कोरोना को हराकर बोले अली हसन, हौसले व इच्छाशक्ति से पाई जीत, स्वास्थ्य कर्मचारियों का करें सहयोग
अली हसन ने कहा कि वह अपने भाईचारे से अपील करेंगे कि अगर स्वास्थ्य कर्मी उन्हें जांच के लिए घर लेने आ रहे हैं तो सहयोग करें। वह हमारे और परिवार के जीवन को सुरक्षित करने आ रहे हैं।
लुधियाना, [आशा मेहता]। कोरोना वायरस को मात देने वाले अली हसन ने स्वास्थ्य विभाग के कर्मचारियों व डॉक्टरों की काफी तारीफ की। लुधियाना के चौंकीमान निवासी 55 वर्षीय अली हसन को सिविल अस्पताल से छुट्टी मिली चुकी है। दैनिक जागरण से विशेष बातचीत में अली हसन ने बताया कि चार अप्रैल को जब सेहत विभाग की टीम ने मुझे मेरे घर से उठाया, उस दिन लगा कि अन्याय हो रहा है। आधी रात में पुलिस की मौजूदगी में सेहत विभाग की टीम एंबुलेंस में बिठाकर सिविल अस्पताल लाई। परिवार को भी सिविल अस्पताल में भर्ती करवा दिया। हालांकि परिवार के दूसरे सदस्यों के टेस्ट निगेटिव आने के बाद उन्हें छुट्टी दे दी गई। दो दिन तक काफी गुस्से में रहा कि जब मैं स्वस्थ हूं तो मुझे अस्पताल क्यों लाए। अस्पताल स्टाफ को कोसता रहा, लेकिन, जब मेरी रिपोर्ट पॉजिटिव आई तो यकीन नहीं हुआ कि मुझे यह बीमारी लग गई है। तब मैंने पहले अल्लाह का शुक्रिया किया और फिर उन सेहत कर्मियों का, जो मुझे सिविल अस्पताल लाए।
अली हसन ने बताया कि सिविल अस्पताल के डॉक्टरों का जितना आभार व्यक्त करू, कम होगा। अस्पताल के स्टाफ ने मुझे बेहतर इलाज दिया। सारा स्टाफ बीमारी से लड़ने को प्रेरित करता था। जितने दिन अस्पताल रहा, अल्लाह की इबादत की और कुरान पढ़ा। हमेशा यही सोचता था कि बीमारी को मात देकर परिवार से मिलना है और आखिरकार मैंने हौसले और मजबूत इच्छाशक्ति से कोरोना को मात दे दी। घर आकर खुश हूं। डॉक्टरों ने 14 दिन तक एहतियात बरतने को कहा है। मास्क पहनने और लोगों से दूर से ही मिलने को कहा। इसका मैं जरूर पालन करूंगा।
भाईचारे से यही अपील, स्वास्थ्य कर्मियों को सहयोग करें
अली हसन ने कहा कि वह अपने भाईचारे से यही अपील करेंगे कि अगर स्वास्थ्य कर्मी उन्हें जांच के लिए घर लेने आ रहे हैं, तो उनका सहयोग करें। वह हमारे और परिवार के जीवन को सुरक्षित करने आ रहे हैं। उनके साथ बदसुलूकी करना या हाथापाई करना उचित नहीं है। अगर किसी में कोरेाना वायरस के संक्रमण के लक्षण दिखे तो खुद अस्पताल जाकर अपनी जांच करवाएं।
आहत हूं, चार गांवों ने परिवार का बायकॉट कर दिया
अली ने कहा कि जिस दिन गांव चौकीमान में मेरे कोरोना पॉजिटिव होने की खबर पहुंची, तो पूरे गांव वालों ने परिवार का बायकॉट कर दिया। रिपोर्ट निगेटिव आने के बाद जब पत्नी, बेटा व बेटी घर आए तो लोगों ने अलग थलग कर दिया। यहां तक कि गांव के एक नामवर शख्स ने परिवार के साथ बुरा सुलूक किया और चार गांवों के लोगों को हमारे यहां से दूध लेने से मना कर दिया। हम दूध बेचकर परिवार का पेट पालते हैं। दूध की बिक्री बंद हुई तो परिवार ने मांगकर गुजारा किया। मेरी लोगों से अपील है कि मैंने कोरोना को हराया है, अब तो भेदभाव न करें।
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