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City Center के भविष्य काे लेकर संशय बरकरार, पुनर्निर्माण की नहीं खुल पाई राह Ludhiana News

City Center Project का काम करीब 12 साल से बंद है। इससे सरियों पर जंग लग गया है। इनकी टेस्टिंग करके दोबारा से काम शुरू किया जा सकता है।

By Sat PaulEdited By: Published: Thu, 28 Nov 2019 11:08 AM (IST)Updated: Thu, 28 Nov 2019 11:08 AM (IST)
City Center के भविष्य काे लेकर संशय बरकरार, पुनर्निर्माण की नहीं खुल पाई राह Ludhiana News
City Center के भविष्य काे लेकर संशय बरकरार, पुनर्निर्माण की नहीं खुल पाई राह Ludhiana News

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। लुधियाना सिटी सेंटर घोटाले के मामले में कोर्ट का फैसला आ गया है। इस मामले में मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह सहित सभी आरोपितों को लुधियाना की सेशन कोर्ट ने बरी कर दिया है। उम्मीद जताई जा रही थी कि सेशन कोर्ट में केस का फैसला आने के बाद सिटी सेंटर के पुनर्निर्माण की प्रक्रिया एक बार फिर शुरू होगी और नगर सुधार ट्रस्ट दोबारा इसका काम शुरू करवा देगा, परंतु इस केस पर आए फैसले के बाद भी सिटी सेंटर पुनर्निर्माण की राह नहीं खुल पाई है।

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दरअसल, सिटी सेंटर मामले में ही इसका निर्माण करने वाली कंपनी ने नगर सुधार ट्रस्ट के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक अन्य याचिका दायर की हुई है, जो अभी विचाराधीन है। जानकारों का कहना है कि जब तक दिल्ली हाई कोर्ट द्वारा इस याचिका पर अपना फैसला नहीं सुनाया जाता तब तक सिटी सेंटर का पुनर्निर्माण नहीं किया जा सकता। अब सिटी सेंटर का भविष्य क्या होगा इसे लेकर संशय बरकरार है।

लुधियाना में सिटी सेंटर बनाने के लिए 1979 में योजना तैयार होने के बाद नगर सुधार ट्रस्ट ने शहीद भगत सिंह नगर के 475 एकड़ स्कीम में 26.44 एकड़ जमीन सिटी सेंटर के लिए रिजर्व रखी थी। इसके बाद 2005 में प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप के तहत इसे लेकर काम शुरू करने का फैसला हुआ। 2006 में काम शुरू हुआ और फिर 2007 में घोटाले की बात सामने आई।

मामला अदालत में पहुंच गया और इसके निर्माण का काम बंद हो गया। परंतु जब काम बंद हुआ तब तक पीपीपी मोड पर काम करने वाली कंपनी करीब 200 करोड़ रुपये खर्च कर चुकी थी। इसी मामले को कंपनी दिल्ली हाई कोर्ट में ले गई। उधर, काम बंद हो जाने के बाद 12 सालों में जितनी इमारत बनी थी वह अब खंडहर में तब्दील हो चुकी है। जो निर्माण कार्य हुआ है उसके आसपास पूरी तरह से जंगल बन चुका है और लोगों ने वहां कूड़े के डंप बना दिए हैं।

सिटी सेंटर में मल्टीप्लेक्स और सिटी म्यूजियम बनने थे

सिटी सेंटर का कुल एरिया 10 लाख 70 हजार 553 वर्ग फुट है। यहां पार्किंग समेत 26 लाख 89 हजार 604 वर्ग फुट एरिया में निर्माण होना था। जिसके तहत मल्टीप्लेक्स, मॉर्डन शॉच्पग मॉल, सुपर मार्केट, आफिस, ट्रेड सेंटर, फूड प्लाजा, सिटी म्यूजियम, रीक्रिएशन सेंटर, आइटी सेंटर, हेल्थ सेंटर, बैंक, रिवाल्विंग रेस्टोंरेंट, एससीओ (शॉप कम आफिस) बनने थे। यहां 2300 कारों के लिए पार्किंग का निर्माण होना था।

इसी इमारत पर दोबारा निर्माण की 90 फीसद संभावना: गोयल

आर्किटेक्ट संजय गोयल का कहना है कि करीब 12 साल से काम बंद है। इससे सरियों पर जंग लग गया है। इनकी टेस्टिंग करके दोबारा से काम शुरू किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि इससे सिर्फ स्ट्रक्चर की लाइफ में 15 से 20 साल कम हो जाएगी। उन्होंने कहा कि अगर सिटी सेंटर के डिजायन में बदलाव न हो तो 90 फीसद चांस हैं कि इससे आगे काम शुरू किया जा सकता है।

ड्रीम प्रोजेक्ट का नहीं शुरू किया जा सकता काम

नगर सुधार ट्रस्ट के चेयरमैन रमन बाला सुब्रह्मण्यम का कहना है कि  सिटी सेंटर प्रोजेक्ट नगर सुधार ट्रस्ट का ड्रीम प्रोजेक्ट था। इस पर तेजी से काम हो रहा था। लेकिन तात्कालिक सरकार ने झूठे आरोप लगाकर इस प्रोजेक्ट को रोक दिया। कोर्ट ने अब फैसला सुना दिया है। परंतु निर्माण कंपनी की तरफ से अपना आर्थिक नुकसान वसूलने के लिए ट्रस्ट के खिलाफ दिल्ली हाई कोर्ट में एक याचिका दायर की हुई है। याचिका अभी विचाराधीन है। ऐसे में सिटी सेंटर का पुनर्निर्माण का काम शुरू नहीं किया जा सकता है।

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