बिल्डिंग ब्रांच के गैरजिम्मेदार अफसर, छह माह से चालान नहीं किए अपडेट, कमेटी ने लगाई क्लास
नगर निगम बिल्डिंग ब्रांच के अफसर फिर से अपनी कारगुजारी को लेकर सुर्खियों में हैं।
जासं, लुधियाना : नगर निगम बिल्डिंग ब्रांच के अफसर फिर से अपनी कारगुजारी को लेकर सुर्खियों में हैं। इस ब्रांच के अफसरों ने छह माह से चारों जोनों में बिल्डिंग ब्रांच द्वारा किए गए चालानों को अपडेट ही नहीं किया।
यही नहीं निगम हाउस की तरफ से चेंज ऑफ लैंड यूज (सीएलयू) व एक्सटर्नल डेवलपमेंट चार्जेस (ईडीसी) फिक्स करने के लिए बनाई गई कमेटी के सामने भी अफसर नोटिस के बावजूद रिपोर्ट पेश नहीं कर सके। जो दो-चार कागज अफसरों ने पेश किए, उसी में उनकी हेराफेरी पकड़ी गई। अफसरों की इस कारगुजारी से बिल्डिंग ब्रांच में बड़े घालमेल की बू आने लगी है। वीरवार को कमेटी के सदस्यों ने अफसरों की इस लापरवाही पर उनकी जमकर क्लास लगाई। कमेटी सदस्यों ने साफ कर दिया कि अफसरों के इस गैरजिम्मेदाराना रवैये की पूरी रिपोर्ट मीटिग की प्रोसीडिग के साथ लोकल बॉडीज डिपार्टमेंट के डायरेक्टर को भेजी जाएगी।
जोन डी में वीरवार को बैठक शुरू होते ही कमेटी के सदस्यों डॉ. जयप्रकाश, ममता आशु, सन्नी भल्ला और ओमप्रकाश रतड़ा ने अफसरों से शहर में लोगों से वसूले जा रहे सीएलयू और ईडीसी की रिपोर्ट मांगी। यह एमटीपी मोनिका आनंद को पेश करनी थी लेकिन कमेटी वह रिपोर्ट पेश नहीं कर पाई। इस पर ममता आशु ने उनकी जमकर क्लास लगाई। उन्होंने कुछ सीएलयू से संबंधित जानकारी कमेटी के सामने रखी तो उसमें एक और गड़बड़ी पाई गई। बिल्डिंग ब्रांच ने कुछ लोगों से सीएलयू और ईडीसी चार्जेस 2014 की पॉलिसी के हिसाब से वसूले हैं जबकि कुछ से 2017 की पॉलिसी के हिसाब से वसूले हैं। बैठक में सदस्यों ने अफसरों से पूछा कि ऐसा क्यों किया गया इस पर भी अफसर टालमटोल करते रहे। कमेटी सदस्यों का कहना था कि जब निगम हाउस ने 2017 की पॉलिसी को अप्रूवल ही नहीं दी तो इस रेट पर क्यों वसूली की जा रही है? अगर इस रेट से निगम को फायदा हो रहा है तो कुछ लोगों से पुराने रेट पर क्यों फीस ली जा रही है? ममता आशु ने बैठक में एमटीपी से पिछले छह माह में बिल्डिंग ब्रांच की तरफ से किए गए चालानों का डाटा मांगा तो यह भी वह पेश नहीं कर पाए। ममता आशु ने कहा कि यह डाटा तो चालान करने के साथ ही उसी दिन वेबसाइट पर अपलोड करने के साथ डाटा अपडेट करना होता है तो वहां क्यों नहीं किया गया। जब यह चेक किया गया तो पता चला कि छह माह से चारों जोनों की बिल्डिंग ब्रांच ने एक भी चालान अपडेट नहीं किया गया। एडिशनल कमिश्नर ने कहा, मंगलवार को पेश करेंगे रिपोर्ट
बिल्डिंग ब्रांच के अफसरों की क्लास लगते देख एडिशनल कमिश्नर ऋषिपाल सिंह ने कह दिया कि मंगलवार तक रिपोर्ट कमेटी के सामने पेश कर दिया जाएगा। ममता आशु ने कहा कि इस मीटिग की प्रोसीडिग शुक्रवार को लोकल बॉडीज डिपार्टमेंट के डायरेक्टर को भेज दी जाएगी। पूर्व की अकाली-भाजपा सरकार के वक्त हुआ था बदलाव
अकाली-भाजपा गठबंधन सरकार ने अपने कार्यकाल के आखिरी दौर में सीएलयू व ईडीसी को लेकर 2014 की पॉलिसी को रिवाइज्ड किया था। इसे तब के मेयर हरचरण सिंह गोहलवड़िया ने निगम हाउस में पेश किया था। उस वक्त भी नए रेट का विरोध किया गया जिसकी वजह से इस पर कमेटी बनानी पड़ी। उसके बाद न तो कमेटी ने कोई काम किया और न ही अफसरों ने। मेयर बलकार सिंह संधू ने चार्ज लेने के बाद यह प्रस्ताव फिर से निगम हाउस की बैठक में रखा जिसे मानने से हाउस ने मना कर दिया। स्थानीय निकाय विभाग ने निगम हाउस को कह दिया कि इस पर एक कमेटी का गठन किया जाए और कमेटी इसके रेट तय करके सरकार को भेजे। तब तक यह रेट लागू नहीं होंगे। क्या बदलाव हुआ था सीएलयू और ईडीसी के रेट में
2014 की पॉलिसी के अनुसार रेजिडेंशियल के लिए ईडीसी रेट 12 लाख रुपये प्रति एकड़ था जबकि नेशनल हाईवे पर सीएलयू फीस 4.50 लाख रुपये, स्टेट हाइवे पर 3.50 लाख रुपये और अन्य सड़कों पर 2.05 लाख रुपये था। इसे बढ़ाकर प्रति एकड़ 18 लाख, 6.75 लाख, 5.25 लाख और 2.25 लाख रुपये कर दिया गया। रेजिडेंशियल ग्रुप हाउसिग के लिए प्रति एकड़ ईडीसी 30 लाख से बढ़ाकर 45 लाख रुपये और सीएलयू चार्जेस 7.50 लाख से बढ़ाकर 11.25, छह लाख से नौ लाख और पांच लाख से 7.25 लाख कर दिया गया। वहीं कामर्शियल के लिए ईडीसी और सीएलयू चार्जेज में कमी कर दी गई थी। मंगलवार को रिपोर्ट न मिली तो होगी कार्रवाई
कमेटी के सदस्यों ने बताया अफसरों ने मंगलवार को रिपोर्ट देने को कहा है। इसलिए मंगलवार को फिर से मीटिग की जाएगी। अगर अफसरों ने इसके बाद भी आनाकानी की तो उनके खिलाफ कार्रवाई की सिफारिश भी की जाएगी।