मानसा के अशोक बंसल के पास है पंजाबी गीतों का अनमोल खजाना, लोग कहते हैं इनसाइक्लोपीडिया
पंजाब के मानसा जिले के रहने वाले अशोक बंसल के पास पंजाबी गीतों का अनमोल खजाना है। उन्होंने 1500 पुराने गीतों के रिकाड्र्स को डिजिटल रूप में कन्वर्ट करवाया है। कई गीतों को एचएमवी ने दोबारा नए रूप में रिलीज भी किया है।
बठिंडा [गुरप्रेम लहरी़]। कभी यूं ही गलियों से गुजरते हुए कोई पुराना गीत कानों को सुनाई पड़े तो एक पल के लिए ऐसे लगता है मानो कोई खोया हुआ खजाना हाथ लग गया हो। क्या हो अगर आपको ऐसा खजाना सच में मिल जाए। मानसा के रहने वाले अशोक बंसल के घर में ऐसे ही सैकड़ों गीतों का अनमोल खजाना छिपा है, लेकिन संगीत प्रेमी इससे अनजान हैं। हालांकि, जो लोग बंसल को जानते हैं, वे उन्हें पंजाबी गीतों का इनसाइक्लोपीडिया कहते हैं। उनके पास अनमोल पुराने गीतों के दुर्लभ रिकार्डस की अच्छी खासी कलेक्शन है। कई ऐसे दुर्लभ गीतों के रिकाड्र्स हैं, जिन्हें डिजिटल रूप में कन्वर्ट कर एचएमवी कंपनी से दोबारा रिलीज किया। वे करीब 60 गायकों के 1500 गीत को डिजिटल रूप में कन्वर्ट करवा चुके हैं।
अशोक बंसल कहते हैं, 'यही मेरी जिंदगी भर की कमाई है। इन्हें संजोने और संभालने में बहुत मेहनत लगती है। इनके लिए घर में अलग से एक कमरा है। यहां किसी को भी जाने की इजाजत नहीं है। रिकाड्र्स को नमी से बचाने के लिए बड़ा जतन करना पड़ता है। खर्चा भी काफी होता है, लेकिन यह मेरा जुनून है।' बंसल को जहां भी पुराने रिकार्ड हुए गीतों की जानकारी मिलती है, वे वहां पहुंच जाते हैं। उनके पास पुराने रिकाड्र्स से लेकर नए एलपी रिकाड्र्स तक सब मौजूद हैं।
अशोक बंसल कहते हैं, 'कैसेट के दौर में रिकाड्र्स की अहमियत खत्म हो गई, लेकिन मैंने इन्हें हमेशा संभाल कर रखा और धीरे-धीरे सभी पुराने गानों को डिजिटल रूप में कन्वर्ट करवाया। पंजाबी गीत असल में पंजाबी भाषा का सही इतिहास हैं। इन गीतों को आम लोगों ने लिखा और गाया है। आप इन्हें ध्यान से सुनेंगे तो कई ऐसी ऐतिहासिक चीजें मिलेंगी जो इतिहास की किताबों में भी दर्ज नहीं हैं।
सबसे पुराना रिकार्ड 1908 का
अशोक के पास सबसे पुराना रिकार्ड गायक फजल टुंडा का है, जो 1908 का है। इसके अलावा उनके पास गायक इनायत कोटिया, इकबाल बानो, आलम लोहार, पुष्पा चोपड़ा, भाई छैला, लाल चंद, यमला जट्ट, चांदी राम चांदी, अमर सिंह शौंकी, कुलदीप माणक व करमजीत धूरी के रिकाड्र्स भी मौजूद हैं।
1985 से कर रहे संग्रह
अशोक को 1985 में पंजाबी गीतों के संग्रह का शौक पैदा हुआ। तब से वे पुराने पंजाबी गीतों को सहेज रहे हैं। उन्होंने अपनी सारी कमाई गीतों को संजोने में लगा दी। उनका अधिकतर समय इसी में जाता है। उनकी इलेक्ट्रानिक्स की दुकान है, जिसे बेटा संभालता है। इसी से घर का खर्च चलता है। पहले अशोक रिकार्डिंग से भी कुछ कमाई कर लिया करते थे। गीतों के संग्रह के लिए उन्हें देश के कई राज्यों और यहां तक की देश से बाहर भी जाना पड़ा।
37 वर्षों के गीतों पर लिखी किताब
अशोक बंसल ने 1900 से लेकर 1937 तक के पंजाबी गीतों पर शोध किया और उस पर 350 पेजों की एक किताब 'पंजाबी संगीत दा इतिहास' लिखी। इसमें उस दौर के गीतों के साथ-साथ संस्कृति की भी झलक मिलती है। कुछ ऐसे लोकगीत हैं, जो काफी प्रचलित हैं, लेकिन लोगों को इसके गायक या लेखक की जानकारी नहीं है। इसकी जानकारी भी किताब में दी गई है।
सतिंदर सरताज व गुरबिंदर बराड़ की पहली रिकार्डिंग
गायक सतिंदर सरताज व गुरबिंदर बराड़ की पहली कैसेट अशोक बंसल ने ही रिकार्ड की थीं। सतिंदर सरताज की पहली कैसेट 'इबादत' फाइनटोन कंपनी से रिलीज हुई, जबकि गुरबिंदर बराड़ की पहली कैसेट 'लंबड़दारां दे दरवाजे' को भी अशोक बंसल ने ही प्रस्तुत किया। गुरदीप सिंह के गीत 'इश्क आखदा ऐ तेरा कक्ख रहन वी नहीं देना' को भी अशोक बंसल ने ही रिकार्ड किया था।
गुम हो रही पुरानी शब्दावली
अशोक को इस बात का मलाल है कि आधुनिक गीतों में धीरे-धीरे पुरानी शब्दावली गुम हो रही है। इस आज की पीढ़ी तक पहुंचाना बहुत जरूरी है। यह हमारी सांस्कृतिक विरासत है। वे मानते हैं कि पुराने गीतों में रिश्तों को जो अहमियत दी जाती थी आज के गीतों में नहीं है।'