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पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टियों का रंग-बिरंगा प्रचार, युवाओं को मिल रहा रोजगार

Punjab Vidhan Sabha Chunav पंजाब विधानसभा चुनाव में प्रचार में तेजी आ रही है और इससे चुनावी माहाैैल भी गर्मा गया है। सभी सियासी पार्टियां रंंग-बिरंगे चुनाव प्रचार में जुटी हुई हैं। इस कारण युवाओंं को रोजगार मिल रहा हैै।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Mon, 17 Jan 2022 09:26 AM (IST)Updated: Mon, 17 Jan 2022 12:14 PM (IST)
पंजाब विधानसभा चुनाव में पार्टियों का रंग-बिरंगा प्रचार, युवाओं को मिल रहा रोजगार
पंजाब में सियाासी दलों के रंग-बिरंंगे चुनाव प्रचार से युवाओं को रोजगार मिल रहा है। (जागरण)

लुधियाना, [भूपिंदर सिंह भाटिया]। Punjab Vidhan Sabha Chunav 2022:  पंजाब में चुनाव प्रचार जोर पकड़ गया है। कोरोना के कारण रैलियों पर प्रतिबंध है, लेकिन प्रचार सामग्री का इस्तेमाल खूब हो रहा है। खास बात यह है कि इन दिनों पोस्टर, बैनर फ्लेक्स बनाने के काम में 80 प्रतिशत तक की वृद्धि हो गई है। इससे बड़े पैमाने पर लोगों, विशेषकर युवाओं को रोजगार मिल रहा है। इस काम में लगी औद्योगिक इकाइयों ने कारीगरों की संख्या में चार से पांच गुणा तक बढ़ा दी है। इनमें पंजाब व अन्य राज्यों के कारीगर भी शामिल हैं। रोजगार की बात करें तो इंडस्टि्रयल एरिया में चुनाव प्रचार सामग्री तैयार करने वाली बड़ी इकाई है।

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तरुण प्रिंटर्स के यहां एक ही छत के नीचे विभिन्न राजनीतिक दलों की प्रचार सामग्री तैयार होती है। इसके संचालक प्रवीण चौधरी कहते हैं कि सामान्य दिनों में हमारे पास 100 से 150 लोगों का ही काम होता है, लेकिन आज कल यह संख्या 1000 तक पहुंच गई है। अप्रत्यक्ष रूप से इस काम में जुटे लोगों को भी जोड़ लिया जाए तो यह आंकाड़ा 1500 से भी ऊपर है। सामान्य दिनों के मुकाबले 90 प्रतिशत तक ज्यादा युवाओं को मिल रहा काम।

पंजाब में चुनाव प्रचार सामग्री की मांग बढ़ने से युवाओंं को रोजगार मिल रहा है। (जागरण)   

उन्‍होंने बताया कि उनकी यूनिट में 45 तरह के प्रचार की वस्तुएं तैयार होती हैं। इनमें पोस्टर, बैनर, फ्लेक्स, होर्डिग्स, स्टीकर, बैज, झंडे, बुकलेट्स व टोपियां आदि प्रमुख हैं। पंजाब के चुनाव में खर्च पर प्रवीण कहते हैं कि पंजाब में लगभग 700 उम्मीदवार मैदान में होते हैं और वह 10-20 लाख रुपये सामग्री पर खर्च करते हैं। तरुण प्रिंटर्स के अलावा खालसा प्रिंटर्स, साहिब एडवर्टाइजर्स भी इस काम में जुटे हैं।

मफलर, दस्ताने, गर्म टोपियां और मास्क भी

लुधियाना की विभिन्न इकाइयों में बन रही प्रचार सामग्री में सर्दियों का भी विशेष ध्यान रखा जा रहा है। इसमें गर्म टोपियां, मफलर, दस्ताने, कान ढकने वाली पट्टी भी बनाई जा रही हैं। वहीं, कोरोना का ख्याल रखते हुए पार्टी सिंबल वाले मास्क भी बनाए जा रहे हैं। इसके अलावा पेन, पेन स्टैंड, रिस्ट बैंड, चाबी के छल्ले, हैंड बैग, गागल्स, गुब्बारे, नेताओं के मास्क और वालेट आदि भी प्रचार सामग्री में शामिल हैं।

