लुधियाना विधानसभा चुनाव : कांग्रेस में नहीं बनी सहमति, पांच सीटों में पेंच बरकरार
एक सप्ताह पहले शनिवार को ही कांग्रेस ने जिले की 14 सीटों में से नौ की घोषणा की थी। उस समय पांच सीटों पर सहमति न बनने और बगावत की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने उनकी घोषणा बाद में करने की बात कही थी। शनिवार सुबह से ही टिकट के दावेदारों की धड़कनें बढ़ी थी क्योंकि पार्टी ने पांच सीटों की घोषणा करनी थी लेकिन देर रात तक इस पर फैसला नहीं हो पाया।
भूपेंदर सिंह भाटिया, लुधियाना : एक सप्ताह पहले शनिवार को ही कांग्रेस ने जिले की 14 सीटों में से नौ की घोषणा की थी। उस समय पांच सीटों पर सहमति न बनने और बगावत की आशंका को देखते हुए कांग्रेस ने उनकी घोषणा बाद में करने की बात कही थी। शनिवार सुबह से ही टिकट के दावेदारों की धड़कनें बढ़ी थी, क्योंकि पार्टी ने पांच सीटों की घोषणा करनी थी, लेकिन देर रात तक इस पर फैसला नहीं हो पाया। कांग्रेस हाईकमान को डर है कि जिन दावेदारों को टिकट नहीं मिलती, वह बगावत कर दूसरे दल में शामिल न हो जाएं, क्योंकि इस विधानसभा चुनाव में इस बार ऐसा ही देखने को मिल रहा है।
गिल से विधायक वैद के नाम पर रोक
इस सीट से विधायक कुलदीप सिंह वैद के खिलाफ स्थानीय नेताओं की बगावत होने की संभावना को देखते हुए इस पर रोक लगा दी गई है। हालांकि यह भी चर्चा है कि पार्टी वैद को जगराओं सीट में भेजना चाहती है, लेकिन वह इसके लिए तैयार नहीं है, जबकि स्थानीय कांग्रेसी नेता बलबीर बाड़ेवाल टिकट के लिए अड़े हुए हैं। इसके अलावा डिप्टी मेयर के पति जरनैल सिंह शिमलापुरी ने भी दावा ठोंका हैं। इस सीट पर सहमति न बनते देखे फिलहाल इसे रोक दिया गया है।
सबसे ज्यादा विरोध की आशंका समराला में
साहनेवाल के अलावा सबसे ज्यादा विरोध की संभावना समराला सीट पर है। यहां पिछले चार बार के विधायक अमरीक सिंह ढिल्लों अपने पोते करणवीर ढिल्लों को अपने स्थान पर उतारना चाहते हैं। स्वास्थ्य साथ न देने के कारण उन्होंने अपने बेटे के लिए पार्टी हाईकमान से टिकट की मांग की है, ताकि उसे राजनीति में वारिस के रूप में उतारा जा सके। उन्हें मुख्यमंत्री और प्रदेश कांग्रेस प्रधान का भी समर्थन प्राप्त है, लेकिन चार अन्य मजबूत दावेदार इस बात पर अड़े हैं कि यदि अमरीक ढिल्लों को टिकट दिया जाए तो वह उनके साथ हैं, लेकिन परिवारवाद को प्रोत्साहन देते हुए उनके पोते को टिकट दी जाती है तो यह समराला के अन्य वरिष्ठ कांग्रेसियों के साथ अन्याय होगा, जो उन्हें स्वीकार नहीं है। आढ़ती एसोसिएशन के प्रधान तेजिदर सिंह कून्नर, गुरमुख सिंह चाहल इनमें प्रमुख हैं। कुन्नर लुधियाना के सांसद रवनीत बिट्टू और गुरकीरत कोटली के मामा है। उन्होंने स्पष्ट कहा है कि अमरीक ढिल्लों के अलावा उनके परिवार का कोई अन्य उन्हें स्वीकार नहीं होगा।
साहनेवाल से हैं 31 दावेदार
जिन पांच सीटों की अभी कांग्रेस घोषणा नहीं कर पाई है, उसमें सबसे ज्यादा दावेदार साहनेवाल सीट से हैं, जहां 31 दावेदार हैं। यह सीट पिछले दो बार से शिअद के खाते में ही है और शरणजीत सिंह ढिल्लों मजबूत दावेदार हैं। कांग्रेस की ओर से साहनेवाल से पिछले चुनाव में हारने वाली सतविदर कौर बिट्टी प्रमुख दावेदार हैं। जिन 31 उम्मीदवारों ने यहां से आवेदन किया है, जिनमें पूर्व पार्षद पाल सिंह, पूर्व मुख्यमंत्री राजिदर कौर भट्ठल के दामाद बिक्रम बाजवा, खन्ना के कांग्रेस प्रधान रुपिदर सिंह राजा गिल और एनएसयूआइ के पूर्व प्रदेश प्रधान इकबाल सिंह ग्रेवाल प्रमुख हैं। ये अपने-अपने नेताओं के मार्फत हाईकमान पर अपनी पहुंच बना रहे हैं। यही कारण है कि इस सीट पर अभी तक फैसला नहीं हो पाया।
लुधियाना दक्षिण से दस दावेदारों का आवेदन
लुधियाना दक्षिण सीट पर सबसे बड़ा पेंच फंसा है। यह सीट लोक इंसाफ पार्टी के खाते में थी, लेकिन इस बार यहां से दस दावेदारों ने आवेदन किया है। इनमें लुधियाना की डिप्टी मेयर परमजीत कौर शिमलापुरी मुख्य रूप से दावा कर रही हैं। इनके अलावा वरिष्ठ कांग्रेस नेता ईश्वरजोत चीमा, परविदर लापड़ा और केके बावा अपनी दावेदारी ठोक रहे हैं। जबकि हाल ही में बनाए गए चार नए जिला कार्यकारी प्रधान में से एक निक्की रयात भी दावा कर रही हैं। सबसे पहले यहां पूर्व जिला प्रधान गोगी का नाम सामने आया था, लेकिन उन्होंने टिकट कटता देख आम आदमी पार्टी का दामन थाम लिया।
जगराओं के लिए मशक्कत जारी
कभी कांग्रेस का गढ़ माने जाने वाली इस सीट से पिछली बार आप उम्मीदवार सरबजीत कौर माणूके ने जीत दर्ज की थी, लेकिन इस पर कांग्रेस में बगावत के आसार नजर आ रहे हैं। वैसे तो यहां से आवेदन काफी हुए हैं, लेकिन मुख्य छह दावेदार हैं। पिछले चुनाव में रायकोट से आम आदमी पार्टी की टिकट से जीत दर्ज करने वाले जगतार सिंह हिस्सोवाल पिछले दिनों कांग्रेस में शामिल हो गए और वह जगराओं से अपनी दावेदारी रख रहे हैं। इनके अलावा एनआरआइ अवतार सिंह चीमना, पूर्व केंद्रीय गृहमंत्री बूटा सिंह की बेटी एडवोकेट गुरकीरत कौर, दलित नेनेता गेजा राम, 2012 में बागी चुनाव लड़ने वाले राजेशइंदर सिंह सिद्धू और जगराओं के पुराने मंजे नेता मलकीत सिंह दाखा शामिल हैं। अब पार्टी के सामने एक अनार सौ बीमार की स्थिति है और वह किसे टिकट दे और किसे न दे, इस पर मशक्कत जारी है।