Ambulance Fare 1.20 Lakh: मां को लेकर लुधियाना पहुंची अमनदीप बोली- दोस्तों का नेटवर्क न होता तो न्याय नहीं मिलता
एक एंबुलेंस कंपनी ने कोविड पेशेंट को गुरुग्राम से लुधियाना लाने के लिए 1.20 लाख रुपये किराया वसूल लिया। किराये की रसीद जब इंटरनेट मीडिया पर वायरल हुई तो पुलिस ने मामले में संज्ञान लिया और आरोपित को पकड़ लिया।
लुधियाना [भूपेंदर सिंह भाटिया]। गुरुग्राम से लुधियाना तक के लगभग 350 किलोमीटर के सफर के लिए 1.20 लाख रुपये एंबुलेंस किराया अदा करने वाली अमनदीप कौर का कहना है कि अगर दोस्तों का नेटवर्क न होता तो मुझे न्याय नहीं मिलता। एंबुलेंस कंपनी के संचालक को दिल्ली पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया है और कंपनी ने मेरा पैसा भी बैंक में आनलाइन ट्रांसफर कर दिया है।
लुधियाना के दुगरी स्थित हाईकेयर अस्पताल में मां सतिंदर कौर को लेकर पहुंची अमनदीप ने बताया कि जब उन्होंने गुरुग्राम में उक्त एंबुलेंस सेवा वाली कंपनी से बात की तो एकबारगी 1.40 लाख रुपये किराया सुन होश उड़ गए। उन्होंने जब किराया ज्यादा होने की बात कही तो उनका स्पष्ट जवाब था कि इतना ही किराया लगेगा। चूंकि मां की तबियत बिगड़ रही थी, इसलिए हमें हर हाल में उन्हें लुधियाना लाना था, इसलिए 1.20 लाख रुपये में किराया तय हुआ।
किराये की रसीद।
अमनदीप के अनुसार किराये की रसीद मांगने पर पहले तो वह टालमटोल करते रहे, लेकिन जब वह जिद पर अड़ी रही तो उन्होंने रसीद दे दी। मां को अस्पताल में दाखिल करने के बाद मुझे अहसास हुआ कि हमारे साथ गलत हुआ है। उसके बाद उन्होंने दिल्ली में अपने दोस्तों को इसकी जानकारी दी और रसीद भेजी। उनका सोशल नेटवर्क काफी बड़ा है। उन्होंने सारा मामला वायरल कर दिया। उसके बाद पंजाब की मानवाधिकार संस्था ने भी उनसे संपर्क किया। दिल्ली पुलिस ने भी उन्हें फोन पर संपर्क कर सारी जानकारी ली।
बीमार मां के साथ अमनदीप। जागरण
दिल्ली पुलिस से जब उनकी बातचीत चल रही थी, उस वक्त एंबुलेंस कंपनी का संचालक भी पुलिस स्टेशन में बैठा था। वह बार-बार एक ही बात कह रहा था कि उसे इसकी कोई जानकारी नहीं है। अमनदीप ने बताया कि उनके पास कैश नहीं था तो उन्होंने 25 हजार रुपये कैश दिया और 95 हजार रुपये उनके खाते में ट्रांसफर किए। इतनी बड़ी राशि उनके खाते में आई और उन्हें पता ही नहीं, ऐसा कैसे हो सकता है। पुलिस के दबाव के बाद कंपनी ने 1.20 लाख रुपये अमनदीप के खाते में ट्रांसफर कर दिए।
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अमनदीप ने कहा कि वह नहीं चाहती कि वास्तविक किराये के साथ सारी राशि वापस लूं। उस राशि को मैं कोविड मरीजों के लिए खर्च कर दूंगी, लेकिन रखूंगी नहीं। उन्होंने कहा कि मुझे जानकारी मिली है कि कंपनी के संचालक को गिरफ्तार कर लिया गया है। उन्होंने मुझे कहा था कि उनके खिलाफ शिकायत वापस ले लें, वह पूरे 1.20 लाख रुपये वापस ट्रांसफर कर देंगे। मानवाधिकार संस्था ने भी उन्हें पहले राशि वापस लेने का सुझाव दिया। अब आगे क्या करना है, यह दोस्तों के साथ मिलकर फैसला करूंगी, क्योंकि पहले ही संकट में फंसे कोविड मरीजों के साथ इस तरह की लूट बर्दाश्त योग्य नहीं है।