Corona warriors का घटने लगा सम्मान, न फूल बरसे और न कोई विदा करने आया
कोरोना से लड़ने वाले दो वार्ड बॉय रवि तिवारी राजकुमार वार्ड अटेंडेंट पूजा मसीह और अनीता जब स्वस्थ होकर निकले तो उन पर न फूल बरसे न कोई बाहर तक विदा करने आया।
लुधियाना, [भूपेंद्र सिंह भाटिया]। कोरोना महामारी में जिला प्रशासन के अधिकारियों ने फ्रंटलाइन पर इसके खिलाफ जंग में योगदान दिया। दूसरी तरफ इस दौरान नया ट्रेंड देखने को मिला। मरीज जब इस महामारी को हराकर अस्पताल से बाहर आए तो स्टाफ कर्मियों ने तालियां बजाकर उनकी हौसला अफजाई की। शुभकामनाओं के साथ उन्हें विदा किया। कई बार तो कोरोना को मात देकर अस्पताल से निकलने वाले पुरुष व महिला पुलिस अफसरों पर फूलों की वर्षा के साथ ही उन्हें गुलदस्ते भी भेंट किए गए। उन्हें कोरोना वॉरियर्स की संज्ञा दी गई। अब जैसे-जैसे दिन सामान्य होते जा रहे हैं, वॉरियर्स का सम्मान घटता जा रहा है। कोरोना से लड़ने वाले दो वार्ड बॉय रवि तिवारी, राजकुमार, वार्ड अटेंडेंट पूजा मसीह और अनीता जब स्वस्थ होकर निकले तो उन पर न फूल बरसे, न कोई बाहर तक विदा करने आया। कहीं न कहीं उन्हें इस बात का दुख रहेगा कि उन्हें उचित सम्मान नहीं मिला।
फ्लैग मार्च में थके एएसआइ
कोरोना से जंग लड़ते हुए पुलिस प्रशासन ने कड़ी मेहनत की। जरूरतमंदों को राशन, मास्क, सैनिटाइजर आदि बांटने के अलावा लॉ एंड ऑर्डर बनाए रखा। उन्होंने दिन-रात एक की। कुछ तो कोरोना के कारण अपने परिवार के पास भी नहीं गए। वे पत्नी-बच्चों से दूर रहे। अब दिन सामान्य हो रहे हैं तो उनकी ड्यूटी में राहत दी जा रही है। इस बीच लोगों को कोरोना के खिलाफ जागरूक करने के उद्देश्य से हैबोवाल क्षेत्र में फ्लैग मार्च निकाला गया। लोगों ने तालियां बजाकर पुलिस वालों का स्वागत किया। तभी फ्लैग मार्च में शामिल एक एएसआइ की पैदल चलते हुए बस हो गई। भारी शरीर होने के कारण उनसे चल पाना मुश्किल हो गया। भूरी वाले गुरुद्वारा साहिब से थाना हैबोवाल तक फ्लैग मार्च था। एएसआइ बीच से ही निकल गए। एक खबरनवीस ने यह देख लिया। तभी एएसआइ ने जवाब दिया कि फ्लैग मार्च ने तां बस करवा दित्ती।
सम्मान से वंचित असल हकदार
कोरोना के दौरान जान की परवाह न करते हुए उल्लेखनीय योगदान देने वाली शख्सियतों को संस्थाओं की तरफ से सम्मानित किया। हालांकि सम्मान के असल हकदार डॉक्टर, नर्सेज, मेडिकल स्टाफ हैं, जो लगातार आइसोलेशन सेंटर में जोखिम उठाकर काम करते रहे, लेकिन ऐसे लोगों को सम्मानित करने के लिए न के बराबर ही लोग आगे आए। संस्थाओं ने उन लोगों को सम्मानित किया, जिन्होंने कुछेक मास्क या गिने-चुने लोगों को राशन बांटा। इनके अलावा सम्मान पाने वालों में वे लोग भी थे जिन्होंने महामारी से लड़ने के लिए किया कुछ नहीं, मगर संस्थाओं के नजदीकी संपर्क में रहे। इसी कारण उन्हें भी सर्टिफिकेट दे दिए गए। बस फिर क्या था, फेसबुक पर सम्मानित होने की तस्वीरें डाली जाने लगीं। इस पर डॉक्टर अश्विनी मल्होत्र ने कहा कि सम्मान के असली हकदार तो चिकित्सक और अस्पताल का मेडिकल स्टाफ था, लेकिन वह इससे वंचित रहे।
एक चालान की राशि गोल
इन दिनों लॉकडाउन का उल्लंघन करने वालों के पुलिस दनादन चालान काट रही है। मौके पर जुर्माना राशि ली जा रही है। घंटाघर में तैनात एक पीसीआर पुलिस कर्मी की ड्यूटी खत्म हुई। उसने दो-दो सौ रुपये के छह चालान की राशि ड्यूटी पर आने वाले पीसीआर कर्मी को थमाई। चालान बुक देकर वह अपने घर के लिए रवाना हो गया। उधर, जब ड्यूटी पर पहुंचे नए पीसीआर कर्मी विजय ने चालान बुक चेक की तो उसने सात चालान कटे पाए। उसने तत्काल साथी को फोन करके कहा कि उसने सात चालान काटे हैं, लेकिन राशि छह की दी है। इस पर उसने साथी को बताया कि उसके पास चालान की कोई राशि नहीं है। विजय ने उसे जेब चेक करने को कहा, मगर वह माना ही नहीं। अब वह चिंता में पड़ते हुए बोला कि एक चालान की राशि गोल हुई तो उसे अपनी जेब से ही देनी पड़ेगी।