रेलवे इंजीनियरों का कमाल, लुधियाना में पांच साल से बेकार पड़े लोको इंजन को चला दिया बैटरी से
लुधियाना में पांच साल से लोको इंजन बेकार पड़ा था। रेलवे इंजीनियरों ने इस इंजन को बैटरी से चला दिया। इसको मॉडिफाई करने में मात्र पांच लाख रुपये का खर्च आया।
लुधियाना [डीएल डान]। लुधियाना रेलवे स्टेशन के लोको शेड के इंजीनियरों ने पांच साल से बेकार पड़े एक लोकोमोटिव इंजन को बैटरी से चलाने का सराहनीय प्रयास किया है। पांच लाख रुपये की लागत से मॉडिफाई कर तैयार किया गया यह इंजन नार्दर्न रेलवे का बैटरी से चलने वाला पहला इंजन है। इसका नाम 'आजाद' रखा गया है। इसकी अधिकतम गति 15 किलोमीटर प्रति घंटा है। इस इंजन का उपयोग ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन की मरम्मत के लिए किया जाएगा, जहां बिना बिजली के पहुंचना पड़ता है।
दरअसल, 25 केवी सप्लाई से चलने वाला एक पुराना इंजन लुधियाना शेड में आया था। 2015 तक इससे सेवाएं ली गईं और उसके बाद से यह बेकार खड़ा था। रेलवे के अधिकारियों ने बैटरी से चलाने का निर्णय किया। लुधियाना रेलवे स्टेशन के डायरेक्टर तरुण कुमार ने बताया कि इसका उपयोग ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन के साथ-साथ उस क्षेत्र में भी किया जा सकता है, जहां पर ओवरहेड लाइन नहीं है।
उन्होंने कहा बैटरी वाले इंजन का उपयोग कर डीजल की खपत को कम किया जाएगा। प्रदूषण पर भी नियंत्रण लगेगा। ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइनों की मरम्मत में एक डीजल इंजन की रोजाना 2400 लीटर की खपत होती है। बैटरी वाले इंजन से करीब 1.80 लाख रुपये की बचत होगी।
तरुण ने बताया कि बैटरी वाले इंजन को ट्रैक पर उतार भी दिया गया है। इसका उपयोग यार्ड व लोको शेड में शंटिंग के लिए भी किया जाएगा। उन्होंने कहा कि नॉर्दर्न रेलवे की ओर से निर्देश है कि जहां भी बिजली और डीजल की खपत है वहां बैटरी से संचालित लोकोमोटिव इंजन इस्तेमाल किया जाए।
उल्लेखनीय है कि ट्रेनों के परिचालन में ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन का खास महत्व है। ट्रेनों के निरंतर आवागमन से ओवरहेड ट्रांसमिशन लाइन में अकसर गड़बड़ी होती रहती है। इस लाइन की मरम्मत करने वाली टीम को डीजल इंजन का उपयोग करना पड़ता है।
रेलवे को बड़ी राहत : इंस्पेक्टर
फिरोजपुर रेल मंडल के ट्रैफिक इंस्पेक्टर आरके शर्मा ने बताया कि इस इंजन को बनाने के लिए काफी समय से काम चल रहा था। इसके बनने और उपयोग शुरू होने से बड़ी राहत मिलेगी। रेलवे का काफी पैसा बचेगा।