अंडों की घरेलू मांग 20 फीसद तक पहुंची, मुर्गियों के लिए फीड खरीदना हुआ मुश्किल
उत्पादकों का तर्क है कि फार्म पर अंडा 2.71 रुपये में बिक रहा है जबकि लागत साढ़े तीन रुपये आ रही है। इससे पोल्ट्री उत्पादकों को काफी नुकसान हो रहा है।
लुधियाना, जेएनएन। कोरोना महामारी के दौरान अंडों की खपत धरातल पर पहुंच गई थी। अब लॉकडाउन में ढील मिलने पर दुकानें खुलने लगी हैं और अंडों की घरेलू मांग निकल पड़ी है, लेकिन संस्थागत मांग अभी भी जीरो है। संस्थागत खपत से आशय होटल्स, रेस्टोरेंट्स और सड़क किनारे लगने वाली रेहड़ियों पर अंडों की खपत से है। बाजार में अभी मांग करीब 20 फीसद ही है जो घरेलू है। फार्म पर अंडे की कीमत 2.71 रुपये है, जबकि होलसेल में रेट 2.88 रुपये और रिटेल में ग्राहक को अंडा पांच रुपये में मिल रहा है।
उत्पादकों का तर्क है कि फार्म पर अंडा 2.71 रुपये में बिक रहा है, जबकि लागत साढ़े तीन रुपये आ रही है। इससे पोल्ट्री उत्पादकों को काफी नुकसान हो रहा है। हालत यह है कि मुर्गियों को फीड देना मुश्किल हो रहा है। उत्पादकों ने सरकार से मांग की है कि पोल्ट्री ट्रेड के लिए आसान शर्तो पर फंडिंग का इंतजाम किया जाए। साथ ही इस सेक्टर को अलग से सब्सिडी दी जाए, तभी यह सेक्टर पटरी पर आएगा। उत्पादकों का तर्क है कि डॉक्टर भी मानते हैं कि अंडे में पर्याप्त प्रोटीन होता है और इसका सेवन करने से शरीर का इम्यून सिस्टम मजबूत होता है। उत्पादकों का दावा है कि अंडों में घरेलू खपत की हिस्सेदारी 40 फीसद है, जबकि साठ फीसद हिस्सेदारी संस्थागत है। इनमें होटल्स, रेस्टोरेंट्स, रेलवे इत्यादि में है।
बाजार से अंडे की मांग नहीं आ रही: इंद्रजीत कंग
नेशनल एग को-आर्डिनेशन कमेटी के चेयरमैन इंद्रजीत सिंह कंग का कहना है कि बाजार में अंडे की खुलकर मांग नहीं आ रही। सिर्फ 20 फीसद तक घरेलू खपत ही है। ऐसे में पोल्ट्री उत्पादकों ने उत्पादन में 30 फीसद तक की कटौती की है। गर्मी में भी अंडे की खपत में कमी आ जाती है। दूसरा ईद के कारण अब जम्मू-कश्मीर में भी अंडे की सप्लाई नहीं हो रही। ईद के बाद कश्मीर की मार्केट से मांग आएगी। कंग ने कहा कि हालत यह है कि पोल्ट्री उत्पादकों को अंडे की लागत तक नहीं मिल रही। इससे सभी उत्पादक नुकसान में चल रहे हैं।
पोल्ट्री उत्पादक काफी नुकसान झेल रहे: संजीव बस्सी
प्रोग्रेसिव पोल्ट्री फारमर्स एसोसिएशन के चेयरमैन संजीव बस्सी का कहना है कि अंडे के कारोबार पर संकट मंडरा रहा है। पोल्ट्री उत्पादक काफी नुकसान झेल रहे हैं। बाजार में मांग भी काफी कमजोर है। पंजाब से उत्तर प्रदेश एवं बिहार के लिए भी अंडों की सप्लाई की जा रही है, लेकिन संस्थागत बिक्री जीरो है। जब तक वहां से मांग नहीं निकलती, तब तक इस कारोबार में जोश आने की उम्मीद कम ही है।
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