कटआउट, फोम बैनर व साडि़यों की डिमांड

इस बार गत्ते से बने काटआउट और फोम बैनर की डिमांड ज्‍यादा है। अन्य राज्‍यों से कुछ उम्मीदवार अपने चुनाव निशान के साथ साड़ी की डिमांड कर रहे हैं। उत्तराखंड में फोम बैनर की डिमांड है। उत्तरप्रदेश में तरुण प्रिंटर्स ने भाजपा के लिए झंडे सप्लाई किए हैं। इस बार कटआउट का कल्चर बढ़ा है। साहिब एडवर्टाइजर्स के वरुण सूद भी कहते हैं कि कटआउट की काफी मांग है।

पार्टी के लिए काम करना ज्यादा बेहतर

प्रवीण चौधरी के अनुसार चुनाव सामग्री के काम में उम्मीदवारों के व्यक्तिगत आर्डर के बजाय पार्टी के आर्डर ज्‍यादा लाभकारी होते हैं। उत्तराखंड में आम आदमी पार्टी के लिए पूरी तरह काम कर रहे हैं। इसके अलावा पंजाब में भी अन्य बड़े दल उनके संपर्क में हैं। जम्मू-कश्मीर, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान और उत्तर प्रदेश से भी काम मिलता है। प्रचार स्थानीय भाषा में प्रभावशाली नारों, जुमलों का इस्तेमाल किया जाता है।

रिटायर्ड प्रोफेसरों की टीम बनाती है नारे

चौधरी के अनुसार उनके पास रिटायर्ड प्रोफेसरों की टीम है। कौन सी पार्टी के लिए कौन सा नारा लाभकारी होगा, उसकी भी हम सलाह देते हैं। प्रोफेसरों द्वारा तैयार छोटा सा नारा जनता के बीच कैसे चर्चा में आ जाएगा और उन्हें ऊंचाइयों पर ले जाएगा। प्रचार में इंटरनेट मीडिया का भी उपयोग हो रहा है। तो उन्होंने सोशल मीडिया का सेटअप तैयार किया है। वह उम्मीदवारों को बताते हैं कि वह अपने किस विजन को किस स्टाइल के साथ जनता के बीच जाएं।

पर्यावरण का खास ध्यान-

प्लास्टिक गायब, कपड़े व कागज का इस्तेमाल

इस बार इसमें पर्यावरण का विशेष ध्यान रखा जा रहा है। चुनाव में इको फ्रेंडली प्रचार सामग्री का जोर है। प्लास्टिक वाले झंडे व बैनर आदि गायब हैं। अन्य सामग्री में भी इस बात का ध्यान रखा जा रहा है कि प्लास्टिक का इस्तेमाल न हो। चुनाव आयोग की सख्ती के अलावा प्रचार सामग्री बनाने वाली इकाइयों के संचालकों में जागरूकता भी बढ़ी है। प्रवीण चौधरी बताते हैं कि कपड़े से तैयार बैनर में एक केमिकल लगा होता है, जिस पर पानी लगाकर किसी भी दीवार में चिपका दिया जाता है। यह बैनर पर्यावरण मित्र होने के साथ लंबे समय तक खराब नहीं होता। हालांकि, इसकी कीमत प्लास्टिक की सामग्री से ज्‍यादा है।

खास बातें

  • पोस्टर, बैनर फ्लेक्स बनाने के काम में 80 प्रतिशत तक की वृद्धि। 
  • पंजाब व अन्य राज्यों के कारीगरों की संख्या में पांच गुणा तक बढ़ी।
  •  सामान्य दिनों के मुकाबले 90 प्रतिशत तक ज्यादा युवाओं को मिल रहा काम। 
  • पंजाब के अलावा उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश से भी आ रही मांग। 

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