गुरुदेव बोले, घर में दुर्व्यवहार नहीं प्रेम होना चाहिए
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता श्री सुदर्शन लाल म. के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि ठाणा-6 सुखसाता विराजमान हैं।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता श्री सुदर्शन लाल म. के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव अरुण मुनि ठाणा-6 सुखसाता विराजमान हैं। शुक्रवार के संदेश में गुरुदेव अरुण मुनि ने कहा कि सबसे ऊंचा घर किसका है? घर शब्द बड़ा लाजबाव है। इस शब्द में बड़ा प्यार होता है।
एक बर्तन मांजने वाली भी बंगलों, कोठी में काम करके सीधा घर जाती है। बच्चे भी छ्ट्टी से स्कूल से सीधा घर जाता है। घर में तीन चीजें होती है, कर्तव्य, प्रेम, अधिकार। एक अच्छे घर के कुछ कानून होते हैं। विवाह घर की नींव है। एक आदमी को भी घरवाला तभी कहा जाता है, जब उसकी शादी हो जाती है। प्रेम घर का कानून होता है। घरों में दुर्व्यवहार नहीं होना चाहिए, बल्कि प्रेम का भाव होना चाहिए। जिस घर में प्रेम की गंगा बहती है, वो घर कभी नहीं टूट सकता। पवित्रता घर का स्वास्थ्य होता है। एकता घर की शक्ति है। हास्य घर का वातावरण है। सादगी घर का सौंदर्य है।
घर में आने वाले की सेवा हो। अपनी मेहनत और गाढ़े पसीने की कमाई को अपनी पत्नी के हाथों में सौंप देना, क्योंकि घर की असली लक्ष्मी तो वही है। जो लक्ष्मी तिजोरी में बैठी है, वह तो हमेशा खड़ी है। मगर घर की लक्ष्मी तो जीवनभर साथ देने वाली है। जो व्यक्ति धन लक्ष्मी से शराब पीता है और घर आकर गृह लक्ष्मी का अपमान करता है, वह जिदगी में दोनों लक्ष्मी से वंचित हो जाता है। घर में बहूरानी नहीं, बहू लाना
गुरुदेव ने कहा कि अगर आप मां-बाप हैं और अपने बेटे के विवाह के बारे में सोच रहे हैं तो मेरा एक सुझाव है कि आप अपने घर में बहू लाना, बहुरानी मत लाना। बहू घर आए तो वह संस्कार लेकर आएगी और बहूरानी घर आएगी तो वह कार लेकर आएगी जो कार लेकर आएगी, तय है, वह अपनी सरकार चलाएगी और जो संस्कार लेकर आएगी वह तुम्हारे बुलाने पर सिर के बल चली आएगी।