और कर्ज बढ़ा रहा कारोबारियों का मर्ज
कोविड-19 संक्रमण का खतरा बढ़ने के साथ बाजार में तरलता का संकट विकराल होता जा रहा है।
मुनीश शर्मा, लुधियाना
कोविड-19 संक्रमण का खतरा बढ़ने के साथ बाजार में तरलता का संकट विकराल होता जा रहा है। बाजार में कैश फ्लो का तेज न होना बड़ी परेशानी पैदा कर रहा है। केन्द्र सरकार की ओर से इसके लिए लोगों को राहत देने के लिए कई एलान किए। अनलॉक वन में दुकानें, प्रतिष्ठान, संस्थान सब कुछ खोल दिया। धार्मिक स्थल भी खुले हैं, लेकिन फिर भी बाजार में कैश की किल्लत ने सभी वर्गो को मुसीबत में डाल दिया। इंडस्ट्री और व्यापारिक घरानों के सामने इस समय नकदी न होना समस्या का कारण बना है। बाजार में पेमेंट का सर्किल अभी तक सुचारू नहीं हो पाया। इससे आगे कारोबार करने में दिक्कत आ रही है। सरकार ने विशेष पैकेज में और कर्ज देने की सुविधा दी, लेकिन पहले से कर्ज के बोझ तले दबे कारोबारी और कर्ज लेने में रूचि नहीं दिखा रहे। अगर यही हालात रहे, तो आने वाले दिन में कई उद्योगों पर संकट के बादल छा जाएंगे।
फेडरेशन ऑफ इंडस्ट्रीयल एवं कामर्शियल आर्गेनाइजेशन के प्रधान गुरमीत सिंह कुलार के मुताबिक यह समय इंडस्ट्री के लिए बेहद चिता का विषय है। सरकार को राहत पैकेज के नाम पर लोन नहीं, सहायता राशि देनी चाहिए थी। लोगों के पास पैसा नहीं है और इंडस्ट्री को दोबारा पटरी पर लाने के लिए कैश फ्लो की आवश्यकता है। पहले ही इंडस्ट्री पर इतने लोन है और अब सरकार दोबारा लोन लेने की बात कह रही है। अगर लोन ही लेना है, तो पहला लोन कैसे अदा करेंगे।
कम खरीद, परेशानी ज्यादा
केपी इंडस्ट्री के एमडी राजन गुप्ता के मुताबिक बाजार में इस समय पेमेंट्स को लेकर भारी परेशानी है। इसका मुख्य कारण खरीद कम होना है। इसके साथ ही बाजार में पेमेंट्स को लेकर लोग सतर्क हुए हैं और अभी कोविड के खतरे को देखते हुए लेनदेन से परहेज कर रहे हैं। ऐसे में फाइनेंशियल सर्कल को चलाना बेहद कठिन हो रहा है।
आर्डर भी कम दे रहे हैं व्यापारी
पंजाब प्रदेश व्यापार मंडल के सचिव मोहिदर अग्रवाल के मुताबिक यह दौर कठिन है। बाजारों में अभी 30 से 40 प्रतिशत रिकवरी हो पाई। खरीददार कम होने के चलते लोगों ने जरूरतों को सीमित कर लिया है। ऐसे में इसका नुकसान बाजार में सर्कल न चलने का सहना पड़ रहा है। पहले की तुलना में खरीदारी नाममात्र होने से कैश फ्लो कम है और पेमेंट्स करने के साथ साथ व्यापारी आर्डर भी कम दे रहे हैं।