किसान सुच्चा सिंह पराली से गेहूं के लिए बना रहे जैविक खाद
राज्य में जहां किसान सरकार की रोक के बावजूद पराली को आग लगा रहे हैं वहां सुच्चा सिंह पाबला जैसे किसान पिछले सात साल से पराली को नहीं जला रहे हैं।
जेएनएन, श्री माछीवाड़ा साहिब : राज्य में जहां किसान सरकार की रोक के बावजूद पराली को आग लगा रहे हैं, वहां सुच्चा सिंह पाबला जैसे किसान पिछले सात साल से पराली को नहीं जला रहे हैं। वह पराली को गेहूं की फसल में जैविक खाद के तौर पर प्रयोग कर रहे हैं।
रोपड़ रोड पर स्थित गांव शेरपुर बेट में करीब 30 एकड़ जमीन पर खेती करने वाले किसान सुच्चा सिंह पाबला ने बताया कि पराली को आग लगाना गंभीर मुद्दा है, क्योंकि पराली का धुआं वातावरण को प्रदूषित करता है। उन्होंने बताया कि किसानों को जागरूक होना पड़ेगा और थोड़ी सी मेहनत कर पराली को आग लगाए बिना फसल पैदा करनी होगी। उन्होंने कहा कि पिछले सात साल से उन्होंने अपने खेतों में धान के बाद पराली को आग नहीं लगाई। इस बार भी वह पराली को खेतों में दबाकर गेहूं बीजने की तैयारी कर रहे हैं। किसान सुच्चा सिंह ने बताया कि पराली को खेतों में दबाने के लिए कुछ समय और मेहनत लगती है, पर इससे वातावरण को प्रदूषित होने से बचाया जा सकता है। ऐसा करने के बाद रूटावेटर द्वारा गेहूं की बिजाई की जाएगी और इस विधि से उन के फसल झाड़ में कभी कोई प्रभाव नहीं पड़ा। किसान सुच्चा सिंह पाबला ने बताया कि गेहूं की बिजाई से कटाई तक उन्होंने कभी अपने खेतों में रासायनिक खादों का इस्तेमाल नहीं किया और हमेशा अपने फार्म हाउस में तैयार की जैविक खाद से ही फसल की पैदावार की है। इसके अलावा फसल तैयार करने के लिए कीटनाशक दवाओं का इस्तेमाल नहीं किया, बल्कि उनके खेतों में गेहूं की पैदावार बिल्कुल जैविक ढंग से की जाती है। इस कारण उनको फसल का मूल्य भी अधिक मिलता है। पापुलर और गंडोए की खाद बनाने के कारण किसान सुच्चा सिंह को कृषि विभाग द्वारा कई बार सम्मानित किया जा चुका है।