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लुधियाना सेंट्रल पर टिकी भाजपाइयों की नजर, लोगों से करीबियां बढ़ाने में लगे सीट के कई दावेदार

Ludhiana Politics लुधियाना शहर में छह विधानसभा क्षेत्र हैं लेकिन भाजपाइयों को लुधियाना सेंट्रल हमेशा से ही रास आता रहा है। यहां भाजपा समर्थक ज्यादा हैं और उनके सहारे पहले भी नेता विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ चुके हैं।

By Rohit KumarEdited By: Published: Tue, 20 Apr 2021 10:37 AM (IST)Updated: Tue, 20 Apr 2021 10:37 AM (IST)
लुधियाना सेंट्रल पर टिकी भाजपाइयों की नजर, लोगों से करीबियां बढ़ाने में लगे सीट के कई दावेदार
लुधियाना शहर में छह विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन भाजपाइयों को लुधियाना सेंट्रल हमेशा से ही रास आता रहा है।

लुधियाना, भूपेंदर सिंह भाटिया। लुधियाना शहर में छह विधानसभा क्षेत्र हैं, लेकिन भाजपाइयों को लुधियाना सेंट्रल हमेशा से ही रास आता रहा है। यहां भाजपा समर्थक ज्यादा हैं और उनके सहारे पहले भी नेता विधानसभा की सीढ़ियां चढ़ चुके हैं। इस क्षेत्र के प्रतिष्ठित नेता सतपाल गोसाईं अब नहीं रहे। ऐसे में सभी की नजरें इसी सीट पर जमी हैं। यही कारण है कि टिकट के कई दावेदार अभी से ही क्षेत्र में लोगों से करीबियां बढ़ाने लगे हैं।

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पिछले चुनाव में यहां से विधायक सुरिंदर डाबर के सामने खड़े हो चुके गुरदेव शर्मा देबी टिकट के दावेदारों में तो शुमार हैं ही, उनके अलावा पिछले चुनाव में नार्थ से राकेश पांडे के खिलाफ उतरने वाले प्रवीण बांसल व गोसाईं की बेटी भी इलाके में खूब सक्रिय हैं। भाजपा के कैडर वोट में आधार रखने वाले कुछ नेता भी अंदरखाते दावेदारी बनाने में जुटे हैं। कुल मिलाकर सभी की नजरें इसी सीट पर हैं।

एक ओर कोरोना, दूसरी ओर चुनाव

पंजाब में जैसे-जैसे विधानसभा चुनाव करीब आते जा रहे हैं, वैसे-वैसे कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। चुनाव को देखते हुए कई नेता लोगों से मेलजोल भी बढ़ा रहे हैं। इस प्रयास में कई नेता जनता के बीच एक्टिव होकर कोरोना महामारी की चपेट में आ गए। इनमें कैबिनेट मंत्री भारत भूषण आशु, सांसद रवनीत सिंह बिट्टू, विधायक संजय तलवाड़, कुलदीप वैद्य, राकेश पांडे, शरणजीत सिंह ढिल्लों, अकाली नेता महेश इंदर सिंह आदि भी शामिल हैं।

इसके बावजूद नेता खुद को जनता से दूर नहीं कर पा रहे और रोजाना कार्यक्रमों में शामिल हो रहे हैं। कभी वे किसी के भोग में शामिल हो रहे हैं तो कभी कहीं विकास कार्यों का उद्घाटन करने पहुंच रहे हैं। बीते दिनों कुछ नेता चर्चा कर रहे थे तो एक ने ये कह दिया कि कोरोना को जाने में तो समय लगेगा, लेकिन चुनाव में चूक गए तो पांच साल इंतजार करना पड़ेगा।

पुलिसिया डंडे के अलावा कोई चारा नहीं

शहर में एक बार फिर से कोरोना का कहर बढ़ता जा रहा है। रोजाना मिलने वाले नए केस पिछला रिकार्ड तोड़ते जा रहे हैं। इस दौरान कई माइक्रो कंटेनमेंट और कंटेनमेंट जोन भी बने और सख्ती भी हुई, लेकिन पब्लिक है कि मान ही नहीं रही। इसी लापरवाही के चलते लुधियाना में पाजिटिव केसों की संख्या 42 हजार और मरने वालों की संख्या 1200 के पार हो चुकी है। ऐसे में लोगों को जागरूक करने के लिए पुलिस सड़कों-चौराहों पर जागरूकता मुहिम भी चला रही है और कहीं-कहीं नाके लगाकर नियम तोड़ने ऩे वालों के चालान भी काटे जा रहे हैं।

हालांकि इन सबके बीच शहर में इस बात को लेकर भी खूब चर्चा है कि पिछली बार लोग पुलिस के डंडे से डरकर ही घरों में कैद हुए थे और कोरोना पर अंकुश लग पाया था। इस बार भी कोरोना पर काबू पाना है तो पुलिसिया डंडा चलाना ही होगा।

सिद्धू और बिट्टू के बाद अब फुलका

बेअदबी मामले में पंजाब सरकार द्वारा सख्त एक्शन नहीं लेने की बात उठाकर अपनी ही सरकार पर दबाव बनाने वाले विधायक नवजोत सिंह सिद्धू और सांसद रवनीत सिंह बिट्टू के बाद अब आम आदमी पार्टी के पूर्व विधायक एचएस फुलका भी मैदान में आ गए हैं। फुलका ने सिद्धू को ढाई साल पहले की याद दिलाते हुए कहा, 'सदन में उन्हें कहा था कि बेअदबी कांड में जल्द कुछ करो, लेकिन सरकार ने कुछ नहीं किया। आपने कहा था कि फुलका साहब जल्दबाजी न करो, कुछ दिन इंतजार करो।'

फुलका ने कहा कि उन्हें तो उसी समय सरकार की ओर से किसी कड़ी कार्रवाई की उम्मीद नहीं थी और इसीलिए उन्होंने पद से इस्तीफा दे दिया। उन्होंने सिद्धू को तो यहां तक कह दिया कि हुण मौका ठोकण दा है। कुल मिलाकर सभी का एक ही मकसद है, किसी तरह अकालियों को ठोको और जो उन्हें न ठोके, उसे भी घेरो।


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