टिड्डी दल से निपटने को विभाग ने टीमें बनाई, जुलाई-अगस्त में हमले की संभावना
फिलहाल पंजाब टिड्डयों के हमले से बच गया है लेकिन जुलाई और अगस्त में पंजाब में बाहरी देशों से आने वाले टिड्डी दलों से नुकसान हो सकता है।
जगराओं, [बिंदु उप्पल]। पहले कोरोना महामारी ने और अब टिड्डी दल के संभावित हमले ने किसानों को चिंता में डाल दिया है। पंजाब कृषि विश्वविद्यालय के कीट विज्ञान विभाग के प्रमुख डॉ. प्रदीप कुमार छुनेजा ने कहा कि फिलहाल पंजाब टिड्डयों के हमले से बच गया है, लेकिन जुलाई और अगस्त में पंजाब में बाहरी देशों से आने वाले टिड्डी दलों से नुकसान हो सकता है।
वहीं, कीट वैज्ञानिक डॉ. पीके छुनेजा ने बताया कि इस बार 30 अप्रैल 2020 को भारत में पहली बार राजस्थान में पाकिस्तान से टिड्डी दलों का आना हुआ। तब राजस्थान व पंजाब के फाजिल्का में प्रशासनिक प्रयासों से इनपर कंट्रोल कर लिया था, तबसे इनकी मूवमेंट जारी है। ऐसे में हरियाणा से रविवार को यूपी की ओर से रुख कर लिया है। अभी पंजाब में आने की संभावना बहुत कम है, लेकिन जुलाई व अगस्त में आने की संभावना है। दूसरी तरफ, जिला खेतीबाड़ी अफसर व नोडल अफसर डॉ. नरिंदर सिंह बैनीपाल ने बताया कि सूबे में टिड्डी दलों के हमले से निपटने के लिए पूरी तैयारियां हो चुकी हैं। सूबा स्तरीय, जिला व ब्लॉक स्तरीय टीमें बन चुकी हैं और सभी टीमों को मॉक ड्रिल माध्यम से प्रशिक्षण भी दे रहे हैं। पीएयू व पंजाब सरकार के निर्देशों अनुसार हर प्रबंध किए गए हैं।
गांव-गांव कर रहे हैं जागरूक : डॉ. गुरदीप सिंह
ब्लॉक खेतीबाड़ी अफसर जगराओं डॉ. गुरदीप सिंह ने बताया कि टिड्डी दल के हमले से फसलों को बहुत नुकसान पहुंचता है। यह सूरज निकलने के बाद दो-तीन घंटे के भीतर अपनी उड़ान शुरू करती है और शाम को सूरज डूबने तक यह नीचे उतरना शुरू कर देती है। शाम को यह ऊंचे पेड़ों व फसलों पर फैल सकती है। ऐसे में गांव वालों को सूचित किया कि जब भी टिड्डी दलों के हमले की आशंका हो तो अधिक से अधिक बर्तन, ढोल व ट्रैक्टरों के माध्यम से शोर करें और इन्हें नीचे उतरने नहीं दें, तभी हम इस खतरे से बच सकते हैं।
यह है टिड्डी
कीट वैज्ञानिक डॉ. पीके छुनेजा ने बताया कि जब मौसम बहुत अनुकूल होता है, तो इसमें आबादी बढ़ाने की प्रबल शक्ति होती है। इनकी वर्ष में तीन सीजन सर्दी में पूर्वी अफ्रीका, इथोपिया, कीनिया, सोमालिया, बसंत ऋतु में ईरान व पाकिस्तान व ग्रीष्म ऋतु में पाकिस्तान व इंडो-पाकिस्तान में आबादी बढ़ती है। टिड्डी एक प्रवास करने वाला व बहुत तबाही करने वाला कीड़ा है। यह झुंडों में हमला करते है और वनस्पति को बहुत नुकसान पहुंचाते हैं। अनुकूल मौसम टिड्डयों की गिनती बहुत बढ़ जाती है और इसके झुंड दूर-इलाकों, देशों में फैल जाते हैं। डॉ. छुनेजा ने कहा कि टिड्डयों को रेतीली मिट्टी व नमी चाहिए होती है, लेकिन अब राजस्थान में नहरें और सिंचाई सुविधाएं व खेती होनी शुरू हो गई है। ऐसे में उनको आबादी के लिए अनुकूल जगह बहुत कम है। कुछेक जगह जोधपुर, जैसलमेर में है, जहां उनको आबादी बढ़ाने के लिए उचित जगह न मिलना भी एक अच्छी बात है।