भाकियू (क्रांतिकारी) का दावा, गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में सात किसान संगठनों ने किया था तय रूट का उल्लंघन
भाकियू (क्रांतिकारी) ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में हुई हिंसा मामले में बड़ा दावा किया है। संगठन के प्रमुख का कहना है कि तय रूट का उल्लंघन सात संगठनों ने किया था जबकि संगठनों ने इस मामले में दो पर ही कार्रवाई की है।
जेएनएन, बठिंडा। नई दिल्ली में 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर किसान परेड के दौरान तय रूट का उल्लंघन करके लाल किले की ओर जाने के मामले में भारतीय किसान यूनियन (क्रांतिकारी) के प्रदेश अध्यक्ष सुरजीत सिंह फूल ने बड़ा दावा किया है। सुरजीत सिंह ने कहा कि केवल दो संगठन ही नहीं, बल्कि भारतीय किसान यूनियन (उगराहां) सहित सात किसान संगठनों के कार्यकर्ता वहांं गए थे, जबकि मामले में पंजाब के किसान संगठनों के मोर्चे ने केवल दो संगठनों पर ही कार्रवाई कि और उन्हें मंच पर आने नहीं दिया जा रहा। जिन दो संगठनों पर कार्रवाई की गई है उनमें एक उनका व दूसरा आजाद किसान कमेटी है।
सुरजीत फूल ने कहा कि यह कार्रवाई देशभर के 40 किसान संगठनों के संयुक्त मोर्चे की ओर से नहीं की गई। केवल पंजाब के 32 संगठनों की तरफ से की गई है, लेकिन तय रूट का उल्लंघन कर लाल किले की ओर बढ़ने वाले किसानों की अगुआई उनका कोई भी किसान नेता नहीं करने गया। जब उन्हें पता चला किसान तय रूट को छोड़कर दिल्ली में घुस गए हैं और लाल किले की ओर बढ़ रहे हैं तो उन्हें मजबूरी में आगे जाना पड़ा, ताकि एक तो किसी तरह का वहां पर हंगामा न हो सके और दूसरा उन्हें वापस लाया जाए सके।
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सुरजीत सिंह का कहना है कि इसके बावजूद केवल दो किसान संगठनों को मोर्चे से अलग कर दिया गया। इस दौरान उनका पक्ष जानने के लिए तीन सदस्यीय कमेटी का गठन भी किया गया। उस कमेटी के सामने क्रांतिकारी की ओर से अपना पक्ष रख दिया गया है। बता दिया गया है अन्य कार्यकर्ताओं के साथ उनके कार्यकर्ता भी जोश में रूट तोड़कर लाल किले को निकल गए, जबकि संगठन के नेताओं को उन्हें रोकने और वापस लाने के लिए आगे जाना पड़ा। उनका तय रूट कोे तोड़कर आगे जाना उनके लिए चिंता विषय था।
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उन्होंने कहा कि इस मामले में केवल इन दोनों संगठनों को ही टारगेट करना ठीक नहीं है। इस समय जरूरत किसान संगठनों को एकजुट होकर लड़ाई लड़ने की है, न कि किसी रंजिश के तहत टारगेट करने की। सुरजीत फूल ने दावा किया कि क्रांतिकारी संगठन किसी भी तरह से दोषी नहीं है। जब से उनके संगठन को मुअत्तल किया गया है, उनके संगठन के नेता मंच पर नहीं जा रहे हैं, लेकिन मोर्चे में उनके कार्यकर्ता बड़ी संख्या में पहले की तरह ही डटे हुए हैं।
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