाम भूला जाली जमानतिया, जांच में गिरोह का भंडाफोड़; मुंशी समेत पांच नामजद

चौकी कोर्ट कांप्लेक्स प्रभारी एएसआइ कुलदीप सिंह ने बताया कि यह केस ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास दलजीत कौर के आदेश पर दर्ज किया गया है।

By Vipin KumarEdited By: Published: Mon, 17 Aug 2020 09:49 AM (IST)Updated: Mon, 17 Aug 2020 09:49 AM (IST)
कोर्ट में पिता का नाम भूला जाली जमानतिया, जांच में गिरोह का भंडाफोड़; मुंशी समेत पांच नामजद
कोर्ट में पिता का नाम भूला जाली जमानतिया, जांच में गिरोह का भंडाफोड़; मुंशी समेत पांच नामजद

लुधियाना, जेएनएन : अदालत में जाली दस्तावेज के सहारे अपराधियों की जमानत देने वाले गिरोह का भंडाफोड़ हुआ है। पुलिस ने वकील के मुंशी समेत पांच लोगों को नामजद किया है। दरअसल आपराधिक मामले में पेश हुआ एक जमानती अदालत में अपने पिता का नाम ही भूल गया जो उसने कागजों में लिखकर दिया था और इससे भंडाफोड़ हो गया।
चौकी कोर्ट कांप्लेक्स प्रभारी एएसआइ कुलदीप सिंह ने बताया कि यह केस ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट फर्स्ट क्लास दलजीत कौर के आदेश पर दर्ज किया गया है। उनके द्वारा लिखे गए ऑर्डर में कहा गया है कि दरेसी थाने में दर्ज मारपीट के केस में एक आरोपित को जमानत देने के लिए ओम प्रकाश निवासी बड़ी हैबोवाल, सतपाल सिंह निवासी कक्का बनकर पेश हुआ था। उसने अदालत में दिए बांड पेपर में अपने पिता का नाम जोगिंदर सिंह लिखा था। मगर जब अदालत ने कागजात की जांच की और उससे मौखिक तौर पर पिता का नाम पूछा तो उसने मनदीप सिंह बताया।

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शक होने पर जांच करवाई तो पता चला कि उसके साथ गवाह के तौर पर शामिल हुए अन्य तीन लोग भी फर्जी कागजात लेकर पेश हुए हैं। इस पर अदालत ने जसदीप सिंह निवासी फील्डगंज, रूप सिंह निवासी मंगली कादर समेत दो अन्य अज्ञात लोगों पर मामला दर्ज किया है। जांच में पता चला है कि उन्हें यह जाली आधार कार्ड और दूसरे कागजात जिला कचहरी में ही प्रैक्टिस करते वकील के मुंशी चमन ने दिए थे। पुलिस ने इन पर थाना डिवीजन पांच में मामला दर्ज कर ओमप्रकाश, जसदीप सिंह, रूप सिंह को गिरफ्तार कर लिया है और उनसे पूछताछ की जा रही है।

500 से हजार रुपये मिलते हैं जाली गवाह को
जांच में यह भी उजागर हुआ है कि यह जमानती पैसे देकर पेश किए गए थे। इन्हें 500 से एक हजार रुपये दिए जाने थे। कचहरी में यह खेल पिछले लंबे समय से चल रहा है। यहां पर चाय वाले, रिक्शे वाले और मजदूरों को पेशकर जाली कागजातों के सहारे अपराधियों को जमानत पर छुड़ा देते हैं और बाद में वह फरार हो जाते हैं।


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