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इस महिला को देख पुलिस वाले भी करते हैं सैल्यूट, जानें परमजीत के संघर्ष की कहानी

पंजाब में कार चलाती महिलाएं तो आम दिख जाती हैं, लेकिन एक टेंपो, वो भी सामान से लदा हुआ, चलाते शायद ही कोई दिखे।

By Edited By: Published: Sun, 20 Jan 2019 06:30 AM (IST)Updated: Sun, 20 Jan 2019 01:09 PM (IST)
इस महिला को देख पुलिस वाले भी करते हैं सैल्यूट, जानें परमजीत के संघर्ष की कहानी
इस महिला को देख पुलिस वाले भी करते हैं सैल्यूट, जानें परमजीत के संघर्ष की कहानी

जेएनएन, समराला। पंजाब में कार चलाती महिलाएं तो आम दिख जाती हैं, लेकिन एक टेंपो वो भी सामान से लदा हुआ, चलाते शायद ही कोई दिखे। लेकिन समराला और लुधियाना की सड़कों पर अकसर परमजीत कौर टेंपो चलाते दिख जाती हैं। परमजीत कौर जब सामान से लदा छोटा टेंपो लेकर सड़क पर उतरती हैं, तो उनके हौसले को देख राहगीर और पुलिस वाले सैल्यूट किए बिना नहीं रह पाते हैं। परमजीत कौर टेंपो चलाकर न सिर्फ अपने परिवार का पालन-पोषण कर रही हैं, बल्कि वह कई अन्य परिवारों की आय का साधन भी बनी हैं।

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रोजाना 20 से अधिक गांवों में लगाती हैं चक्कर

परमजीत कौर छोटा-सा बिजनेस चलाती हैं। रोजाना लुधियाना जाकर प्लेन कोटियां लाती हैं। इसके बाद उन्हें 20 से अधिक गांवों में जाकर घर-घर डिजाइनिंग के लिए बांटती हैं। इसके बाद डिजाइन की हुई कोटियां वापस लुधियाना देकर आती हैं। इस तरह से वह अपने साथ-साथ कई अन्य परिवारों की रोजी-रोटी चलाने में मदद कर रही हैं। टेंपो लेने से पहले परमजीत गावों में मोटरसाइकिल पर सामान सप्लाई करती थीं। धीरे-धीरे बिजनेस बढ़ा तो मोटरसाइकिल कम पड़ने लगा। फिर 3 साल पहले टेंपो खरीदा और एक ड्राइवर रख लिया। हालांकि एक महीने बाद ही खुद स्टेयरिंग संभाल लिया। अब खुद सड़कों पर टेंपो दौड़ाती हैं।

पहले डर लगता था, फ‍िर एक महीने में सीख ली ड्राइविंग 

परमजीत कौर कहती हैं कि मुझे पहले टेंपो चलाने से डर लगता था, लेकिन एक महीने में ही टेंपो चलाना सीख लिया। वह भी ड्राइवर को टेंपो चलाता देख कर। मेरे पति राज मिस्त्री हैं। एक बेटा छठी कक्षा में पढ़ता है। परिवार के सहयोग से ही मैं इस मुकाम पर पहुंची हूं। कई बार लुधियाना के बाईपास पर माल से भरा टेंपो चलाता देख कर ट्रैफिक पुलिस कर्मचारी भी मुझे सैल्यूट मार देते हैं।

सुबह 6 से रात 9 बजे तक होती है कड़ी मेहनत

परमजीत कहती हैं कि जब भी रोजाना टेंपो लेकर जाती हूं तो गांवों की औरतों को भी निडर होकर अपना बिजेनस चलाने की प्रेरणा देती हूं। रोजाना घुंगराली, सिक्खों, टपरिया, लक्खों-गदोबाल गावों के निवासियों को मेरे टेंपो का इतजार रहता है, जो मेरे बिजनेस के साथ जुड़े हुए हैं। अपना सफर सुबह 6 बजे से शुरू करती हूं और देर रात को 9 बजे घर वापस आती हूं। जाने से पहले अपने परिवार का खाना बनाकर और घर के सारे काम निपटा कर जाती हूं। बिजेनस को और बढ़ाकर जरूरतमंद परिवारों को रोजी-रोटी कमाने के लिए आगे लाना चाहती हूं ताकि औरतें भी अपने पैरों पर खड़ी होकर अपने परिवार का सहारा बन सकें।

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