DMC में विवाहित की मौत का मामलाः सीपी के निर्देश पर ससुरालियों के खिलाफ केस दर्ज Ludhiana News
मोरिंडा निवासी पलक भाटिया की डीएमसी में संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी जिसके बाद परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी की मौत परिवार की लापरवाही के कारण हुई है।
लुधियाना, जेएनएन। शहर के शिमलापुरी एरिया में विवाहित की मौत मामले में पुलिस ने ससुरालियों पर आपराधिक मामला दर्ज कर लिया है। मामला परिवार की ओर से सीपी को मिलने के बाद दर्ज किया गया है। एफआइआर की कॉपी देने के लिए ही पुलिस ने परिवार को देर रात क घर क बाहर बैठाए रखा, जबकि उनकी बेटी का शव सिविल अस्पताल में पड़ा हुआ था। मोरिंडा शहर की निवासी पलक भाटिया की डीएमसी में संदिग्ध हालत में मौत हो गई थी, जिसके बाद परिवार ने आरोप लगाया था कि उनकी बेटी की मौत परिवार की लापरवाही के कारण हुई है।
पिता प्रदीप कुमार के अनुसार उसकी बेटी की शादी लुधियाना के शिमलापुरी में डेढ़ साल पहले शिमलापुरी के प्रणम भाटिया से हुई थी। गर्भवती होने पर उसे किसी डॉक्टर से भी चेक नहीं करवाया गया। सही ढंग से चेकअप और इलाज नहीं मिलने के कारण उनकी बेटी बीमार हो गई थी, जिस कारण इलाज नहीं होने पर बच्चे की मां के पेट में ही मौत हो गई थी। यही नहीं इसी दौरान बेटी को भी पीलिया हो गया, मगर ससुरालियों ने उसका भी इलाज नहीं करवाया और वह आस पास के निम्न स्तर के डॉक्टरों से इलाज करवाते रहे। जब उसका बेटा भइया दूज पर बहन से तिलक लगवाने आया तो उसे इस संबंधी पता चला। उसने अपने परिजनों को इसकी जानकारी दी और युवती को डीएमसी में दाखिल करवा दिया गया। यहां पर उसकी रविवार सुबह मौत हो गई थी।
सीपी के हस्तक्षेप के बाद दर्ज हुआ मामला
थाना शिमलापुरी पुलिस ने इस मामले में जब परिवार की कोई सुनवाई नहीं की तो पूरा परिवार सीपी राकेश अग्रवाल से मिलने उनकी कोठी चला गया था। रात के समय सीपी नहीं मिले तो उनके साथ फोन पर बात हुई। उन्होंने परिवार को सुबह थाने बुलाया और पूरी बात सुनी और इसके बाद उनकी ओर से एसीपी को मामला दर्ज कर जांच के आदेश दिए। इसके बाद जाकर पुलिस ने देर शाम पति प्रणम भाटिया, ससुर राजेश भाटिया, सास सीमा भाटिया व ननद अनु भाटिया के खिलाफ थाना शिमलापुरी में आपराधिक मामला दर्ज किया गया है। थाना शिमलापुरी प्रभारी इंस्पेक्टर प्रमोद कुमार के अनुसार मामला दर्ज कर आरोपितों की तलाश की जा रही है।
देर शाम तक थाने के बाहर बिठाए रखा
सीपी के आदेश के बाद भी इस मामले को टरकाने के मूड में थी। देर रात तक परिवार को एफआइआर की कॉपी ही नहीं दी गई। मृतका का भाई व अन्य रिश्तेदार थाने के बाहर बैठे रहे, मगर संत्री ने अंदर तक नहीं जाने दिया। वह बार बार एफआइआर की कॉपी मांगते रहे। उन्हें यही कहकर लारा लगाया जाता रहा कि अभी एफआइआर लिखनी है, जबकि एक नेता के कहने पर उसे तुरंत कॉपी उसके मोबाइल पर भेज दी गई।
पंजाब की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
हरियाणा की खबरें पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें