थाने में रहा, डंडे खाए, नहीं छोड़ा अखबार बांटना
मैं घंटाघर फील्ड गंज डिवीजन नंबर तीन इकबाल चौक लक्कड़ व चौड़ा बाजार आदि इलाकों में अखबार वितरण करता हूं।
लुधियाना: मैं घंटाघर, फील्ड गंज, डिवीजन नंबर तीन, इकबाल चौक, लक्कड़ व चौड़ा बाजार आदि इलाकों में अखबार वितरण करता हूं। कोरोना महामारी के चलते 22 मार्च को कर्फ्यू लगा। 24 मार्च को मैं अखबार बांटने जा रहा था। थाना डिवीजन तीन के पास सुबह आठ बजे पुलिस ने पकड़ लिया, डंडे मारे और थाने में बंद कर दिया। पुलिस ने कहा कि कल से अखबार नहीं बांटनी। ढाई घंटे थाने में बिठाने के बाद करीब साढ़े दस बजे छोड़ दिया। कोरोना के दौरान तमाम चुनौतियों के बावजूद रोज अखबार बांटना जारी रखा। पिछले 48 साल से अखबार बांट रहा हूं, लेकिन आज तक ऐसा दौर नहीं देखा। इस कठिन दौर में दैनिक जागरण टीम का पूरा सहयोग मिला।
कोरोना के शुरुआती दौर में पाठकों को भ्रम हुआ तो उनको विशेषज्ञों की रिसर्च से भरोसा दिलाया कि अखबार से कोरोना नहीं फैलता। इसके बाद उनमें भी भरोसा बना और अखबार जारी रख देश-विदेश की खबरों से अपडटे रहे।
कर्मयोगी: अश्वनी कत्याल
निवासी फील्ड गंज, लुधियाना कोरोना में भी निरंतर जारी रहा अखबार बांटना
पिछले 42 साल से अखबार वितरण कर रहा हूं, आज भी अपने काम को लेकर जुनून बरकरार है। आठ साल पहले हादसे में टांग टूट गई, तब भी अखबार बांटना नहीं छोड़ा। इसके लिए एक रेहड़ा किराए पर लेकर उसमें अखबार रखकर एवं खुद पीछे बैठ कर इलाके में अखबार बांटता रहा। अब कोरोना काल में भी तमाम चुनौतियों के बावजूद अखबार वितरण का सफर निरंतर जारी रहा। मेरा यही मानना है कि काम को कर्म समझ कर करो, दुख तकलीफ महसूस नहीं होती और व्यक्ति अपने मकसद में कामयाब होता है। कोरोना के दौर में अखबार से कोरोना का संक्रमण नहीं होता, इस बाबत समाचार लगातार प्रकाशित होते रहे। इन्हीं के आधार पर पाठकों को समझाया। उनका विश्वास बढ़ाया और रोजाना अखबार पढ़ाता रहा। इस चुनौतीपूर्ण वक्त में दैनिक जागरण परिवार का भरपूर सहयोग मिला।
-गुरमीत सिंह जस्सल
शिमलापुरी, समाचार वितरक