दंडी स्वामी महाराज का लुधियाना से गहरा नाता, स्वामी जी के नाम से इस चौक को मिली नई पहचान
सिविल लाइन में राजपुरा रोड के दोनों तरफ दंडी स्वामी जी की तपस्थली व सिद्ध पीठ विराजमान हैं। ऐसे में लोगों ने इसके साथ बने चौक को दंडी स्वामी चौक कहना शुरू कर दिया। राजपुरा रोड का यह चौक धीरे-धीरे दंडी स्वामी चौक के नाम से ही प्रसिद्ध हो गया।
लुधियाना, [राजेश भट्ट]। दंडी स्वामी महाराज का लुधियाना से गहरा नाता रहा है। उन्होंने आजीवन लुधियाना में तपस्या की और उनकी तपस्थली आज भी लुधियाना के प्रमुख धार्मिक स्थल के रूप में लोगों की आस्था का केंद्र है। यहीं पर दंडी स्वामी जी ने 60 वर्षों तक तपस्या की और उसके बाद उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया।
दंडी स्वामी जी की तपस्थली बाहर की सड़क। (कुलदीप काला)
सिविल लाइन में राजपुरा रोड के दोनों तरफ दंडी स्वामी जी की तपस्थली व सिद्ध पीठ विराजमान हैं। ऐसे में लोगों ने इसके साथ बने चौक को दंडी स्वामी चौक कहना शुरू कर दिया। राजपुरा रोड का यह चौक धीरे-धीरे दंडी स्वामी चौक के नाम से ही प्रसिद्ध हो गया और बाद में नगर निगम ने भी इस चौक को दंडी स्वामी चौक का नाम दे दिया।
आजादी से पहले सिविल लाइन की तरफ किया था सड़कों का निर्माण
1914 में दंडी स्वामी जी महाराज को मुन्नी लाल ढांडा लुधियाना लाए थे। (कुलदीप काला)
आजादी से पहले रेलवे स्टेशन से सिविल लाइन की तरफ कुछ सड़कों का निर्माण किया गया था। उनमें से राजपुरा रोड भी शामिल थी। 1914 में दंडी स्वामी जी महाराज को मुन्नी लाल ढांडा यहां बाग ढंढेयां में लाए। यह बाग राजपुरा रोड के किनारे था। यहीं पर स्वामी जी ने दशकों तक तपस्या की, जिसे बाद में तपोवन के नाम से जाना जाने लगा। जीवन के अंतिम वक्त में स्वामी जी सिद्ध पीठ में आए और यहीं पर उन्होंने अपना शरीर त्याग दिया। उसके बाद से सिद्धपीठ भी लाखों लुधियानवियों के आस्था का केंद्र बन गया। दंडी स्वामी जी के इन दोनों पवित्र आश्रमों के कारण इस चौक का नाम दंडी स्वामी चौक कहा जाने लगा।