Farmers Protest: किसान नेताओं का नया चेहरा दिखा, लोगों को कोरोना पर कर रहे गुमराह
किसान नेताओं का नया रूप लोगों के सामने आया है। अब कोरोना को नियंत्रित करने के लिए लगाए जा रहे लाकडाउन का ही विरोध करना शुरू कर दिया है। हालांकि राहत की बात यह है कि दुकानदार उनके बहकावे में नहीं आए।
लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। केंद्र सरकार की ओर से पारित कृषि सुधार कानूनों के विरोध में दिल्ली बार्डर पर चल रहे किसान आंदोलन को पंजाब के लोगों ने खूब समर्थन दिया। तीन कानून किसानों के हक में थे, लेकिन फिर भी लोगों ने सरकार का विरोध किया। इस सब के बीच अब किसान नेताओं का नया रूप लोगों के सामने आया है। उन्होंने अब कोरोना को नियंत्रित करने के लिए लगाए जा रहे लाकडाउन का ही विरोध करना शुरू कर दिया है। इतना ही नहीं वे लोगों से कह रहे हैं कि कोरोना वायरस है ही नहीं। ये हालात तब हैं जब जिले में कोरोना से डेथ रेट 2.34 फीसद चल रहा है और रोजाना एक हजार से अधिक पाजिटिव मरीज सामने आ रहे हैं। हालांकि राहत की बात यह है कि दुकानदार उनके बहकावे में नहीं आए और किसी ने दुकान नहीं खोली। लोग कहने लगे हैं कि अब किसान नेता इसमें राजनीति न करें।
मसला बंद का नहीं, रोटी का
कोरोना संक्रमण लगातार बढ़ता जा रहा है। इस कारण लगाए मिनी लाकडाउन और कफ्र्यू के बीच कारोबार भी बुरी तरह प्रभावित हो रहा है। इस मामले में उद्योगपतियों और व्यापारियों की राय अलग-अलग है। औद्योगिक नगरी के उद्योगपति कोरोना को रोकने के लिए 15 दिन के लिए पूर्ण लाकडाउन की मांग कर रहे हैं, जबकि दूसरी ओर व्यापारी लाकडाउन में कारोबार खोलने की छूट में बढ़ोतरी चाहते हैं। दोनों का तर्क भी अलग-अलग है। प्रशासन चाहता है कि एहतियात के लिए कोई भी आवश्यक कदम उठाए जाएं। अगर उद्योगों को पूरी तरह बंद किया जाता है तो मसला यह है कि मजदूरों को रोटी कौन खिलाएगा। यह बात मुख्यमंत्री तक भी पहुंच गई है। सूबे की आॢथक हालत ऐसी नहीं है कि सरकार ज्यादा दिन तक मजदूरों को रोटी मुहैया करवा सके। ऐसे में सरकार उद्योगपतियों की ओर देख रही है जबकि उद्यमी इतना खर्च उठाने को तैयार नहीं हैं।
मैडम का मुलाजिमों में खौफ
वैसे तो सरकारी विभाग में अफसरों का ज्यादा खौफ देखने को नहीं मिलता है लेकिन जिले के स्वास्थ्य विभाग में आजकल इसके विपरीत देखने को मिल रहा है। कुछ समय पहले ही विभाग में उच्च पद पर ज्वाइन करने वाली वरिष्ठ अधिकारी का मुलाजिमों पर अच्छा खासा खौफ देखने को मिल रहा है। मैडम अगर दफ्तर में हों तो कोई मुलाजिम अपनी सीट से उठता तक नहीं है। कहीं मैडम बाहर निकल रही हो तो सामने आने की जुर्रत तक नहीं करता। आखिर मैडम को ड्यूटी टाइम में सिर्फ काम ही चाहिए। विभाग के मुलाजिम कहते हैं कि मैडम के सामने आना, मतलब अपनी क्लास लगवाना है। मैडम बाहर निकलते हुए भी मुलाजिमों को पूछने लगती है। इससे बेहतर है कि मैडम को देख दाएं-बाएं हो जाओ। कम से कम क्लास तो नहीं लगेगी। मैडम हमेशा तो दफ्तर के बाहर रहती नहीं।
कोरोना टेस्ट तो करवा लो
कोरोना काल में लोगों के बीच सबसे अधिक पुलिस मुलाजिमों को रहना पड़ रहा है। लोगों के बीच ड्यूटी निभाने के साथ खुद को कोरोना संक्रमण से बचाना उनके लिए बड़ी चुनौती है। यही कारण है कि इन दिनों पुलिस मुलाजिम किसी चोर, झपटमार या अन्य आरोपित को पकडऩे के बाद खास एहतियात बरत रहे हैं। थानों को सैनिटाइज किया जा रहा है। अपनी सुरक्षा का पूरा ध्यान रखा जा रहा है। दरअसल, कुछ दिन पहले एक चौकी का पहले एक मुलाजिम संक्रमित हुआ फिर धीरे-धीरे पूरा स्टाफ ही संक्रमित हो गया। नौबत यहां तक आ गई कि चौकी को ही कुछ दिन के लिए बंद करना पड़ गया। इसके बाद पुलिस मुलाजिम और भी सतर्क हो गए हैं। यही कारण है कि अब वारदात के बाद किसी अपराधी को पकडऩे के बाद मुलाजिम आपस में भी यही कर रहे हैं, भाई कोरोना टेस्ट तो करवा लो, सेफ्टी जरूरी है। पता नहीं कौन कोरोना पाजिटिव निकल जाए।
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