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लुधियाना के विधायक सिमरजीत बैंस को बड़ा झटका! अदालत ने दुष्कर्म के आरोप में FIR दर्ज करने के दिए आदेश

लुधियाना में दुष्कर्म के मामले में अदालत ने लोक-इंसाफ पार्टी के प्रमुख सिमरजीत सिंह बैंस आत्म नगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया है। महिला ने आरोप लगाया है कि बैंस ने उसकी सामाजिक और आर्थिक कमजोरी का फायदा उठाकर उसके साथ दुष्कर्म किया।

By Vinay KumarEdited By: Published: Wed, 07 Jul 2021 08:34 PM (IST)Updated: Thu, 08 Jul 2021 06:19 AM (IST)
लुधियाना के विधायक सिमरजीत बैंस को बड़ा झटका! अदालत ने दुष्कर्म के आरोप में FIR दर्ज करने के दिए आदेश
लुधियाना में महिला से दुष्कर्म के मामले में अदालत ने विधायक बैंस के खिलाफ केस दर्झ करने के दिए आदेश।

लुधियाना [रजनीश लखनपाल]। लुधियाना में अतिरिक्त चीफ ज्यूडीशियल मजिस्ट्रेट हरसिमरनजीत सिंह की अदालत ने स्थानीय पुलिस को 44 वर्षीय महिला की शिकायत पर लोक-इंसाफ पार्टी के प्रमुख सिमरजीत सिंह बैंस, आत्म नगर विधानसभा क्षेत्र के विधायक के खिलाफ एफआइआर दर्ज करने का आदेश दिया है। अदालत ने आदेश सुनाते हुए कहा, 'लगता है इस मामले में पलीस ने आंखें ही मूंद ली। इस अदालत की चिंता का वास्तविक कारण यह है कि क्या यौन शोषण की एक दुखी और गरीब पीड़िता अदालत में शिकायत दर्ज करके शक्तिशाली और साधन संपन्न आरोपितों के खिलाफ सबूत इकट्ठा कर सकती व न्याय पाने की उम्मीद की जा सकती है। यदि मामला दर्ज करने की कार्रवाई का निर्देश नहीं दिया जाता है, तो शिकायतकर्ता का पूरा मामला चरमरा जाएगा और यह न्याय की विफलता के समान होगा'। 16 नवंबर, 2020 को महिला ने लुधियाना के विधायक बैंस, कमलजीत सिंह, बलजिंदर कौर, जसबीर कौर उर्फ ​​भाभी, सुखचैन सिंह, परमजीत सिंह उर्फ ​​पम्मा, गोगी शर्मा के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने के लिए पुलिस आयुक्त लुधियाना को एक हस्तलिखित आवेदन दिया था। वह न्याय की मांग को लेकर पुलिस आयुक्त कार्यालय के बाहर काफी देर तक लगातार धरने पर बैठी रहीं।

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लेकिन जब कोई प्राथमिकी दर्ज नहीं की गई, तो महिला ने प्राथमिकी दर्ज करने के निर्देश की मांग करते हुए एक स्थानीय अदालत का रुख किया। लेकिन न्यायिक मजिस्ट्रेट पलविंदर सिंह की अदालत महिला की दलीलों से सहमत नहीं थी और उसे अदालत में सबूत पेश करने का आदेश दिया। उस आदेश के खिलाफ, महिला ने अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश राज कुमार गर्ग की अदालत के समक्ष पुनरीक्षण याचिका दायर की थी, जिसने निचली अदालत के आदेश पर पुनर्विचार करने और नए आदेश पारित करने के निर्देश को रद कर दिया था। अब वकील हरीश राय ढांडा और परमिंदर सिंह लड्डी की दलीलों से आश्वस्त होकर अदालत ने आज प्राथमिकी दर्ज कर जांच के आदेश दिए। महिला ने अपनी शिकायत में आरोप लगाया है कि वह एक संपत्ति विवाद में विधायक के संपर्क में आई थी लेकिन वह फंस गई थी। उसने दावा किया कि उसे बार-बार फोन कॉल और कई व्हाट्सएप संदेश मिले और कई बार उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने और बार-बार दुष्कर्म किया।

महिला ने आरोप लगाया है कि बैंस ने उसकी सामाजिक और आर्थिक कमजोरी का फायदा उठाकर उसकी मदद करने का झांसा देकर उसके साथ बार-बार दुष्कर्म किया। उसने यह भी आरोप लगाया कि विधायक के भाई ने भी उसके साथ शारीरिक संबंध बनाने के लिए बार-बार कॉल और कई व्हाट्सएप संदेश देना शुरू कर दिया। याचिकाकर्ता के अनुसार, उसके भाई और पिता को लगातार फोन पर धमकाया जा रहा था और विधायक के करीबी सहयोगियों द्वारा व्यक्तिगत रूप से भी संपर्क किया जा रहा था। यह आरोप लगाते हुए कि उसकी शिकायत पर कोई कार्रवाई नहीं की गई है, याचिकाकर्ता ने कहा कि पंजाब सरकार और पुलिस विधायक को उनके राजनीतिक दबदबे के कारण संरक्षण प्रदान कर रही है। पुलिस आयुक्त, संयुक्त आयुक्त अश्विनी गोत्याल और एसएचओ के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई नहीं करने के लिए प्राथमिकी की मांग करने वाली महिला द्वारा आइपीसी की धारा 166-ए (लोक सेवक जानबूझकर कानून की अवहेलना) के तहत एक आवेदन भी 15 जुलाई को अदालत में लंबित है।


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