हर वर्ष कैंसर की चपेट में आ रहे तीन लाख बच्चे, बीमारी से पीड़ित मरीजों ने साझा की दिल की बात
इंटरनेशनल बाल कैंसर दिवस के मौके पर एसपीएस अस्पताल में कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें कैंसर से जूझ रहे और इस पर जीत हासिल कर चुके बच्चों अपनी बातें साझा की।
जेएनएन, लुधियाना। इंटरनेशनल बाल कैंसर दिवस के मौके पर एसपीएस अस्पताल में कार्यक्रम का आयोजन किया गया। इसमें कैंसर से जूझ रहे और इस पर जीत हासिल कर चुके बच्चों ने अब और दर्द नहीं के नारे के साथ इसे सेलिब्रेट किया। इस मौके पीडियाट्रिक्स हेमोटोलॉजी ओंकोलोजी विभाग की प्रमुख डाॅ. प्रियंका गुप्ता ने बताया कि हर साल 19 साल तक की उम्र के तीन लाख से ज्यादा बच्चे कैंसर की चपेट में आते हैं। इससे भी ज्यादा परेशानी वाली बात यह है कि मेडिकल फील्ड में केवल एडल्ट मरीजों के कैंसर के इलाज का प्रबंध है। इसी कारण बच्चों के कैंसर होने की बातों पर ज्यादा गौर नहीं किया जाता। बच्चों के इलाज के लिए कैंसर माहिरों की संख्या भी काफी कम है। इसी वजह से बचपन का कैंसर एडल्ट होने तक भयंकर रूप धारण कर लेता है।
डाॅ. प्रियंका ने बताया कि अभी तक पंजाब, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर और उत्तराखंड के इस पूरे रीजन में एसपीएस अस्पताल के अलावा बच्चों के कैंसर के इलाज का प्रबंध नहीं है। दुनिया भर में बच्चों का कैंसर एक बड़ी समस्या के तौर पर सामने आ रहा है। अगर सही समय पर डायगनोस कर लिया जाए तो 70 फीसदी कैंसर का इलाज संभव है। कैंसर विभाग के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. नवदीप सिंह ने बताया कि वे पिछले 23 सालों से एसपीएस अस्प्ताल में कैंसर का इलाज कर रहे हैं। उन्होंने कैंसर से जंग लड़कर जीत चुके कुछ बच्चों की जानकारी भी दी। इन बच्चों और उनके परिजनों ने भी अपने अनुभव साझा किए।
अस्पताल के सीईओ डॉ. अजय अंगरीश ने कैंसर के इलाज को लेकर अस्पताल में मौजूद सुविधाओं की जानकारी दी। ये हैं कैंसर के लक्षण आंख में सफेद धब्बा, नई फुंसियां, अंधापन, आंखें फड़कना, शरीर में कहीं भी गांठ, दो हफ्तों से ज्यादा समय तक बुखार रहना, वजन में कमी, पीलापन, थकावट, चोट लगना, ब्लीडिंग, हड्डियों में दर्द, चलना-फिरने में बदलाव, दो हफ्तों से ज्यादा समय तक सिरदर्द रहना इत्यादि बच्चों में कैंसर के संकेत हैं।