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लुधियाना में बनेगा सीएनजी चालित श्मशानघाट,लकड़ी की बचत के साथ ही कम होगा प्रदूषण का स्तर

कंपनी हायर करने के लिए नगर निगम ने टेंडर जारी कर दिया है। निगम अफसरों का तर्क है कि सीएनजी से चालिक श्मशानघाट बनने से शहर की आबोहवा के स्तर में काफी सुधार होगा। लुधियाना शहर में 32 श्मशानघाट हैं।

By Vipin KumarEdited By: Published: Mon, 03 May 2021 10:17 AM (IST)Updated: Mon, 03 May 2021 01:44 PM (IST)
लुधियाना में बनेगा सीएनजी चालित श्मशानघाट,लकड़ी की बचत के साथ ही कम होगा प्रदूषण का स्तर
लुधियाना में बनेगा सीएनजी से चलने वाला श्मशानघाट। (सांकेतिक तस्वीर)

लुधियाना, [राजेश भट्ट]। शहर में अंतिम संस्कार करने के लिए श्मशानघाटों में लकड़ी का प्रयोग किया जा रहा है। शहर के 32 श्मशानघाटों में अंतिम संस्कार के लिए रोजाना करीब 1250 क्विंटल लकड़ी जलाई जा रही है। इतनी भारी मात्रा में लकड़ी जलाने से कहीं न कहीं शहर की आबोहवा भी प्रदूषित हो रही है। अंतिम संस्कार में जलाई जाने वाली लकड़ियों के धुएं से पर्यावरण को नुकसान न हो इसके लिए नगर निगम अब शहर में सीएनजी चालित श्मशानघाट बनाने जा रहा है। निगम सीएनजी चालित श्मशानघाट बनाने व बाद में सीएनजी की सप्लाई के लिए एक निजी कंपनी को हायर करने जा रहा है।

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कंपनी हायर करने के लिए नगर निगम ने टेंडर जारी कर दिया है। निगम अफसरों का तर्क है कि सीएनजी से चालिक श्मशानघाट बनने से शहर की आबोहवा के स्तर में काफी सुधार होगा। लुधियाना शहर में 32 श्मशानघाट हैं जिनमें रोजाना लगभग 250 के करीब संस्कार होते हैं। श्मशान घाट में प्रति संस्कार औसत पांच क्विंटल लकड़ी का इस्तेमाल किया जाता है। इस तरह लुधियाना में रोजाना 1250 क्विंटल लकड़ी जलाई जाती है। इससे जहां कई पेड़ काटे जाते हैं वहीं इतनी बड़ी मात्रा में लकड़ी जलाने से धुआं वायुमंडल में मिल जाता है।

नगर निगम नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत शहर में एक श्मशानघाट डेवलप करने की योजना बनाई है जिसमें संस्कार सीएनजी के जरिए किए जाएंगे। नगर निगम सीएनजी चालित श्मशानघाट तैयार करवाने और बाद में सीएनजी सप्लाई करने के लिए निजी कांट्रेक्टर की तलाश में है। इसके लिए बाकायदा टेंडर निकाल दिए गए हैं। टेंडर प्रक्रिया पूरी होने के बाद स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। सीएनजी चालिक श्मशानघाट बनने से ज्यादातर संस्कार वहीं पर करवाए जा सकेंगे।

पुराने श्मशान घाट को भी किया जा सकता है सीएनजी के तौर पर डेवलप

शहर में नगर निगम को श्मशानघाट के लिए इतनी बड़ी जगह मिलना संभव नहीं है। इसलिए नगर निगम पुराने श्मशानघाटों में से एक सीएनजी चालित श्मशानघाट के तौर पर भी डेवलप कर सकता है। हालांकि योजना में नया श्मशानघाट बनाने की बात कही जा रही है जो कि पूरी तरह से सीएनजी चालित होगा। वहीं नगर निगम ढोलेवाल व माडल टाउन एक्सटेंशन के श्मशानघाटों को भी सीएनजी श्मशानघाट के तौर पर डेवलप करने पर विचार कर रहा है।

बिजली दाह संस्कार भट्टी नहीं हो सकी शुरू

लुधियाना के बाजवा नगर श्मशानघाट में करीब 14 साल पहले संस्कार के लिए बिजली दाह संस्कार भट्टी लगाई गई। लेकिन इस भट्टी को शुरू ही नहीं किया जा सका। पहले लोगों ने इसे धर्म के विपरीत बताया और बाद में बिजली बिल के कारण इसे नहीं चलाया जा सका। यह भट्टी आज भी श्मशानघाट में बंद पड़ी है।

दो श्मशानघाटों में लगी हैं एलपीजी भट्टियां

कोविड काल में कोरोना संक्रमित शवों के संस्कार के लिए ढोलेवाल व माडल टाउन एक्सटेंशन के श्मशानघाटों में एलपीजी भट्टियां लगाई गई। इन श्मशानघाटों की एलपीजी भट्टियां में सिर्फ कोरोना संक्रमितों के अंतिम संस्कार किए जा रहे हैं। जबकि बाकी संस्कार लकड़ियों पर ही किए जा रहे हैं।

हम नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत शहर में सीएनजी श्मशानघाट बनाने जा रहे हैं। कंपनी हायर करने के लिए हमने टेंडर जारी किया है। टेंडर खुलने के बाद ही स्थिति स्पष्ट हो सकेगी। हमारी योजना ढोलेवाल व माडलटाउन एक्सटेंशन के श्मशानघाटों को सीएनजी के तौर पर आग्रेड करने की भी है। -रजिंदर सिंह, एसई ओएंडएम ब्रांच, नगर निगम


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