virtual कार्यक्रम में कांग्रेस नेता बाेले-कैप्टन साहब, सानूं वी पटियाले वरगा प्यार दे दिओ...
मजेदार बात यह रही कि मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह जब कार्यक्रम को संबोधित करने लगे तो उन्होंने यूथ नेता का सम्मान करते हुए कहा कि रोपड़ हमारे लिए वैसा ही महत्वपूर्ण है जैसे अन्य शहर। इसलिए इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा।
लुधियाना, [भूपेंदर सिंह भाटिया]। मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह का स्नेह पाने के लिए पार्टी के नेता लालायित रहते हैं। शहरी वातावरण सुधार कार्यक्रम फेज-2 के वर्चुअल उद्घाटन में मुख्यमंत्री के साथ यूथ कांग्रेस के प्रदेश प्रधान बरिंदर सिंह ढिल्लों भी बैठे थे।
कार्यक्रम के दौरान ही एक यूथ नेता ने रोपड़ के विकास की मांग करते हुए कहा कि कैप्टन साहब, सानूं वी पटियाले वरगा प्यार दे दिओ। फिर उसने तपाक से कहा कि पटियाले वरगा नहीं ते, थोड़ा घट ही दे दिओ, पर दे दिओ। उनकी इस बात पर कैप्टन मुस्कुराने लगे। यह प्रोग्राम पूरे प्रदेश में चल रहा था और कार्यक्रम को लाइव देख रहे लोग व अधिकारी भी हंसने लगे। मजेदार बात यह रही कि कैप्टन जब कार्यक्रम को संबोधित करने लगे तो उन्होंने यूथ नेता का सम्मान करते हुए कहा कि रोपड़ हमारे लिए वैसा ही महत्वपूर्ण है, जैसे अन्य शहर। इसलिए इसका पूरा ख्याल रखा जाएगा।
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जाखड़ की कनेक्टिविटी गड़बड़
कोविड 19 से जूझते हुए प्रदेश सरकार ने वातावरण सुधार कार्यक्रम फेज-2 के तहत काम करने की ठानी। इसके लिए बाकायदा पूरे तामझाम के साथ प्रदेश भर में वर्चुअल उद्घाटन हुए, लेकिन कांग्रेस के कुछ बड़े नेता शामिल नहीं हुए। सैकड़ों स्थानों से मंत्री, विधायक व कांग्रेसी जुटे, लेकिन पूर्व कैबिनेट मंत्री नवजोत सिंह सिद्धू और प्रदेश कांग्रेस प्रधान सुनील जाखड़ ज्वाइन नहीं कर पाए। वजह जो भी हो, लेकिन राजनीतिक गलियारों में इनके शामिल न होने की चर्चा खूब रही।
कार्यक्रम में मुख्यमंत्री स्वयं कहते रहे कि जाखड़ साहब हूण तुस्सी बोलो, लेकिन जाखड़ न तो वीडियो में आए और न ही उनकी आवाज। लाइव प्रोग्राम में जाखड़ की अनुपस्थिति को संभालते हुए मंत्री ब्रह्म मोहिंद्रा ने कहा कि लगदा जाखड़ साहब दी कनेक्टिविटी नहीं हो रही। इस पर कैप्टन ने कहा कि वीडियो न सही, कम से कम आवाज ते सुनदी होणी। ओ वी कुछ बोल लैण।
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वित्तमंत्री ने ली नाकामी की जिम्मेदारी
सरकार और उसके मंत्री भले ही उपलब्धियां गिनाने में पीछे नहीं रहते हैं, लेकिन प्रदेश के वित्त मंत्री ने सरकार की नाकामी अपने सिर ले ली। हुआ यूं कि शहरी वातावरण सुधार कार्यक्रम फेज-2 के वर्चुअल उद्घाटन में वित्त मंत्री ने स्वीकार किया कि कैप्टन ने मुख्यमंत्री पद संभालते ही कई बड़ी योजनाओं को पूरा करने की जिम्मेदारी उठाई थी। प्रदेश के शिक्षा मंत्री, स्वास्थ मंत्री और स्थानीय निकाय मंत्री ने कई प्रोजेक्टों की रूपरेखा तैयार की थी, लेकिन बतौर वित्तमंत्री वह उन प्रोजेक्टों के लिए फंड जुटाने में असफल रहे।
अकाली दल-भाजपा की सरकार ने प्रदेश का खजाना खाली छोड़ा था। इन प्रोजेक्टों को पूरा करने के लिए बड़ी धनराशि की आवश्यकता थी। उन्होंने कुछ सोर्स से फंड जुटाने का प्रयास किया, लेकिन कामयाब नहीं हो पाए। इस तरह से वित्त मंत्री ने यह स्वीकार कर लिया कि फंड न होने से प्रोजेक्ट पूरे नहीं हो पाए।
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डर के मारे चुप्पी साधे बैठे हैैं
पंजाब में इन दिनों पराली जलाने का क्रम जोर पकड़ लेता है। पहले सरकार और प्रशासन की कड़ाई के कारण किसान चोरी-छिपे पराली जलाते थे, लेकिन इस बार किसानों में किसी बात को लेकर डर नहीं है। कृषि सुधार कानूनों के खिलाफ प्रदेश भर में धरने चल रहे हैं। ऐसे में प्रशासनिक और कृषि विभाग के अधिकारी भी चुप्पी साधे बैठे हैं। उन्हें डर है कि यदि वह ग्रामीण इलाकों में पराली जलाने से रोकने के लिए जाते हैं तो उन्हें किसानों के गुस्से का शिकार होना पड़ सकता है।
हालांकि जिला प्रशासन ने पिछले दिनों गांवों और पंचायतों में मीङ्क्षटग करवा कर किसानों को पराली न जलाने के लिए मना लिया था, लेकिन इसके बावजूद ज्यादातर किसान बिना किसी डर के पराली जला रहे हैं। किसानों का कहना है कि उन्हें तो पहले ही बर्बाद किया जा रहा है, कोई उन्हें पराली जलाने से रोकने तो आए।