ग्रैंड मैनर होम्स के निर्माण में गड़बड़ी से निगम को लगा 42.92 लाख का चूना, कैग ने मांगी रिपोर्ट Ludhiana News
निगम ने नया नोटिफिकेशन जारी होने के बावजूद आरके बिल्डर से पुराने नोटिफिकेशन के हिसाब से चेंज ऑफ लैंड यूज के चार्जेज वसूले हैं जिससे निगम को 42.92 लाख रुपये का चूना लगा है।
लुधियाना, जेएनएन। गिल रोड स्थित सुआ रोड पर आरके बिल्डर के प्रोजेक्ट ग्रैंड मैनर होम्स के निर्माण में गड़बड़ी कर नगर निगम को मोटी चपत लगाई गई। अब इस पर कंट्रोलर एंड अकाउंट जनरल (कैग) की जांच ने भी मोहर लगा दी है। कैग की जांच में भी आरके बिल्डर के प्रोजेक्ट में बड़ी वित्तीय गड़बड़ी सामने आई है, जिसमें अफसरों की कारगुजारी पर भी सवाल खड़े हो रहे हैं।
जांच रिपोर्ट से पता चला है कि नगर निगम ने नया नोटिफिकेशन जारी होने के बावजूद आरके बिल्डर से पुराने नोटिफिकेशन के हिसाब से चेंज ऑफ लैंड यूज के चार्जेज वसूले हैं, जिससे नगर निगम को 42.92 लाख रुपये का चूना लगाया गया। कैग ने इस गड़बड़ी पर अब नगर निगम से रिपोर्ट तलब की है। आरके बिल्डर के इस प्रोजेक्ट में गड़बड़ी की शिकायत एक आरटीआइ एक्टिविस्ट ने स्थानीय निकाय विभाग को की थी, जिसके बाद तत्कालीन स्थानीय निकायमंत्री नवजोत सिंह सिद्धू ने इसकी जांच रिपोर्ट विजिलेंस को सौंपी।
चीफ विजिलेंस अफसर ने तब नगर निगम में तैनात डीएसपी बलविंदर सिंह को इस मामले में जांच करने को कहा। जांच में कई तरह की खामियां सामने आई थीं और उसमें सीएलयू चार्जेज कम जमा करवाकर निगम को चूना लगाने की बात भी सामने आई थी, लेकिन तब निगम अफसरों ने वित्तीय गड़बड़ी होने से इंकार किया था, लेकिन अब कैग ने जब नगर निगम के पूरे वित्तीय रिकार्ड की जांच की तो यह बात सामने आई है कि नगर निगम ने आरके बिल्डर से 2014 के नोटिफिकेशन के अनुसार सीएलयू चार्जेज लिए हैं, जबकि उसके बाद 2016 व 2017 में सीएलयू चार्जेज बढ़ाए गए हैं और उनकी नोटिफिकेशन भी विभाग की तरफ से जारी की गई है। आरके बिल्डर ने जनवरी 2018 में सीएलयू करवाया। ऐसे में उनसे नए नोटिफिकेशन के हिसाब से पैसे वसूले जाने थे।
हिसार के एक्टिविस्ट संदीप ने लगाई थी आरटीआइ
हिसार के आरटीआइ एक्टिविस्ट डॉ संदीप गुप्ता ने कैग से आरटीआइ में इस मामले की रिपोर्ट हासिल की है। कैग की रिपोर्ट के मुताबिक बिल्डर ने 2014 नोटिफिकेशन के अनुसार 79 लाख 90 हजार 669 रुपये सीएलयू चार्जेज के तौर पर जमा करवाए गए, जबकि 2017 की नोटिफिकेशन के अनुसार यह राशि 1 करोड़ 22 लाख 83 हजार चार सौ सत्तर रुपये बनती थी। इस तरह यह गड़बड़ी करीब 42.92 लाख रुपये की बनती है।
रजिस्ट्री करवाने से दो दिन पहले अप्लाई कर दिया था सीएलयू
आरटीआइ एक्टिविस्ट ने अपनी शिकायत में भी कहा था कि बिल्डर ने बिना रजिस्ट्री करवाए ही अपने नाम से सीएलयू अप्लाई कर दिया था, जबकि नियम के अनुसार जब तक रजिस्ट्री न हो तब तक अप्लाई नहीं किया जा सकता। कैग की रिपोर्ट में भी यह मामला सामने आया है। आरटीआइ एक्टिविस्ट संदीप गुप्ता ने बताया कि 19 जनवरी 2018 को जगह की रजिस्ट्री हुई और 17 जनवरी 2018 को सीएलयू के लिए अप्लाई किया गया।
नगर निगम अफसरों ने साधी चुप्पी
नगर निगम अफसर पहले दावा कर रहे थे कि इस प्रोजेक्ट में किसी भी तरह से निगम को वित्तीय नुकसान नहीं पहुंचाया गया है। कैग की जांच के बाद सामने आई रिपोर्ट के बाद अफसरों ने इस मामले में चुप्पी साध ली है। कोई भी अफसर इस मामले में बात करने को तैयार नहीं है।
दैनिक जागरण ने किया था मामले को उजागर, जांच के लिए बनी कमेटी
आरके बिल्डर के प्रोजेक्ट में गड़बड़ी का मामला दैनिक जागरण ने सबसे पहले प्रकाशित किया था। डीएसपी की जांच रिपोर्ट में कई अफसरों व सियासी नेताओं के नाम भी सामने आए थे, जिसके बाद विधानसभा में जमकर हंगामा हुआ। विधानसभा अध्यक्ष ने कमेटी गठित कर इस मामले की जांच करने के आदेश भी दिए थे।
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