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आधुनिक कृषि का कमाल का स्‍वरूप, रोबोट करेंगे खेती और ड्रोन से होगी मॉनीटरिंंग

कृषि लगातार अपना स्‍वरूप बदल रहा है। अब वह दिन दूर नहीं जब खेतों में श्रमिकों की जगह रोबोट काम करते नजर अाएंगे। इतना ही नहीं फसलों पर ड्राेन के माध्‍यम से नजर रखी जाएगी।

By Sunil Kumar JhaEdited By: Published: Tue, 12 Feb 2019 11:25 AM (IST)Updated: Tue, 12 Feb 2019 11:25 AM (IST)
आधुनिक कृषि का कमाल का स्‍वरूप, रोबोट करेंगे खेती और ड्रोन से होगी मॉनीटरिंंग

लुधियाना,जेएनएन। पंजाब के किसानों को खेती बाड़ी के कार्यों में लेबर (मजदूर) की कमी से परेशान होना पड़ रहा है। फसलों की निगरानी करना भी उनके लिए टेढ़ी खीर साबित होता है। ऐसे में उनके लिए बड़ी राहत की खबर है। अब रोबोट खेेती के कार्य कर सकेंगे और फसलों पर ड्रोन के माध्‍यम से निगरानी की जा सकेगी।

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खेती को फायदेमंद बनाने के लिए स्मार्ट एग्रीकल्चर अपनाने पर जोर

यह खुलासा हुआ यहां पंजाब कृषि विश्वविद्यालय में भारतीय खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी के संगठन की 43वीं वाइस चांसलर कनवेंशन में। स्मार्ट एग्रीकल्चर के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस विषय पर करवाई जा रही इस दो दिवसीय कनवेंशन में देश की प्रमुख राज्य खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी, केंद्रीय खेतीबाड़ी यूनिवर्सिटी व डीम्ड यूनिवर्सिटी के वाइस चांसलर के अलावा आइटीआइ व आइएआरआइ के माहिर शामिल हुए।

ड्रोन से मानिंटरिंग के संग फसलों पर छिड़काव भी किया जा सकेगा

विशेषज्ञों ने सेंसर बेस्ड टेक्नोलॉजी व एडवांस फार्मिंग पर विचार रखे। सीएसआरइ आइआइटी मुंबई के हेड व प्रोफेसर डॉ. जे आदि नारायण ने स्मार्ट एग्रीकल्चर पर जोर दिया। उन्‍होंने कहा कि लेबर की कमी के कारण किसान खेती छोड़ रहे हैं। इसलिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस को अपनाया जाना और भी जरूरी है। ड्रोन से फसलों पर स्प्रे के साथ उनकी मॉनिटरिंग की जा सकती हैं। वहीं रोबोट से लेबर का काम लिया जा सकता है। जीएयू गुजरात के वाइस चांसलर डॉ. एआर पाठक ने कहा कि इस तकनीक से खेती के बारे में सही आंकड़े जुटाने और मशीनीकरण से लागत को घटाकर आय बढ़ाने में मदद मिलेगी।

कार्यक्रम के मुख्यातिथि और आइआइटी रोपड़ के डायरेक्टर डॉ. सरित दास ने कहा कि पंजाब में भूजलस्तर गिर रहा है और कैंसर बढ़ रहा है। खेती की चुनौतियों के स्थायी हल और खेती को फायदेमंद बनाने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंसी के जरिए स्मार्ट एग्रीकल्चर की तरफ बढऩा होगा। स्मार्ट खेतीबाड़ी को लेकर आइआइटी व खेतीबाड़ी यूनिविर्सिटी के वैज्ञानिकों व माहिरों को तालमेल बनाकर रखना होगा। आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस में ड्रोन, रोबोटिक व सेंसर बेस्ड टेक्नोलॉजी शामिल है। जिसके उपयोग से कम लागत में फसल से अधिक झाड़ और आय ली जा सके।

सेमीनार कसे संबोधित करते एक विशेषज्ञ।

सेंसर बेस्ड टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करना होगा: डॉ. एनसी पटेल

एएयू गुजरात के वीसी डॉ. एनसी पटेल ने कहा कि 2022 तक किसानों की आय दुगनी करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस के जरिए खेती लागत घटाकर व गुणवत्ता बढ़ाकर निपट सकते हैं। हमें कृषि में सेंसर बेस्ड टेक्नोलॉजी को अडॉप्ट करना होगा। इस टेक्नोलॉजी में लोकेशन सेंसर, ओप्टीकल सेंसर, इलेक्ट्रोकेमिकल सेंसर, मैकेनिकल सेंसर व एयर फ्लो सेंसर का इस्तेमाल हो रहा है।

उन्‍होंने कहा कि ये तकनीकें मिट्टी की गुणवत्ता, नमी, पीएच, न्यूट्रेंट, नमी सहित कई तरह की जानकारी देती है। फसल की कटाई, फलों की पैङ्क्षकग, स्प्रे व शिप शेयरिंग में लेबर की जगह रोबोट का इस्तेमाल किया जा सकता है। मिलङ्क्षकग, वाशिंग व डेयरी व्यवसाय की गतिविधियों मेें रोबोट इस्तेमाल में लाए जा सकते हैं।


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