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मिन्नतों के बावजूद बुजुर्गों को नहीं मिला इलाज

जिले में बुधवार को भी सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों ने सिविल सर्जन दफ्तर में कामकाज ठप रखा और ओपीडी बंद करके हड़ताल पर रहे। हड़ताल की वजह से सबसे अधिक परेशानी बुजुर्गो को रही। शहर के अलग अलग इलाकों से सिविल अस्पताल की ओपीडी में इलाज की आस में पहुंचे करीब 50 से अधिक बुजुर्ग डाक्टरों के आगे मिन्नतें करते रहे लेकिन डाक्टरों ने उनकी नहीं सुनी।

By JagranEdited By: Published: Thu, 05 Aug 2021 07:47 AM (IST)Updated: Thu, 05 Aug 2021 07:47 AM (IST)
मिन्नतों के बावजूद बुजुर्गों को नहीं मिला इलाज
मिन्नतों के बावजूद बुजुर्गों को नहीं मिला इलाज

जागरण संवाददाता, लुधियाना: जिले में बुधवार को भी सरकारी अस्पतालों के डाक्टरों ने सिविल सर्जन दफ्तर में कामकाज ठप रखा और ओपीडी बंद करके हड़ताल पर रहे। हड़ताल की वजह से सबसे अधिक परेशानी बुजुर्गो को रही। शहर के अलग अलग इलाकों से सिविल अस्पताल की ओपीडी में इलाज की आस में पहुंचे करीब 50 से अधिक बुजुर्ग डाक्टरों के आगे मिन्नतें करते रहे, लेकिन डाक्टरों ने उनकी नहीं सुनी। हड़ताल का हवाला देकर डाक्टरों ने बुजुर्गों के दर्द को कम करने से साफ मना कर दिया गया। परेशानियां झेलते हुए इलाज की आस लिए आटो व रिक्शे में अस्पताल पहुंचे बुजुर्ग घर लौटने को तैयार नहीं थे। मुलाजिमों ने बुजुर्गो को कहा कि वह घर लौट जाएं, तो उनका कहना था कि घर लौटकर भी तो दर्द से तड़पना ही है तो इससे अच्छा अस्पताल में ही तड़पते रहे। सुबह से लेकर ओपीडी बंद होने तक कई बुजुर्ग डाक्टरों के रूम के बाहर बैठे रहे।

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एक माह में लगे 1500 रुपये, पर काम नहीं हुआ

बैसाखी के सहारे अस्पताल पहुंचे अपने दर्द को बयां करते हुए शिमलापुरी के रहने वाले 64 वर्षीय दविदर सिंह ने बताया कि पिछले एक महीने से दिव्यांगता सर्टिफिकेट बनवाने के लिए आ रहे हैं। हर तीसरे दिन अस्पताल आते हैं। शिमलापुरी से अस्पताल आने में करीब 200 रुपये लग जाते हैं। एक महीने के दौरान करीब 1500 रुपये तो किराए पर खर्च हो चुके हैं। ओर्थों के डाक्टर ने कहा गया कि सर्टिफिकेट बनवाने की जल्दी है, तो डीसी आफिस में सुविधा केंद्र में चले जाओं। यहां कुछ नहीं होना।

बुजुगरें पर रहम करने को कहा

दिखाई न देने की शिकायत के साथ सुबह नौ बजे आटो में भामियां से अस्पताल पहुंचे 86 वर्षीय मनोहर लाल भी डाक्टरों की हड़ताल से काफी दुखी दिखे। मनोहर लाल ने कहा कि चार दिन से रोजाना 120 रुपये खर्च करके सिविल अस्पताल आ रहे हैं, लेकिन उन्हें डाक्टर नहीं मिल रहे हैं। आंखों की डाक्टर अपनी ओपीडी में ही बैठी होती हैं, लेकिन बाहर बैठी महिला हड़ताल की बात कहते हुए डाक्टर से मिलने नहीं देती। डाक्टरों को कम से कम बुजुर्गों पर तो रहम करना चाहिए।

डाक्टर ने एक्सरे देखने से किया मना

पैरों में दर्द की शिकायत से जूझ रहे अमरपुरा के रहने वाले अशोक कुमार ने कहा कि 12 जुलाई को उन्होंने एक्सरे करवाया था। तब से आज तक हड्डियों के डाक्टरों को मिलने के लिए रोज आ रहे हैं। बीच में डाक्टर ओपीडी में बैठे रहे थे तो भीड़ इतनी थी कि वह डाक्टर तक नहीं पहुंच पाए। फिर हड़ताल की वजह से डाक्टर ओपीडी में मिलने बंद हो गए। दर्द लगातार बढ़ रहा है। आज स्किन डिपार्टमेंट की ओपीडी में हड्डियों के डाक्टर अदित्य बैठे हुए थे। उनसे एक्सरे देखकर दवा देने को लेकर बड़ी मिन्नतें की, लेकिन उन्होंने कहा कि हड़ताल है तो इलाज नहीं कर सकते।

चोट से पैर में आई सूजन, इलाज नहीं मिला

दूसरी तरफ ग्यासपुरा के रहने वाले 55 वर्षीय प्रकाश कुमार ने कहा कि एक सप्ताह पहले चोट लग गई थी। तब डा. अमनप्रीत को दिखाया था। अब चोट की वजह से पैरों में सूजन आ गई है। चल फिर नहीं पा रहा हूं। चार दिन से जैसे तैसे अस्पताल आ रहा हूं, लेकिन डाक्टर नहीं मिल रहे।


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