क्रोध जीवित ज्वालामुखी है :अरुण मुनि
एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता शासन प्रभावक गुरुदेव श्री सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव श्री अरुण मुनि महाराज के सानिध्य में प्रार्थना सभा हुई।
संस, लुधियाना : एसएस जैन स्थानक सिविल लाइंस में संघशास्ता शासन प्रभावक गुरुदेव श्री सुदर्शन लाल महाराज के सुशिष्य आगमज्ञाता गुरुदेव श्री अरुण मुनि महाराज के सानिध्य में प्रार्थना सभा हुई। इसमें गुरुदेव आगामज्ञाता अरुण मुनि म. ने कहा कि राग-द्वेष का प्रथम कारक है क्रोध। गुस्सा जीवित ज्वालामुखी है। इसका विस्फोट अनंत जन्मों तक होता रहता है। इसके कारण जीवन अंधकारमय हो जाता है। इसी तरह यह अच्छे भले इंसान को भी शैतान बना देता है। गुस्सा एक विषहार सर्प है, जिसके डंसने से आत्मा वास्तविक स्वरुप को भूल जाती है। इसमें बड़ा पागलपन है। कोध्र अग्नि की भट्टी व राक्षस रुप, अंधा, भयावह और घोर नरक का पात्र है। दुख का भंडार व अनर्थो का घर क्रोध है। जब क्रोध आता है, तब मनुष्य कितना शक्तिशाली दिखाई देता है। ह्दय की धड़कन बढ़ जाती है। चेहरा लाल हो जाता है। आंखे घृणा व द्वेष की चिगारियां बरसाती है। आंखें ऐसी प्रतीत होती हैं, मानो अंगारे बरस रहे हो। भुजा व टांगो में कंपन आ जाता है। दांत बंद हो जाते हैं। सारा शरीर कांपने लगता है, परंतु यह शक्ति शराबी की तरह होती है जो नशा उतरने के बाद क्षीण हो जाती है। एक पल का क्रोध भी व्यक्ति का भविष्य बिगाड़ सकता है। क्रोध से मानसिक संतुलन बिगड़ जाता है। ह्दय गति तक रुक जाती है। ब्लड प्रेशर की बीमारी लग जाती है। गुरु भगवंत ने कहा कि जीवन में कैसी भी दिशा से अपनी दशा नहीं बिगाड़नी है। जीवन को जितना सरल रूप में चलाओगे उतना ही आनंदमय रहोगे।