बेटे-बेटियों ने पिता से मिले हौसले से पाई कामयाबी, न्यौछावर किया प्यार
अंतरराष्ट्रीय पितृ दिवस पर बेटे-बेटियों ने अपने जीवन में पिता के मिले मार्गदर्शन पर अपनी भावनाएं साझा की।
लुधियाना : अंतरराष्ट्रीय पितृ दिवस पर बेटे-बेटियों ने अपने जीवन में पिता के मिले मार्गदर्शन पर अपनी भावनाएं साझा की। उन्होंने इस दिवस पर पिता के प्रति स्नेह को दर्शाया और जिंदगी में कामयाब बनाने और हर इच्छाएं पूरी करने के लिए धन्यवाद किया। पेश हैं उनके विचार।
मैं और मेरी बहन स्वाति पापा राजेश की दो बेटियां हैं पर पापा ने कभी हमें बेटों से कम नहीं समझा। उन्होंने हमेशा आगे बढ़ने की प्रेरणा दी। काम में व्यस्त होने के कारण वह चाहे मेरे स्कूल की पेरेंट्स मीटिग अटेंड नहीं कर पाते थे पर प्राइज डिस्ट्रीब्यूशन फंक्शन में अपना काम छोड़कर जरूर पहुंच जाते थे। उस समय उनके चेहरे की खुशी देखने लायक होती थी। मैं कोई भी चीज मांगू वे हमेशा लाकर देते हैं। पापा दिखने में बाहर से थोड़े सख्त हैं और हमेशा अनुशासन में रहने की सीख देते हैं पर अंदर से वह बहुत ही नरम हैं। मुझे और मेरी बहन स्वाति को वह बहुत प्यार करते हैं। मेरी भगवान से प्रार्थना है कि मुझे हर जन्म में ऐसे ही पापा मिलें।
- चाहत भंडारी, लॉ स्टूडेंट पापा के प्यार में असर बहुत है..
मंजिल दूर और सफर बहुत है, छोटी सी जिदगी की फिक्र बहुत है। मार डालती ये दुनिया कब की हमें, लेकिन पापा के प्यार में असर बहुत है। सारा जहां है वो जिनकी उंगली पकड़कर चलना सीखा मैंने, मेरे प्यारे पापा हैं वो, जिनको देखकर जीना सीखा मैंने। ढ्ढरुश्र1द्ग ङ्घश्रह्व क्कड्डश्चड्ड, ॥ड्डश्चश्च4 स्नड्डह्लद्धद्गह्म'ह्य ष्ठड्ड4 !!
-मीना शर्मा पिता से सीखा त्याग और मेहनत करना
हर कोई मातृ दिवस के बारे में जानता है और हर्ष के साथ उस दिन को सेलिब्रेट भी करता है, पर पिता के दिन को बहुत कम ही लोग मनाते हैं। ऐसा क्यों है? दोनों की जिम्मेदारी हमारे प्रति अलग-अलग है। मां हमारी दशकों तक देखभाल करती है, इसके विपरीत पिता परिवार चलाने की जिम्मदारी निभाते हैं। यही कारण है कि हम पिता के प्यार का अहसास नहीं कर पाते। पिता का प्यार मां की तरह दिखता नहीं है, लेकिन पिता ही हमें अंदर से मजबूत बनाते हैं और दुनिया में अच्छे-बुरे की परख हमें पिता ही देते है। बेटे अपने पिता को देखकर बड़े होते हैं। त्याग, मेहनत, पिता से सीखते हैं। आज में जो भी हूं वो उनके मार्गदर्शन के बिना संभव नहीं था।
विनय त्रिपाठी, गगन नगर, लुधियाना