किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बना दोराहा का किसान गुरमीत सिंह, सात सालों से जमीन में मिला रहे पराली
दोराहा के किसान गुरमीत सिंह 28 एकड़ जमीन में खेती करते हैं। उनका कहना है कि पराली को खेत में मिला देने से भूमि की उर्वरता बढ़ती है। गुरमीत सिंह गेहूं धान के अलावा सब्जियों मक्का गन्ने आदि की भी खेती करते हैं।
लुधियाना, जेएनएन। दोराहा के गांव मकसूदरा के किसान गुरमीत सिंह ने कृषि और किसान कल्याण विभाग की तकनीकों का इस्तेमाल कर अन्य किसानों के लिए प्रेरणा का स्त्रोत बन गए हैं। पिछले सात सालों से पराली को जलाने की बजाए उसे खेतों की जमीन में मिला फसल की लागत को कम कर रहे हैं। कुल 28 एकड़ जमीन में गुरमीत खेती करते हैं। खासबात यह है कि इसमें से 20 एकड़ जमीन ठेके पर उसके पास है।
इको-फ्रेंडली किसान गुरमीत ने कहा कि दो साल पहले वह खेतों में धान की कटाई के बाद कुदाल से गेहूं की बुआई करते थे, लेकिन अब वह हैप्पी सीडर के साथ गेहूं बो रहे हैं और इस तकनीक से काफी संतुष्ट हैं। गुरमीत के अनुसार उसकी गेहूं की पैदावार 20-24 क्विंटल है। अपने अनुभवों को साझा करते हुए किसान ने कहा कि पराली को बिना जलाए खेत में मिला देने से न केवल भूमि की उर्वरता बढ़ती है, बल्कि उर्वरकों के उपयोग को भी कम करती है। वह अब अनावश्यक जहर के उपयोग से भी बचते हैं। उन्होंने कहा कि फसल पर किसी तरह का रोग होने से कृषि और किसान कल्याण विभाग के अधिकारियों से सलाह लेने के बाद ही रसायन का उपयोग करते हैं।
किसान गुरमीत सिंह सहकारी सभा मकसूदरा के अध्यक्ष भी हैं और सहकारी सभा ने सब्सिडी पर इस साल कृषि और किसान कल्याण विभाग से सुपर सीडर खरीदा है। उन्होंने कहा कि इस साल वह सुपर सीडर के साथ गेहूं की बुआई करेगा। गुरमीत सिंह गेहूं, धान की पारंपरिक खेती के अलावा सब्जियों, मक्का, गन्ने आदि की खेती करते हैं। कृषि विभाग के अधिकारियों के कुशल मार्गदर्शन और उनके अथक प्रयासों के कारण किसान को कपास की सफल खेती का श्रेय दिया गया है। जबकि विभागीय अधिकारियों द्वारा किसान की इस पहल की सराहना की गई है। गांव के किसान इस पहल से बहुत खुश हैं। गुरमीत सिंह ने कहा कि उन्होंने कृषि के साथ-साथ पशुपालन भी किया है, जिसके तहत वे वेरका कोऑपरेटिव सोसाइटी में रोजाना 25-30 लीटर दूध का योगदान करते हैं और अच्छा लाभ कमा रहे हैं।