मौसम की मार से घटी धान की पैदावार, उत्पादन में सात लाख टन की कमी आई
मौसम की मार की वजह से इस बार धान के झाड़ में कमी आई है। मानसून सीजन में हुई ज्यादा बारिश को इसका अहम कारण माना जा रहा है।
जेएनएन, लुधियाना। मौसम की मार की वजह से इस बार धान के झाड़ में कमी आई है। मानसून सीजन में हुई ज्यादा बारिश को इसका अहम कारण माना जा रहा है। इस सीजन में झाड़ में एक से तीन क्विंटल प्रति एकड़ की गिरावट आई है। पिछले साल की तुलना में करीब सात लाख टन धान की कम पैदावार हुई है। हालांकि किसानों का कहना है कि 20 जून से धान की रोपाई के फैसले की वजह से धान के झाड़ में गिरावट की स्थिति बनी है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय (पीएयू), खेतीबाड़ी और किसान भलाई विभाग के माहिरों के अनुसार धान के झाड़ में कमी मौसमी तबदीली की वजह से आई है।
पीएयू की स्टडी के अनुसार धान के सीजन में शुरू में (जून व जुलाई 2018) पिछले साल के मुकाबले जुलाई के दौरान पंजाब के पांच जोन में से चार में मानूसन की बारिश ज्यादा हुई। धान के बढऩे-फूलने के समय बादल छाए रहने के कारण सूरज की रोशनी फसलों को कम मिली। इसका फसल पर बुरा असर पड़ा। यह मुश्किल दक्षिण पश्चिमी जिलों फिरोजपुर, फाजिल्का, अबोहर, मुक्तसर, बठिंडा व मानसा में पाई गई। सितंबर के अंतिम सप्ताह 22 से 24 सितंबर पंजाब के करीब हर जिले में भारी बारिश हुई। तब दिन के तापमान में 4 से 5 डिग्री सेंटीग्रेट कमी आई और यह स्थिति अक्टूबर मध्य तक रही। इसने पौधों के प्रकाश संशलेशन को घटा दिया।
रोपाई के समय में तबदीली नहीं है कारण
पीएयू द्वारा पिछले सालों में किए अध्ययन बता रहे हैं कि धान की रोपाई के समय में की गई तबदीली धान की पैदावार व पानी बचत के पक्ष से बढ़िया पहल है। वैज्ञानिकों के अनुसार बेशक इस साल रोपाई के समय में पांच दिन की वृद्धि की गई, लेकिन फिर भी 30 जून तक करीब 88 प्रतिशत रकबे पर परमल धान की रोपाई हो गई थी। रोपाई में की गई पांच दिन की तबदीली को झाड़ कम होने का कारण बताना गैर वैज्ञानिक होगा।
सात लाख टन कम हुई पैदावार : डायरेक्टर
डायरेक्टर एग्रीकल्चर पंजाब डॉ. जसबीर सिंह बैंस ने बताया पंजाब में इस साल 9 दिसंबर तक 170 लाख टन परमल धान मंडियों में पहुंचा है। पिछले साल 9 दिसंबर तक 178 लाख टन धान मंडियों में आया था। पिछले साल मार्केट में परमल धान का कुल उत्पादन 179 लाख टन था। डॉ. जसबीर के अनुसार मौसमी बदलावों की वजह से गत वर्ष की तुलना में इस वर्ष धान का झाड़ कम रहा।